महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
सन्देश:
नारी स्वास्थ्य पर यह एक विस्तृत आलेख है,आप इसे पोस्ट न कह कर किताब ही
कहेंगे.माँ बहनें इसे कॉपी कर रख सकती हैं कभी फुर्सत में पढ़ने के
लिए.लाभ उठए और शेयर करें दूसरों से,कमेंट्स न ही करे.
आज नारीत्व
तेजी की राह पर है और प्रत्येक महिला को अपने स्वास्थ्य एवं परिवर्तित होते
पलों की बहुत अच्छी समझ रखना आवश्यक है। इस खण्ड में हमने महिलाओं के
स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के बारे में सामान्य तथ्यों को रखने का प्रयास किया
है।
10
से 14 वर्ष की अधिकांश लड़कियों के शरीर में लम्बाई, भार, और आकार में
परिवर्तन आने लगता है। इस चरण को यौवन कहा जाता है। जब शरीर में हाॅर्मोन्स
कहलाए जाने वाले रसायनों की अतिरिक्त मात्रा निर्मित होती है, तो यौवन
शुरू हो जाता है अर्थात् लड़की में शारीरिक एवं भावानात्मक परिवर्तन शुरू
हो जाते हैं।यौवन
का एक भाग ‘‘मासिक धर्म’’ (पीरियड्स) कहलाता है या दूसरे शब्दों में इसे
‘‘माहवारी’’ कहते हैं। आरम्भिक स्थिति में, एक लड़की को विभिन्न समस्याओं
का सामना करना पड़ता है। इसीलिए समस्याओं और संक्रमण से आसानी से निपटने के
लिए नीचे दिए गए लेखों को ध्यानपूर्वक पढ़े।
पहली बार की दुविधा:
किसी
लड़की को पहली बार मासिक धर्म होना। जब पहली बार मासिक धर्म होता है, तो
हर लड़की को अलग-अलग अनुभूति होती है। यह आकर्षक हो सकती है, यह डरावनी हो
सकती है, हालांकि, माहवारी की शुरूआत एक वास्तविक संकेत है कि आप
किशोरावस्था से निकलकर नारीत्व अवस्था में पहुंच गयी हैं। ऐसा हो सकता है
कि आपको अपनी उम्र बढ़ी हुई प्रतीत न हो, लेकिन अब आपका शरीर अपने खुद के
शिशु को जन्म देने के लिए शारीरिकतौर पर तैयार है। यह बातें डरावनी हो सकती
हैं, लेकिन ज्ञान प्राप्त कर और तैयारी कर आप अपनी माहवारी एवं नारीत्व से
सम्बन्घित किसी भी तरह के भय को दूर निकाल सकती हैं।
रजोदर्शन (मेनार्च) क्या होता है?
आपके पहले मासिक धर्म को रजोदर्शन (मेनार्च) के रूप में उल्लेखित किया जाता
है। संभावता जब आप बाथरूम में गयी होंगी या आपने कपड़े बदले होंगे तो आपने
अपने भीतरी वस्त्र पर रक्त का धब्बा देखा होगा। यह रक्त का धब्बा गाढ़ा
भूरा या चमकीला लाल दिखलाई पड़ सकता है, इसीलिए अगर यह ऐसा रंग नहीं है
जिसकी आपने उम्मीद की थी, तो चिंता न करें। इस रक्त के लिए आप सैनिटरी पैड
या टैम्पोन का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके बाद से आपको आपके शरीर के
निर्धारण के अनुरूप एक मासिक धर्म चक्र हुआ करेगा। प्रत्येक महिला का अपना
निजी चक्र होता है, जो अक्सर 21 और 40 दिनों के बीच होता है। प्रत्येक चक्र
की शुरूआत आपके मासिक धर्म से शुरू होती है। अक्सर 3 और 7 दिनों के बीच
होती है। प्रत्येक अवधि के दौरान आपको होने वाली माहवारी के रक्त का रंग
हल्का पड़ता जायेगा। सभवताः आपको हल्के मासिक धर्म चक्र शुरू होंगे और फिर
भारी, अर्थात् हल्के और भारी का क्रम चलता रहेगा। आपका मासिक धर्म को
नियमित होने में संभवता 2 वर्ष का समय लगेगा। कभी-कभी आपको मासिक धर्म नहीं
भी होगा, लेकिन चिंता न करें, यह एक सामांय घटना है। यदि आप चाहें तो आप
अपने मासिक धर्म क्रैम्प के लिए पेन रिलीवर या नेचुरल सप्लीमेंट ले सकती
हैं।
रजोदर्शन (मेनार्च) की उम्र
रजोदर्शन (मेनार्च) अक्सर आपके स्तनों के विकसित होने के दो वर्ष बाद और
आपके सामान्य और बगलों के बालों के विकसित होने के 4-6 महीने के बाद होता
है। अधिकांश उत्तरी अमेरीकी महिलाओं में रजोदर्शन होने की उम्र 12 या 13
वर्ष है, हालांकि आपका पहला मासिक धर्म 9 और 16 वर्ष की उम्र की बीच कभी भी
आ सकता है, जोकि आपकी लम्बाई, वजन, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर निर्भर
करता है। शीघ्र रजोदर्शन ज्यादा से ज्यादा हो रहा है - क्योंकि 8 वर्ष की
उम्र की लड़कियों में भी मासिक धर्म की घटनाएं देखी गयी हैं। इसे हम
परिपक्वता पूर्व रजोदर्शन (प्रीमेच्योर मेनार्च) के रूप में देख सकते हैं।
ऐसी लड़कियों को जिन्हें 16 वर्ष की उम्र तक मासिक धर्म नहीं होता है, को
प्राथमिक एमोनोरिया के अनुभव के रूप में वर्णित किया गया है। कभी-कभी बाहरी
घटक या जटिलताएं आपके मासिक धर्म को समय से आने में बाधक बनते हैं।
निश्चित रजोदर्शन की उम्र को प्रभावित करते हैं। यह निर्धारण करने में कि
आपका शरीर कितनी तेजी से विकास करेगा सांस्कृतिक एवं आनुवंशिक घटक
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न जातियों की लड़कियां हल्की सी
विभिन्न दर पर विकास करती प्रतीत होती हैं। आपने अनुभव किया होगा कि आपकी
दोस्त को पहले से ही मासिक धर्म शुरू हो गए हैं और आपको अभी तक नहीं हुए
हैं। आप यह सोच रही होंगी कि कहीं आपके साथ कुछ गड़बड़ तो नहीं है। चिंता
मत कीजिए, प्रत्येक लड़की की विकास करने की विभिन्न दर होती हैं। यदि 15 या
16 वर्ष की उम्र तक आपको रजोदर्शन नहीं हुआ है, तो आपको अपने डाॅक्टर से
मिलकर अंतर्निहित समस्याओं का निर्धारण कर लेना चाहिए।. अनेक ऐसी लड़कियों
को भी समय से मासिक धर्म चक्र नहीं होते हैं, जिनका वजन कम हो या जो
कुपोषित हों। आमतौर पर यह माना जाता है कि एक निश्चित वजन (100 पौंड) होना
चाहिए जिससे कि आपका मस्तिष्क आपके शरीर को माहवारी शुरू करने का संकेत भेज
सके।
माहवारी गंध से निपटना:
मासिक धर्म चक्र केवल 5 दिन की ही बात नहीं होती। इसके आलावा काफी कुछ है जैसे असुरक्षा, मनोस्थिति में परिवर्तन, ऐंठन और गंध आदि आपको कुछ और दिन तक परेशान करते हैं। लेकिन आपको हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है, बस मासिक धर्म के दिनों में अपने को तरोताजा रखें और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। नीचे दिए गए सुझावों को पढ़ें और खुशी-खुशी अपने मासिक धर्म चक्र के दिनों से निपटें।
चरण 1
प्रचुर मात्रा में पानी पिएं। इससे आपकी शरीर प्रणाली साफ होती है, और प्राकृतिकरूप से आपका शरीर विषमुक्त होता है।
चरण 2
मासिक धर्म सम्बन्धी उत्पादों
(मेनस्टुªअल प्रोडक्ट) को इस्तेमाल करें। कपड़े के बने मासिक धर्म पैड (
क्लाथ मेनस्टुªअल पैड) में अधिक श्वसन क्षमता होती है जिससे जीवाणुओं को
विकसित होने के लिए उष्मा नहीं मिल पाती है। मेनस्टुªअल कप यह सुनिश्चित
करते हैं कि मासिक धर्म द्रव योनि से बाहर न निकलें।
चरण 3
वेट वाइप्स और बेबी वाइप्स के
पैक अपने साथ रखें। घर से बाहर होने पर इनका उपयोग खुद को साफ करने में
करें। इन वाइप्स में विशेष प्रकार के जीवाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल) होते हैं
जोकि शरीर की गंध से बचाव में मदद करते हैं। वेट वाइप्स और बेबी वाइप्स
में जीवाणुरोधी (एंटीबैक्टीरियल) होते हैं। माहवारी गंध सिर्फ जीवाणु
(बैक्टरिया) के कारण होती है। हालांकि, बहुत ज्यादा जीवाणुरोधी
(एंटीबैक्टीरियल) उत्पादों एवं वाइप्स जिनमें ग्लाइसिरीन होता है के कारण
योनि में छाले (यीस्ट संक्रमण) और योनि में जलन हो सकती हैै। कभी भी शौचालय
(टाॅयलेट) में अपने वाइप्स न फेंके इससे शौचालय (टाॅयलेट) और मल-प्रवाह
प्रणाली बंद हो सकती है।
चरण 4
अपना पंसदीदा बाडी स्प्रे अपने साथ रखें और स्नान करने के बाद इसका इस्तेमाल करें।
चरण 5
स्नान।
कहीं भी जाने से पहले स्नान करें। हालांकि योनि को बार-बार धोने से योनि
में सूखापन, जलन और छाले (यीस्ट संक्रमण) की समस्या पैदा हो सकती है।
चरण 6
आत्मविश्वास से लबरेज रहें। आपके दोस्तों और सहकर्मियों को किसी तरह की गंध महसूस नहीं होगी।
सुझाव
हमेशा अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें। पेशाब और अपना पैड या टैम्पाॅन (रक्तस्राव रोकने के लिए अवरोध) बदलने के बाद अपनी योनि साफ करें।
- अपना बाॅडी स्प्रे अपने साथ ले जाएं। जब कभी भी जरूरत महसूस हो स्प्रे करें लेकिन थोड़ा-बहुत ही। आप खुश्बु के निशान सामने वाले व्यक्ति तक छोड़ना नहीं चाहेंगी।
- अपना पैड, मेनस्टुªअल कप या टैम्पान बदलना न भूलें। साथ ही इसे पूरा भर जाने तक इंतज़ार न करें। जितना जल्दी संभव हो इसे बदल लें!
- यदि आप मेनस्टुªअल कप का इस्तेमाल कर रही हैं और आपको यह महसूस होता है कि आपका माहवारी रक्त आक्रमक गंध पैदा कर रहा है, तो आपको संक्रमण हो सकता है, इसीलिए तुरंत डाॅक्टर से सलाह लेनी उचित रहेगी।
जहां कहीं भी आप जाएं, एक जोड़ा साफ अनडाइ हमेशा अपने साथ रखें।
पीड़ादायक माहवारी:
कभी-कभी
आपकी माहवारी पीड़ादायक हो सकती है। अधिकांश लड़कियों को अपने मासिक धर्म
चक्र के दौरान पीएमएस (प्री-मेनस्टुªअल सिंड्रोम), ऐंठन (क्रेम्प), या
सिरदर्द की शिकायत होती है। ये समस्याएं सामान्य हैं और चिंता की कोई बात
नहीं है। यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो बतलाते हैं कि मासिक धर्म चक्र की
समस्याएं सामान्य होती हैं और यह संकेत देती हैं कि कुछ घटित हो रहा है।
What Is PMS?
प्री-मेनस्टुªअल
सिंड्रोम (पीएमएस) शारीरिक एवं भावानात्मक लक्षणों के लिए एक शब्द है
जिसका अनुभव अधिकांश लड़कियों एवं महिलाओं को प्रत्येक माह अपने मासिक धर्म
शुरू होने से ठीक पहले होता है। यदि आपको पीएमएस हो, तो आपको निम्नलिखित
का अनुभव हो सकता हैः मुंहासे, सूजन, पीठदर्द, स्तनों में दर्द, सिरदर्द,
कब्ज, दस्त, भोजन की लालसा, अवसाद, नीलापन, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता लाने में
दिक्कत, या तनाव झेलने में परेशानी।
जब किसी लड़की को माहवारी शुरू हाती है, तो शुरू के 1 या 2 सप्ताह में पीएमएस की शिकायतें अपनी चरम सीमा पर होती हैं, और जब माहवारी होनी शुरू हो जाती है, तो अक्सर ये लक्षण समाप्त हो जाते हैं।
कुछ लड़कियों को ऐंठन की शिकायत क्यों होती है?अधिकांश लड़कियों को अपने मासिक धर्म के पहले कुछ दिनो के दौरान पेड़ु में ऐंठन होती है। ऐंठन (क्रेम्प) संभवता आपके शरीर द्वारा निर्मित प्रोस्टाग्लाइंडिस, नामक रसायन की वजह से होती है। यह रसायन गर्भाशय की मांसपेशियों को संकुचित कर देता है। अच्छी खबर यह है कि एंेठन केवल आखिर के कुछ दिनों में ही होती है। लेकिन अगर आपको दर्द हो रहा हो, तो आप आईब्रोफेन जैसी दवा का सेवन कर सकती हैं।
व्यायाम से भी आप खुद को बेहतर अहसास करा सकती हैं। व्यायाम करने से शरीर से एंडोरफिन नामक रसायन निकलता है, जिससे आपको अच्छा महसूस होता है। गर्म पानी का स्नान या पेट पर गर्म सेक करने से आपकी ऐंठन तो खत्म नहीं होगी लेकिन आपकी मांसपेशियों को थोड़ी बहुत राहत जरूरत मिलेगी। यदि आपकी ऐंठन इतनी गंभीर हो जाए कि आप स्कूल न जा पाएं या फिर अपने दोस्तों के साथ काम न कर पाएं, तो आपको डाॅक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
माहवारी की समस्याएं
भले ही यह विचित्र लगे, लेकिन मासिक धर्म चक्र से सम्बन्धित अधिकतर चीजें पूर्णतया सामान्य होती हैं। लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां भी होती हैं जोकि अधिक गंभीर हो सकती हैं। यदि आपको इनमें से किसी भी समस्या का संदेह हो, तो तुरंत डाॅक्टर से सलाह लें।
माहवारी न होना
महवारी न होने को डाक्टर एमेनोरिहिया के रूप में परिभाषित करते हैं। ऐसी लड़कियों को जिन्हें 16 वर्ष की उम्र तक माहवारी शुरू नहीं हेती है, को प्राथमिक एमेनोरिहिया की शिकायत हो सकती है। हाॅर्मोन असंतुलन या विकास की समस्या की वजह के कारण अक्सर एमेनोरिहिया की शिकायत हो जाती है।
एक ऐसी भी स्थिति होती है, जिसे दूसरे दर्जे की एमेनोरिहिया कहते हैं, इस अवस्था में किसी भी ऐसी महिला को जिसे सामान्य माहवारी होती है, की अचानक कम से कम 3 महीनों तक माहवारी रूक जाती है। हाॅर्मोन ;ळदत्भ्द्धजारी करने वाले गोनेडउहट्रोपिन के निम्न स्तर, जोकि अंडोत्सर्जन (आॅाल्युशन) और मासिक धर्म को नियंत्रित करते हैं, अक्सर एमेनोरिहिया का कारण बनते हैं। तनाव, आहार, भार बढ़ना या कम होना, जन्म नियंत्रण गोलियों का सेवन बंद कर देना, थाइराॅइड स्थितियां, और डिम्बग्रंथि अल्सर कुछ ऐसी समस्याओं के उदाहरण हैं जोकि कि आपके हाॅर्मोन्स को असंतुलित कर सकती हैं। सबकुछ सुचारूढंग से करने के लिए, आपके डाॅक्टर हाॅर्मोन चिकित्सा का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि कोई चिकित्सीय स्थिति आपके मासिक चक्र को प्रभावित कर रही है, तो उस स्थति का इलाज करने से ही समस्या का समाधान पाने में मदद मिलेगी। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, बहुत ज्यादा मेहनत करने और अल्प आहार लेना एमेनोरिहिया का कारण बन सकता है। मेहनत के कामों में कटौती और अधिक कैलोरी के साथ संतुलित आहार लेने से इस समस्या को दुरूस्त करने में मदद मिलेगी लेकिन अपने डाॅक्टर से सलाह लेना भी सुनिश्चित करें।
बहुत ज्यादा माहवारी होना
बहुत ज्यादा और लम्बी अवधि तक माहवारी होने को डाॅक्टर अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) के रूप में परिभाषित करते हैं। सामान्य प्रवाह में 1 या 2 दिन ज्यादा माहवारी होती है, लेकिन इस अवधि से ज्यादा समय तक ज्यादा माहवारी होना अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) कहलाता है। ऐसी लड़कियों को जिन्हें अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) की शिकायत होती है का पैड कुछ ही घण्टों में भीग जाता है या फिर उन्हें 7 दिन से भी अधिक दिनों तक माहवारी होती रहती है। ( मासिक धर्म के दौरान थक्के होना अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) के आवश्यकतौर से लक्षण नहीं हैं, हालांकि कई लड़कियों को, हल्की तथा भारी माहवारी होने पर, माहवारी के साथ थक्के निकलते हैं। )
शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्ररोन की मात्रा के बीच असंतुलन अक्सर अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) के कारण होता है। इस असंतुलन के कारण, एंडोमीटिरीयम, गर्भाशय की परत का विकास होता रहता है। और जब माहवारी के दौरान शरीर एंडोमीटिरियम से छुटकारा पाता है, तो बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता है।
यौवन अवस्था के दौरान अनेक लड़कियों को हाॅर्मोन असंतुलन की शिकायत होती है, इसीलिए किशोरावस्था में अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) का अनुभव होना आसामान्य बात नहीं है। भारी रक्तस्राव की अन्य वजह थाइराॅइड स्थितियों, रक्त की बीमारियों, योनि या ग्रीव में सूजन या संक्रमण के कारण हो सकती हैं। आसामांय रक्तस्राव के कारणों का पता लगाने के लिए डाॅक्टर श्रोणी जांच, पेप स्मियर, और रक्त जांच जैसे परीक्षण कर सकते हैं। यदि आपको अत्यार्तव (मेनोरहेजिया) की शिकायत है, तो इसका निवारण हाॅर्मोन्स, दवाओं या गर्भाशय में किसी तरह का विकास जिसकी वजह से अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा है, को दूर करने से किया जा सकता है.
अत्यंत पीड़ादायक माहवारी
अत्यधिक पीड़ादायक माहवारी होने को डाॅक्टर डिसमेनउहरिया के रूप में परिभाषित करते हैं। प्राथमिक डिसमेनउहरिया उस पीड़ादायक माहवारी का उल्लेख करता है, जोकि किसी बीमारी या अन्य स्थिति के कारण किशोरियों को होती है। जबकि दूसरे दर्जे का डिसमेनउहरिया किसी बीमारी या स्थिति के कारण होता है। प्राथमिक डिसमेनउहरिया की वजह भी वही प्रोस्टाग्लैंडीन नामक रसायन होता है जिसकी वजह से ऐंठन होती है। आपकी माहवारी के दौरान प्रोस्टाग्लैंडीन के कारण आपको बड़ी मात्रा में मिचली, उल्टी, सिरदर्द, पीठदर्द, दर्द और गंभीर ऐंठन की शिकायत हो सकती है। भाग्यवश, ये लक्षण केवल एक या दो दिन ही रहते हैं। प्राथमिक डिसमेनउहरिया के इलाज के लिए डाॅक्टर दाहक-रोधी (एंटी-इनफ्लेमेटरी) दवाएं लिखते हैं। ऐंठन में व्यायाम, गर्म पानी की बोतल, जन्म नियंत्रक गोलियां राहत प्रदान कर सकती हैं। कुछ अधिक सामान्य स्थितियां जिनके कारण दूसरे दर्जे की डिसमेनउहरिया हो सकती है में शामिल हैंः अंतर्गर्भाशय-अस्थानता (एंडोमेट्रियोसिस)। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आमतौर से गर्भाशय में ही पाए जाने वाले ऊतक गर्भाशय के बाहर विकसित होना शुरू हो जाते हैं। गर्भाशय की भीतरी दीवार पर जीवाणुओं का संक्रमण (बैक्टीरियल इंफेक्शन) होना श्रोणी सूजन बीमारी (पेलविक इनफ्लेमेटरी डीसीज) कहलाता है। इन सभी स्थितियों मंे यह आवश्यक है कि डाॅक्टर समस्या की पहचान करने के बाद ही उचित तरीके से आपका इलाज करें।
आपकी फिटनेस:
मस्तिष्क शक्ति को बढ़ाने के लिए व्यायाम
व्यायाम करने से न केवल आपके शरीर में
सुधार आता है, बल्कि यह आपको मानसिकतौर से कार्यकलाप करने में भी मदद करता
है। व्यायाम करने से ऊर्जा स्तर में वृद्धि होती है और मस्तिष्क मंे
सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ती है, जिससे मानसिक स्पष्टता में सुधार होने का
मार्ग प्रशस्त होता है। कुल मिलाकर एक अधिक उत्पादनकारी दिन बनता है।
उत्पादकता में सुधार न केवल आपको एक बेहतर कर्मी बनाता है, बल्कि इससे
कार्यस्थल पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति के लिए बेहतर चीजों का सृजन होता है।
कम्पनियों को कम समय बर्बाद होता है, कर्मचारी कम बीमार पड़ते हैं और इस
प्रकार स्वास्थ्य देखभाल पर बहुत कम लागत आती है और इस प्रकार समग्र विकास
होता है।
व्यायाम से आपको ऊर्जा मिलती है
आप आश्र्चयचकित होंगी कि सुबह सिर्फ 30
मिनट वर्क आउट करने से आपके पूरे दिन में कितना बदलाव आ जाता है। जब
व्यायाम से आपके रक्त में एंडोर्फिन प्रवाहित होता है और आपकी ताकत और
सहनशक्ति में सुधार आता है, तो प्रतिदिन के कार्याें को करना अधिक आसान हो
जाता है। अब सीढि़यां चढ़ने और किराने का सामान लाने के लिए बाजार जाने में
आपको कोई दिक्कत महसूस नहीं होती है। दिनभर अधिक ऊर्जावान बने रहने में भी
आपको मदद मिलती है। प्रसिद्ध शारीरिक प्रशिक्षक का कहना है कि सुबह थोड़ा
सा व्यायाम करने से जो आपको शारीरिक थकावट महसूस होती है वह प्रतिदिन की
थकान से बिल्कुल अलग है। एक बार जब आपका शरीर व्यायाम करने का अभ्यस्त हो
जाता है, तो फिर आप और भी अधिक ऊर्जावान महसूस करने लगती हैं।
फिट रहने के लिए समय निकालना मुश्किल नहीं है
यह अपने समय को अधिक बुद्धिमता से
उपयोग करने जैसा है! आप एक तीर से दो निशाने लगा सकती हैं! आप अपने
नन्हें-मुन्नों को पार्क में घुमाने ले जा सकती हैं या बाइक दौड़ा सकती
हैं, और साथ ही साथ आप अपने परिवार के साथ शारीरिक गतिविधियां करते हुए
मज़ा ले सकती हैं। इसके आलावा आप लम्बी पैदल यात्रा पर भी जा सकती हैं,
बच्चों के साथ तैराकी कर सकती हैं, या लुपा-छुपी खेल सकती हैं, बच्चों के
साथ फुटबाॅल खेल सकती हैं, उन्हें अपनी पीठ पर बैठाकर घुड़सवारी करा सकती
हैं। जिम में जाकर धीमे-धीमे चलने और औपचारिक कसरत करने के लिए एक घण्टे
देने का विचार त्याग दें। बजाय इसके आप आप दिन भर में शारीरिक गतिविधियां
करके ही अच्छी कसरत कर सकती हैं। 20 मिनट के लिए किसी को साथ लेकर घूमने
निकल जाएं। 10 मिनट के लिए रस्सी कूद लें, और कभी-कभी 20 मिनट के लिए दौड़
लगा लें।
वास्तव में, 15 या 20 मिनट की कोई भी गतिविधि बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो
सकती है। सुबह घर की साफ-सफाई में लग जाना, दोपहर को बच्चों के साथ पार्क
में बाइक दौड़ाना, और शाम को तेज चाल से घूमना दिन भर की एक पर्याप्त कसरत
हो सकती है।
कसरत करने से बीमारियां आपसे दूर रहती हैं!!
शोध दर्शाते हैं कि कसरत करने से हृदय
की बीमारियों, उच्च रक्त चाप, उच्च कोलोस्ट्राॅल, टाइप 2 मधुमेह, गठिया,
आॅस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की क्षति), मांसपेशी की हानि आदि को धीमा करने
में मदद मिलती है। बशर्त है कि आप आवश्यकता से ज्यादा कसरत न करें, कसरत
करने से रोग प्रतिरोध क्षमता का विकास होता है- और इस प्रकार आपको आसानी से
ठंड या फ्लु नहीं सताते हैं। वास्तव में, शायद ही कोई प्रमुख स्वास्थ्य
समस्या हो जिसमें व्यायाम सकारात्मक भूमिका न निभाता हो।
स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य हृदय निवास करता है
व्यायाम (एक्सरसाइज) करने से न केवल
आपको बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है बल्कि इससे आपका हृदय और हृदय
प्रणाली अधिक प्रभाशालीढंग से कार्य करती है। हृदय हानिकारक परतों का
निर्माण कम करता है। यह अधिक कुशलता से रक्त को पम्प करता है और जब हृदय
अधिक शक्तिशाली बन जाता है, तो यह प्रति धड़कन अधिक रक्त को पम्प करता है।
इस प्रकार हृदय की समस्याएं न्यूनतम हो जाती हैं। ज्यादा काम करने पर हृदय
के बहुत तेजी से धड़कने की शिकायत दूर हो जाती है।
आपके व्यायाम करने के कुछेक दिनों के भीतर ही, आपका शरीर तेजी से उत्तेजना
के अनुकूल हो जाता है और फिर आपके लिए सबकुछ आसान हो जाता है। आपको कम
थकावट महसूस होती है। श्वास लेने में ज्यादा प्रयास करने की जरूरत नहीं
होती। अब आपको इतना दर्द नहीं होता है।
व्यायाम से अपनी कार्य क्षमता को बढ़ाएं
कुछ सप्ताह के लगातार व्यायाम से, आपको
यह महूसस होगा कि आपके कपड़ों की फिटिंग बदल गयी है और आपकी मांसपेशियों
में रंगत आ गयी है। यदि आप गोल्फ, टेनिस या बास्केट बाॅल खेलती हैं, तो आप
पायेंगी कि आपकी मांसपेशियां बहुत ज्यादा चुस्त हो गयी हैं। नियमितरूप से
व्यायाम करने से, आपकी मांसपेशियां मजबूत बनती हैं, उनमें लोचकता आती है और
कुल मिलाकर आपकी कार्य प्रदर्शन क्षमता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त, आपकी
प्रतिक्रिया समय और संतुलन में भी सुधार आता है।
माह के समय यौन सम्बन्ध:
माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाना
निजी पसंद और सांस्कृतिक विश्वासों का मामला है। चिकत्सीयतौर पर, माहवारी
के दौरान यौन सम्बन्ध बनाना सुरक्षित है बशर्त है कि आप असुरक्षित यौन
सम्बन्ध न बनाएं।
मासिक धर्म चक्र के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने के फायदे
1. यदि आपको संभोग सुख मिल रहा है, तो यौन सम्बन्ध बनाने से माहवारी के पहले और बाद के लक्षणों से आपको मुक्ति मिल सकती है।
2. संभोग सुख के दौरान एंडोरफिन्स जारी होता है जो कि एक प्राकृतिक
दर्दनिवारक (पेनकिलर) है और मूड़ को अच्छा बनाता है, जिससे आपकी माहवाीर से
जुड़ी ऐंठन, सिरदर्द, हल्का तनाव, और चिड़चिड़ापन दूर होता है।
3. कुछ महिलाएं खुद भी माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने के दौरान आनंद
का अनुभव करती हैं क्योंकि श्रोणि और जननांगों क्षेत्रों में परिपूर्णता का
एहसास होता है।
क्या माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने से लिंग या गर्भाशय को कोई हानि होती है?
माहवारी के दौरान निकलने वाले रक्त और ऊतक में गर्भाशय की परत होती है।
इसमें कुछ भी गंदा नहीं होता और माहवारी के द्रव के सम्पर्क से लिंग को
किसी तरह की चोट या जलन नहीं होती है। ना ही गर्भाशय को किसी प्रकार का
खतरा होता है। जैसा कि आपने सुना या पढ़ा होगा उसके विपरीत गर्भाशय ग्रीवा,
या गर्भाशय का मुंह माहवारी के रक्त के प्रवाह के लिए ज्यादा नहीं खुलता
है। माहवारी के दौरान गर्भाशय में लिंग के प्रवेश कराने पर पर कोई खतरा
नहीं होता है।
माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने से क्या आप गर्भवती हो सकती हैं?
यदि कोई महिला अंडोत्सर्जन (आॅवयुलेशन) के दौरान, अर्थात् अपने अंडाशय से
अंडा जारी होने के समय, यौन सम्बन्ध बनाती है, तो वह गर्भवती हो जाती है।
आमतौर पर अंडोत्सर्जन (आॅवयुलेशन) आपकी माहवारी होने से 14 दिन पहले घटित
होता है। इस प्रकार, माहवारी के दौरान गर्भधारण करने के अवसर बहुत कम होते
हैं। हालांकि, इसके अपवाद भी हो सकते हैं, यदि आप गर्भधारण नहीं करना चाहती
हैं, तो आपको सलाह दी जाती हैं कि हमेशा सुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाएं।
माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने के जोखिम
1. यदि कोई पुरूष एचआईवी से संक्रमित
महिला से उसकी माहवारी के दौरान यौन संबंध बनाता है, तो इस रोक के संक्रमण
उसके (महिला) शरीर में पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है।
2. एक महिला के माहवारी के दौरान अपने पुरूष साथी के साथ संबंध बनाने पर
संक्रमण (अर्थात् दाद) के चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है।
3. माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने पर किसी महिला के पेड़ु में सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है।
4. जब किसी महिला से माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाए जाते हैं, तो वह
अपने यौन साथी को अन्य रक्त जनित बीमारियां जैसे हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित
कर सकती है।
5. मासिक धर्म के दौरान यौनि का पीएच (ph) कम अम्लीय होता है इसीलिए
माहवारी के दौरान किसी महिला के यीस्ट या बैक्टीरियल संक्रमण जैसे कि
केंडीडायसिस या बैक्टीरियल वेजिनोसिस विकसित करने की संभावना ज्यादा रहती
है।
माहवारी के दौरान यौन सम्बन्ध बनाने के दौरान याद रखने योग्य बातें
माहवारी के दौरान, यदि कुछ सावधानियां बरती जाएं, तो यौन सम्बन्ध बनाना आनंददायक हो सकता है। कुछ बातें आपको याद रखनी होंगी।
1. आपको सलाह दी जाती है कि किसी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल जरूर करें। कंडोम
सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है। यह आपका यौन संचारित संक्रमणों से बचाव करता है
साथ ही आपका गर्भवती होने से भी बचाव होता है।
2. माहवारी के दौरान मुख यौन सम्बन्ध बनाते (ओरल सेक्स) समय दंत बांध
(डेंटल डेम) का इस्तेमाल करने पर विचार करें। ये विभिन्न साइज और फ्लेवर
में आते हैं।
3. यौन सम्बन्ध बनाते से पहले रक्तस्राव रोकने वाला अवरोध हटा दें।
(मेरा मानना ही इन दिनों में यौन सम्बन्ध न ही बनायें)
कुछ मिथक एवं तथ्य
माहवारी (पीरियड्स) के बारे में मनगढ़ंत बातें एवं सच्चाईयां
मनगढ़ंत बात - माहवारी (पीरियड्स) के दौरान गर्भवती होना असंभव है!
सच्चाई - अंडोत्सर्जन (आॅव्युलेशन) किसी भी समय हो सकता है।
मनगढ़ंत बात - मासिक धर्म चक्र हमेशा 28 दिनों में होना चाहिए।
सच्चाई - मासिक धर्म चक्र हर महिला में अलग-अलग समय पर होता है, 28 दिन केवल एक औसत समय है।
मनगढ़ंत बात - मासिक धर्म के दौरान किसी भी तरह की गतिविधि करने से बचें और बिस्तर में आराम करें।
सच्चाई - व्यायाम से
लक्षणों में मदद मिल सकती है, इससे आपका दर्द बदतर नहीं होगा। यदि कोई
महिला रक्त की कमी (एनीमिया) से पीडि़त नहीं है, तो माहवारी के दौरान उसे
कमजोरी नहीं होगी। माहवारी के दौरान असामांय रक्तस्राव के कारण रक्त की कमी
(एनीमिया) की शिकायत हो जाती है।
मनगढ़ंत बात - सभी महिलाओं को माहवारी (पीरियड्स) के दौरान पीड़ा होती है।
सच्चाई - अधिकांश
महिलाओं को मामुली परेशानी होती है और इससे उनकी नियमित गतिविधियों पर कोई
असर नहीं पड़ता है। कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द और अन्य शिकायतें
होती हैं
मनगढ़ंत बात - मासिक धर्म के दौरान आपको यौन सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए।
सच्चाई - यदि दोनों
साथियों की यौन सम्बन्ध बनाने की इच्छा है, तो ऐसा न करने का कोई चिकित्सीय
कारण नहीं है, और संभोग से कभी-कभी तो ऐंठन की शिकायत दूर होती है।
मनगढ़ंत बात - स्नान करने से माहवारी की ऐंठन पैदा होती है या बदतर हो जाती है।
सच्चाई - गर्म पानी से स्नान करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है।
मनगढ़ंत बात - माहवारी (पीरियड्स) के दौरान आसानी से ठंड लग जाती है और इसीलिए ठंडे पानी और पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिए।
सच्चाई - कुछ महिलाओं को ठंड पदार्थों से दर्द की स्थिति बढ़ जाती है लेकिन ऐसा नहीं है कि आपको ठंड ही लग जाए।
मनगढ़ंत बात - माहवारी (पीरियड्स) के दौरान आपको अपने पैर गीले नहीं करने चाहिए।
सच्चाई - ऊपर देखें; टेम्पेक्स बुकलेट्स और अन्य अतीत की पत्राचार सामग्रियों ने इसे लोकप्रिय बनाया है।
मनगढ़ंत बात - जन्म नियंत्रक गोलियां लेने वाली महिलाओं को माहवरी (पीरियड) होनी चाहिए।
सच्चाई - वे महिलाएं
जो कि जन्म नियंत्रक गोलियों का सेवन कर रही हैं, को गर्भाशय विकास का
अनुभव नहीं होता है और इसीलिए उन्हें परत (लाइनिंग) को बहाने के लिए
माहवारी की जरूरत नहीं होती है। गोली के साथ होने वाला रक्तस्राव
‘‘वास्तविक’’ माहवारी नहीं है, और महिला के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नहीं
है।
मनगढ़ंत - माहवारी के दौरान महिलाएं हमेशी चिड़चिड़ी होती हैं।
सच्चाई - सभी महिलाएं
पीएमएस लक्षण या इसी प्रकार के लक्षणों का अनुभव नहीं करतीं। ‘‘महीने के उन
दिनों में’’ आप सभी महिलाओं को स्वभाव को चिड़चिड़ा होना के रूप में
वर्णित नहीं कर सकते। किसी अन्य समय की तरह ही माहवारी के दौरान भी वे
सामान्य स्वभाव बनाकर रखने में सक्षम होती हैं, वे मानसिकरूप से कमजोर नहीं
होती हैं।
मनगढ़ंत बात - माहवरी के दौरान बालों को न धोएं न संजाएं-संवारें।
सच्चाई - यह मिथक सिर्फ अंधविश्वास है।
मनगढ़ंत बात - माहवारी के रक्त से बदबू आती है।
सच्चाई - पैड्स एवं
टैम्पाॅन के उपयोग से जीवाणु (बैक्टीरिया) बनते है जिसके परिणामस्वरूप
दुर्गंध विकसित होती है, रक्त में दुर्र्गंध नहीं होती।
मनगढ़ंत बात - मासिक धर्म रक्त विषाक्त या अशुद्ध होता है।
सच्चाई - किसी अन्य
रक्त की तरह यह अशुद्ध नहीं होता, टेम्पाॅन शरीर में गंदे रक्त को नहीं
रखते हैं। किसी अतिरिक्त साफ-सफाई या डियोडरेंट की जरूरत नहीं होती है।
सिर्फ अपने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए ही ऐसा भय उत्पन्न किया जाता
है।
मनगढ़ंत बात - माहवारी के दौरान, आपको कुछ विशेष खाद्य पदार्थ (मांस, दूध से बने पदार्थ)नहीं खाने चाहिए।
सच्चाई -
जो चाहो वो खाओ, आपको कोई नुकसान नहीं होने वाला। वास्तव में विटामिन से
दर्द को राहत मिलती है, इसीलिए आयरन के लिए मांस और कैल्शियम के लिए दूध
आदि का सेवन करें।
मनगढ़ंत बात - गर्भवती महिला को रक्तस्राव नहीं होता।
सच्चाई - धब्बे या हल्का रक्त स्राव सामान्य है, लेकिन सुनिश्चित होने के लिए डाक्टर से मिलें।
मासिक धर्म चक्र के दौरान आहार
यह बात हर कोई जानता है कि हमारी खानपान की आदतें सीधेतौर पर हमारे शरीर को प्रभावित करती हैं। जब आपके मासिक धर्म चक्र की बात आती है, तो इस पर भी यही नियम लागू होता है। यदि आप चाहती हैं कि आपको कम पीड़ादायक मासिक धर्म चक्र (पीरियड) हों, तो आपको विशेष प्रकार का आहार लेना होगा।
आपके अपने पीएमएस को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए, आपको माहवारी (पीरियड्स) के दौरान निम्नलिखित आहार दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिएः
1).दिन में तीन बार भोजन करने की अपेक्षा यदि आप दिनभर में थोड़ा-थोड़ा करके छह बार आहार लेंगी, तो इससे आपका ब्लड शुगर ठीक बना रहेगा और आपका मिज़ाज भी अच्छा रहेगा।
2).यदि आप दूध का सेवन नहीं करती हैं, तो सोया, राइस मिल्क, टोफू या गोभी से अपने शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाएं। किण्वित (फरमेंटेड) सोया का सेवन करने पर विचार करें क्योंकि विशेष प्रकार के सोया उत्पादों में फाइटोएस्ट्रोजेंस होते हैं, जोकि आपके शरीर में प्राकृतिकतौर से पाये जाने वाले एस्टोजेन का निर्माण कर सकते हैं, और इससे आपको प्रजनन सम्बन्धी स्वास्थ्य कठिनाइयां नहीं होंगी। यदि आपके शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में अथवा बहुत कम मात्रा में एस्ट्रोजन हैं, तो आपको अपनी प्रजनन क्षमता से समझौता करना पड़ सकता है।3). कभी-कभी विटामिन बी6 का सेवन करने का परामर्श दिया जाता है, लेकिन इस बात के बहुत ही कम निर्णायक प्रमाण हैं कि बी6 का सप्लीमेंट वास्तव में प्रभावी है। साथ ही, प्रतिदिन 100 मिग्रा से अधिक का सेवन तंत्रिका (नर्व) क्षति का कारण बन सकता है, हालांकि यह स्थाई नहीं है, लेकिन जोखिम तो बना ही रहता है। आपके शरीर को विटामिन बी6 की पर्याप्त मात्रा प्रदान करने के लिए आपका आहार ही पर्याप्त होना चाहिए।
4). विटामिन ई लाभदायक हो भी सकती है, और नहीं भी। पीएमएस के इलाज के रूप में, विटामिन ई की प्रभावशीलता पर किए गए अध्ययन से अलग-अलग परिणाम प्राप्त हुए हैं। विटामिन बी6 से भिन्न, विटामिन ई के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं।
5).कभी-कभी मैग्नीशियम का सेवन करने की सलाह दी जाती है, हालांकि इसका भी उच्च सहनशीलता स्तर (300 मिग्रा) होता है और उच्च खुराक लेने पर यह दस्तावर साबित हो सकती है। यदि आप मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेने का प्रयास कर रही हैं, तो ध्यान रहे कि आपके सभी खाद्य स्रोतों में इसकी मात्रा 350 मिग्रा से ज्यादा न हो।
6).शराब का सेवन न करें। इसका प्रभाव निराशाजनक होता है और इससे आपकी माहवारी के लक्षण बदतर हो सकते हैं।
अपने चक्र को नियंत्रित करना
शोध बतलाते हैं कि अधिक रेशेदार (फाइबर) और निम्न वसा वाला आहार अनियमित मासिक धर्म का कारण बन सकता है। एक अध्ययन में 210 महिलाओं से, जिनकी उम्र 17 और 22 के मध्य थी, से उनकी आहार सम्बन्धी आदतों और मासिक धर्म चक्र के इतिहास के बारे में पूछा गया। ऐसी महिलाओं ने जिन्होंने अनियमित माहवारी के बारे में बताया वे अपने भोजन में ज्यादा कच्चा एवं आहार (फाइबर) ले रही थीं, जबकि वे महिलाएं जोकि अधिक वसा युक्त (सेचुरेटेड) आहार ले रही थीं, का मासिक धर्म चक्र नियमित था।
शोध बतलाते हैं कि जितना अधिक आप वसा का सेवन करती हैं, उतना ही अधिक आपका शरीर एस्ट्रोजन का निर्माण करता है। साथ ही फाइबर शरीर को अतिरिक्त एस्ट्रोजन को साफ करने में मदद करता है। लीवर पित्त नली और आंत्र मार्ग के माध्यम से रक्त में से एस्ट्रोजन को खींचता है, जहां फाइबर इसे सोख लेता है और शेष को कचरे के रूप में शरीर से बाहर निकाल देता है।
अल्प समय में बहुत सारा वजन बढ़ाना या कम करना भी आपके मासिक धर्म चक्र को प्रभावित कर सकता है। ऐसी महिलाएं जोकि एनोरेक्सिक या बुलिमिक हैं अक्सर एमोहेरिया का विकास करेंगी, जिसका अर्थ है कि वे लगातार अपने तीन या अधिक माहवारी से चूक गयी हैं। आमतौर पर यह शरीर की वसा की क्षति एवं एस्ट्रोजन के निर्माण में धीमी उन्नति के कारण होता है, लेकिन बहुत ज्यादा वजन बढ़ाने से भी इसी तरह के प्रभाव सामने आते हैं।
ब्लोटिंग को कम करें
पीरियड्स के दुर्भाग्यपूर्ण लक्षण, आहार में परिवर्तन ब्लोटिंग के संकेतों एवं असहजता को कम करने में मदद करेंगे।
1). प्रतिदिन पोटेशियम से समृद्ध आहार लें जैसे जैसे बैरी, केले और अन्य ताजे फल।
२). प्रतिदिन सोडिम की मात्रा 2000 मिलीग्राम से कम कर दें। ज्यादा नमक खाने से शरीर से ज्यादा पानी निकलेगा, जिससे सूजन आयेगी।
3). प्रचुर मात्रा में पानी पिएं। इससे आपके शरीर को नमक तथा अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स आपके शरीर से बाहर करने और पानी प्रतिधारण को कम करने में मदद मिलेगी।
4). यदि आपकी ब्लोटिंग वास्तव में खराब है, तो वाटल पिल्स एवं डाइट्रिक्स कुछ राहत प्रदान कर सकती हैं।
समान्य योनी संक्रमण:
‘योनिशोध’’ (वेजीनिटीज) एक चिकित्सीय
शब्द है जोकि यौनि में संक्रमण या सूजन होने की विभिन्न स्थितियों को
वर्णित करता है। वल्वो वेजीनिटीज योनि एवं भग (महिला का बाहरी जननांग)
दोनों की सूजन का उल्लेख करता है। ये स्थितियां यौनि में संक्रमण होने के
परिणामस्वरूप होती हैं और इन संक्रमणों का कारण जीवाणु, यीस्ट और विषाणु
होते हैं, साथ ही साथ इस क्षेत्र में क्रीम, स्प्रे या कपड़े के सम्पर्क से
उत्पन्न जलन होने के कारण भी यह स्थितियां पैदा होती हैं। कुछ स्थितियों
में, योनिशोध यौन साथी से प्राप्त जीवों के कारण भी होता है।
योनि संक्रमण के क्या लक्षण हैं?
संक्रमण
के कारण पर निर्भर कर लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को बिल्कुल
भी लक्षण दिखलाई नहीं पड़ते। योनिशोध के सामांय लक्षणों में शामिल हैंः
1. अप्रिय गंध के साथ असमान्य योनि स्राव
2. पेशाब के दौरान जलन
3. योनि के बाहर चारों ओर खुजली
4. संभोग के दौरान तकलीफ
योनि संक्रमण के सबसे समान्य प्रकार क्या हैं?
योनि संक्रमण के 6 सामांय प्रकार हैं:
1. केनडिडा या ‘‘यीस्ट’’ संक्रमण
2. बैक्टीरियल वेजिनोसिस
3. ट्राइकोमानाइसिस योनिशोध
4. क्लैमाइडिया योनिशोध
5. वायरल योनिशोध
6. गैर-संक्रामक योनिशोध
योनिशोध
के इन 6 मुख्य कारणों को आप बेहतर ढंग से समझाने के लिए हम आपको इनमें से
प्रत्येक के बारे में संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं। साथ ही हम यह भी
बतायेंगे कि इनका इलाज कैसे किया जा सकता है।
केनडिडा या योनि ‘‘यीस्ट’’ संक्रमण क्या होता है?
जब
अधिकांश महिलाएं ‘‘योनिशोध’’ शब्द की बात करती हैं, तो यह योनि का यीस्ट
संक्रमण होता है। कवकों की अनेक प्रजातियांे में से एक के कारण योनि यीस्ट
संक्रमण होता है, जिसे केनडिडा कहते हैं। केनडिडा अल्प मात्रा में योनि में
होता है, और इसी के साथ-साथ पुरूषों और महिलाओं दोनों के मुंह और पाचन
तंत्र में भी होता है।
यीस्ट इंफेक्शन निरंतर एक मोटा, श्वेत योनि
स्राव पैदा कर सकता है हालांकि योनि स्राव हमेशा ही नहीं होता। यीस्ट
इंफेक्शन से अक्सर योनि में लालपन और खुजली होती है।
क्या योनि यीस्ट संक्रमण (वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन) यौन सम्बन्ध बनाने से संचारित होते हैं?
यीस्ट संक्रमण आमतौर पर यौन सम्बन्ध बनाने से संचारित नहीं होते हैं और इनको यौन संचारित बीमारी नहीं माना जा सकता।
आपके योनि यीस्ट संक्रमण (वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन) बढ़ने के क्या कारक होते हैं?
आपके योनि यीस्ट संक्रमण (वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन) के जोखिम बढ़ने के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैंः
1.
हाल ही में एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार करवाने पर। उदाहरण के लिए, किसी
संक्रमण के इलाज के लिए कोई महिला एंटीबायोटिक का सेवन करती है और
एंटीबायोटिक उन अनुकूल बैक्टीरिया को भी मार देता है जोकि आमतौर से उसके
यीस्ट को संतुलन में रखता है। परिणामस्वरूप, यीस्ट बढ़ता जाता है और
संक्रमण पैदा करता है।
2. अनियंत्रित मधुमेह। इससे पेशाब और योनि में बहुत ज्यादा शुगर हो जाती है।
3. गर्भावस्था जिसकी वजह से हॅार्मोन स्तरों में परिवर्तन आता है।
योनि यीस्ट संक्रमण (वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन) का इलाज कैसे किया जाए?
यीस्ट
संक्रमण का इलाज योनि में रखी जाने वाली दवा से होता है। यह दवा क्रीम या
सपोसिटरी के रूप में हो सकती है और इनमें से अनेक बिना डाॅक्टर से परामर्श
लिए सीधे मेडिकल स्टोर पर जाकर खरीदी जा सकती हैं। गोली के रूप में मुंह के
माध्यम से सेवन की जाने वाली दवा डाॅक्टर के परामर्श से इस्तेमाल की जा
सकती है।
योनि यीस्ट संक्रमण (वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन) के बचाव के लिए मैं क्या करूं?
यीस्ट संक्रमण से बचाव के लिए, आपको चाहिएः
1. प्राकृतिक फाइबर (काॅटन, लिनेन, सिल्क) से बने ढीले वस्त्र पहनें।
2. चुस्त पेंट न पहनें।
3. डूश (साफ) न करें। (डूश करने से फफूंद को नियंत्रण करने वाले जीवाणु मर सकते हैं)
4. फेमिनिन डियोडरेंट का सीमित उपयोग करें।
5. डियोडरेंट टेम्पाॅन या पैड्स का जरूरत पड़ने के समय पर सीमित इस्तेमाल करें।
6. गील कपड़ों को विशेषकर स्नान करने के कपड़ों को जितना जल्दी संभव हो बदल लें।
7. अक्सर हाॅट टब बाथ लेने से बचें।
8. अंडरवीयर को हाॅट वाटर से धोएं।
9. संतुलित आहार लें।
10. दही का सेवन करें।
11. यदि आपको शुगर हो, तो जितना संभव हो अपने ब्लड शुगर लेवल को नार्मल रखें।
यदि
आपको अक्सर यीस्ट संक्रमण होने लगे, तो डाॅक्टर को अपनी समस्या बताएं।
डाॅक्टर कुछ टेस्ट करेंगे जिससे कि आपको अन्य दवा स्थितियों पर रखा जा सके।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस क्या होता है?
हालांकि
जब अधिकांश महिलाएं योनि संक्रमण (वेजिनल इंफेक्शन) के बारे में सोचती
हैं, तो ‘‘यीस्ट’’ नाम सर्वाधिक उनके मुंह पर आता है। प्रजनन उम्र में
महिलाओं में बैक्टीरियल वेजिनोसिस सबसे आम प्रकार का योनि संक्रमण (वेजिनल
इंफेक्शन) होता है। योनि संक्रमण (वेजिनल इंफेक्शन) अनेक बेक्टीरिया के
मिश्रण से होता है। जब योनि संतुलन (वेजिनल बेलेंस) बिगड़ जाता है, तो ये
जीवाणु (बैक्टीरिया) उसी प्रकार अत्यधिक मात्रा में विकसित होते हैं जिस
प्रकार केनडिडा की स्थिति में विकसित होते हैं। इस अत्यधिक विकास का कारण
ज्ञात नहीं है।
क्या यौन सम्बन्ध बनाने से बैक्टीरियल वेजिनोसिस संचारित होता है?
यौन
सम्बन्ध बनाने से बैक्टीरिया वेजिनोसिस संचारित नहीं होता लेकिन उन
महिलाओं में अधिक सामान्य होता है जोकि यौनरूप से सक्रिय होती हैं। साथ ही
यह कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं है लेकिन एक महिला से दूसरे को यौन
सम्बन्ध बनाने से संचारित होने के जोखिम को बढ़ा सकती है और साथ ही सर्जरी
प्रक्रियाओं के बाद श्रोणि सूजन बीमारी (पेलविक इन्फ्लेमेटरी डिसीज) जैसे
गर्भपात और गर्भाशय के जोखिम को भी बढ़ा सकती है। गर्भावस्था के दौरान जिन
महिलाओं को संक्रमण है, उनमें जल्दी प्रसव और समय से पहले जन्म का खतरा बढ़
जाता है। हाल ही में किए गए शोध इस रिश्ते को सहयोग नहीं करते।
बैक्टीरियल बेजिनोसिस के क्या लक्षण हैं?
बैक्टीरियल
वेजिनोसिस से ग्रस्त 50 प्रतिशत महिलाओं को किसी तरह के लक्षण नहीं होते
हैं। अधिकांश महिलाओं को अपना वार्षिक प्रसूति परीक्षण करवाने पर इस
संक्रमण का पता चलता है। लेकिन यदि कोई लक्षण दिखलाई पड़ते हैं, तो उनमें
निम्नलिखित शामिल हैं.
1. श्वेत या रंगहीन स्राव
2. ऐसा स्राव जिसमें मछली जैसी गंध आती है और अक्सर यौन सम्बन्ध बनाने के बाद बहुत तीव्र होती है।
3. पेशाब के दौरान दर्द
4. योनि में खुजली और दर्द।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस की पहचान कैसे की जा सकती है?
यदि
आपको बैक्टीरियल वेजिनोसिस है, तो आपके डाॅक्टर आपको जानकारी देंगे। यदि
आपकी जांच करेंगे और आपकी योनि से द्रव का नमूना लेंगे। सूक्ष्मदर्शी से इस
नमूने की जांच की जायेगी। अधिकांश मामलों में, यदि आपको बैक्टीरियल
वेजिनोसिस है, तो आपके डाॅक्टर आपको तुरंत सूचित कर देंगे।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस का क्या इलाज है?
बैक्टीरियल
वेजिनोसिस का इलाज डाॅक्टर द्वारा सुझायी गईं दवाओं से ही संभव है। केवल
मेडिकल स्टोर से मांग कर खरीदी जाने वाली दवा से बैक्टीरियल वेजिनोसिस का
इलाज नहीं होगा। बैक्टीरियल वेजिनोसिस से सबसे आमतौर से सुझायी गयीं दवाएं
मेट्रोनिडाजोल (फ्लेगाइल) और क्लींडामाइसीन (सिलोसिन) है। इन दवाओं को गोली
के रूप में लिया जा सकता है या फिर क्रीम या जैल के रूप में भी इस्तेमाल
किया जा सकता है।
यदि मैं गर्भवती हूं, तो क्या बैक्टीरियल वेजिनोसिस के लिए मेरा इलाज हो सकता है?
हां।
लेकिन गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान बैक्टीरियल वेजिनोसिस की
दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यदि आप गर्भवती हैं, तो अपने
डाॅक्टर को सूचित करें। साथ ही यदि आप गर्भवती हो सकती हैं, तो भी अपने
डाॅक्टर को जानकारी दें। आप और आपके डाॅक्टर विचार-विमर्श कर यह तय करेंगे
कि संक्रमण का इलाज किया जाना चाहिए अथवा नहीं।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस से मैं अपना बचाव कैसे कर सकती हूं?
बैक्टीरियल
वेजिनोसिस से बचाव के तरीके अभी तक ज्ञात नहीं हैं। स्त्री स्वच्छता
(फीमेल हाइजीन) उत्पाद जैसे डाउस और डियोडरेंट से इस संक्रमण का इलाज संभव
नहीं है। इन उत्पादों से तो संक्रमण और बदतर हो सकते हैं।
मुझे डाॅक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
आप किसी भी समय डाॅक्टर से सम्पर्क कर सकती हैं, यदिः
1. यदि आपकी योनि से निकलने वाले स्राव का रंग बदल रहा है, स्राव भारी हो जाता है या भिन्न-भिन्न तरीके की गंध आती है।
2. आपको योनि के आसपास खुजली, जलन, सूजन या दर्द का अनुभव होता है,मासिक शीघ्र आ रहा है.
निजी स्वच्छता
स्वच्छता एवं अच्छी आदतें आमतौर पर संक्रमण के विरूद्ध एक बचाव की विधि
माने जाते हैं। व्यापक वैज्ञानिक संदर्भ में, स्वच्छता स्वास्थ्य एवं
स्वस्थ रहन-सहन का रखरखाव है। स्वच्छता की सीमाएं घरेलु दायरें में निजी
स्वच्छता से लेकर व्यावसायिक स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य तक है।
स्वच्छता में स्वस्थ आहार, साफ-सफाई, और मानसिक स्वास्थ्य शामिल है। खुद को
बीमारी से दूर रखने का सबसे प्रभावी तरीका एक अच्छी निजी स्वच्छता बनाकर
रखना है। इसका अर्थ सिर्फ अपने शरीर को साफ रखना ही नहीं है। स्वच्छता का
अर्थ छींक और खांसी से सावधान रहना, जब आप बीमारी होती हैं, तो उन चीजों को
धोना जिन्हें आप छूती हैं, कूडेदान में टिश्यू (जिसमें रोगाणु हो सकते
हैं) को फेंकना, जब आप संक्रमित होने के जोखिम पर हों, तो बचावकारी उपकरण
(जैसे दस्तानें या कोंडम) इस्तेमाल करना। निजी स्वच्छता में शामिल हैं
स्वास्थ्य व्यवहार जैसे नहाना, अपने बालों को धोना, अपने दांतों को साफ
करना, और अपने कपड़ों को साफ रखना। अच्छी स्वच्छता बनाए रखकर आप संक्रमण से
लड़ते हैं क्योंकि स्वच्छता आपकी त्वचा (स्किन) पर जीवाणुआंे (बैक्टीरिया)
को विकसित नहीं होने देती।
मुंह की देखभाल - मुंह
में खाद्य पदार्थों के अंश नुकसान पहुंचाते हैं और जीवाणुओं को विकसित
होने का कारण बनते हैं, जिससे व्यक्ति की सांस से बदबु आती है। ये जीवाणु
दांतों को भी क्षति पहुंचा सकते हैं और दांतों में छिद्र (केविटी) होने का
कारण भी बन सकते हैं। अपने दांतों को कम से कम दिन में दो बार ब्रुश जरूर
करें। एक बार सुबह और एक बार सोते समय। कुछ लोग तो कुछ भी खाने के तुरंत
बाद अपने दांतों को साफ करते हैं। दांतों को 2-3 मिनट तक ब्रुश करने की
सलाह दी जाती है। प्रत्येक 2 महीने में टूथब्रुश को बदल देना चाहिए।
टूथब्रुश पर थोड़ी सी मात्रा में टूथपेस्ट लें और एक बार में कुछ दांतों को
हल्के से ब्रुश करें। ब्रुश करने के बाद, आपको अपने मुंह को पानी से धोना
चाहिए। टूथपेस्ट को निगले नहीं।
शारीरिक गंध
हमारा शरीर दो प्रकार के पसीने को उत्पन्न करता है: उत्सर्गी और
शिखरस्रावी। शिखरस्रावी शरीर की गंध है। यह कमर और बगलों में पायी जाती है।
जब पसीने से तर गंध उत्पन्न होती है तभी शिखरस्रावी गंध हमारे शरीर पर
जीवाुणओं से प्रतिक्रिया करती है। दूसरों की अपेक्षा हम में से कुछ अधिक
सक्रिय शिखरस्रावी ग्रंथियों से ग्रस्त रहते हैं। और हम में से कुछ अपने
शरीर के जीवाुणओं से छुटकारा पाने में सफल नहीं हो पाते हैं।
इन सुझावों पर अम्ल करें:
1. सेफगार्ड या डायल जैसे एंटीबैक्टीरियल साबुन से दिन
मंे कम से कम एक बार स्नान जरूर करें। यदि समस्या से जल्दी निजात न मिले,
तो pHisoHex जैसे निर्देशित साबुन का इस्तेमाल कर सकती हैं।
2. एल्युमीनियम या जिंक वाले डियोडरेंट का उपयोग करें। ये
दोनों ही मेटल गंध से उत्पन्न जीवाणुओं को मार देते हैं। ऐसी महिलाएं
जिन्हें बहुत ज्यादा पसीना आता है, को एल्युमीनियम क्लोराइड निहित
पसीना-रोधी/डियोडरेंट का इस्तेमाल करना चाहिए।
3. अक्सर कपड़ों को धोएं। भले ही आप कितनी व्यस्त क्यों न
हों। साफ-सफाई तो बहुत जरूरी है। गंध से लड़ने वाले डिटर्जेंट जैसे टाइड
का इस्तेमाल कर घर पर ही कपड़े धोए जाएं।
4. दिन के दौरान, जितनी बार जरूरी हो, बाथरूम में जाकर शरीर को तौलिये से साफ करें।
हाथ साफ रखना
1. अधिकांश संक्रमण विशेषतौर से ठंड और आंत्रशोध तब हमें चपेट में ले लेते
हैं, जब हम अपने हाथों धोते नहीं हैं। आमतौर पर हाथों पर रोगाणु होते हैं।
हाथ और कलाइयां साफ साबुन और पानी से से धोने चाहिए, यदि आपकी उंगलियों के
नाखून गंदे हैं, तो ब्रुश का इस्तेमाल करें। किसी साफ वस्तु से अपने हाथों
को सुखाएं जैसे पेपर टॉवल या या हॉट एयर ड्रायर।
आपको हमेशा हाथ धोने चाहिए:
1. टोइलेट जाने के बाद
2. खाना पकाने और खाने से पहले
3. कुत्तों और अन्य जानवरों को संभालने के बाद
4. यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के आसपास हैं जिसे खांसी या ठंड लगी हुई है।
बाल
जैसा कि बाल निरंतर झड़ते रहते हैं इससे खाना दूषित हो सकता है इसीलिए खाने
पकाने वाली महिला को अपना सिर एक उपयुक्त वस्त्र से ढक लेना चाहिए जोकि
पीठ के पीछे से पर्याप्त तरीके से बंधा हो। बालों को काढ़ना और समायोजित
करने की प्रक्रिया खाना तैयार करने और संभालने के क्षेत्र में न की जाए।
त्वचा की देखभाल
त्वचा को साफ रखने के लिए साबुन और पानी आवश्यक हैं। भारत जैसे
उष्णकटिबंधीय देशों में दिन में एक या दो बार स्नान करने की सलाह दी जाती
है। ऐसे लोग जोकि खेल की गतिविधियों में या ऐसी गतिविधियों में जिसमें शरीर
से पसीना निकलता है, उन्हें इन गतिविधियों के बाद स्नान करना चाहिए। एक
अच्छा साबुन शरीर को स्वच्छ रखने में कारगर साबित होगा। जर्मीशिडल या
एंटीसेप्टिक साबुन दैनिक स्नान के लिए आवश्यक नहीं हैं। शरीर को रगड़ने के
लिए आप बाथ स्पंज का इस्तेमाल कर सकते हैं। बैक ब्रुश और हील स्क्रबर्स भी
उपलब्ध हैं। लेकिन घर्षण वाली सामग्री का उपयोग न करें। एक साफ तौलिया से
सुखाना बहुत जरूरी है। साबुन और तौलिया अपना ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
मध्यम उम्र तक पहुंचते-पहुंचते त्वचा थोड़ी सी रूखी हो जाती है। इसके लिए
कोई नमी वाला तेल या क्रीम इस्तेमाल करें। रात में इसका प्रयोग करना बेहतर
है, क्योंकि यदि आप धूप में बाहर निकलेंगी या धूली भरी सड़कों पर घूमेंगी
तो, गीली त्वचा पर धूल चिपक जायेगी और धूप में निकलने से त्वचा भी भूरी हो
जायेगी।
नाखून की देखभाल
नाखून को बदलने में पांच महीने लगते हैं। अपने नाखून तब ही बढ़ाएं जब आप
उनको साफ रख सकती हैं। छोटे नाखूनों से ज्यादा परेशानी नहीं होती है। छोटे
नाखूनों को एक अच्छा आकार दिया जा सकता है। उन्हें इतना छोटा भी न काटें कि
ये आपकी त्वचा में चुभें। एक स्वस्थ शरीर स्वस्थ नाखूनों की निशानी होता
है। बहुत ही नाजुक या रंगहीन नाखून शरीर में किसी कमी या बीमारी की स्थिति
को इंगित करते हैं।
मासिक धर्म स्वच्छता
कोई भी महिला माहवारी के दौरान पूरी तरह से सहज महसूस नहीं करती है। उन्हें
किसी न किसी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यदि प्री मेनेस्ट्राॅल
तनाव या पेड में ऐंठन की दिक्कत नहीं है, तो मासिक धर्म प्रवाह की समस्या
हो सकती है। इन दिनों में साफ-सफाई (धुलाई) पर ध्याना देना महत्वपूर्ण होता
है। इन दिनों में स्नान पर रोक नहीं लगानी चाहिए। कुछ महिलाओं को मासिक
धर्म के दौरान गंध की समस्या का सामना करना पड़ता है। स्वच्छता और जितना
जल्दी संभव हो पैड बदलना इसका समस्या को कम कर सकता है। पर हम आपको सलाह
देंगे कि आप परफ्यूम वाले पैड्स इस्तेमाल न करें। वास्तव में, जननांग
क्षेत्रों में पाउडर का इस्तेमाल न करें।
निजी स्वच्छता बनाए रखने के लिए इन बुनियादी बातों को अपने दिमाग में रखना
बहुत जरूरी है। खुद को साफ रखने के साथ ही अपना घर भी साफ-सुथरा रखना जरूरी
है। आजकल निजी स्वच्छता बनाए रखना एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गया है।
आजकल लोग ज्यादा सतर्क हो गए हैं और जो भी उनकी वर्तमान स्थिति है, वे उसे
बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।
मूत्राशय (ब्लैडर) से सम्बन्धित जानकारियां:
मूत्राशय (ब्लैडर) से सम्बन्धित जानकारियां:
अधिकांश महिलाएं जब 40 की उम्र पर
पहुंच जाती हैं, तो वे इतनी शर्मीली होती हैं कि अपनी मूत्राशय (ब्लैडर) की
समस्याओं को किसी साथ साझा करने में उन्हें हिचक महसूस होती है। यहां तक
कि डाॅक्टर के सामने भी वह अपनी समस्या नहीं रख पाती हैं। मूत्राशय
सम्बन्धित जिन समस्याओं का महिलाओं को सामना करना पड़ता है उनमें शामिल हैं
पेशाब का रिसना, अतिसक्रिय मूत्राशय की वजह से अक्सर पेशाब आना और पेशाब
सम्बन्धी असयंमता के अन्य लक्षण। महिलाओं में ये मूत्राशय की समस्याएं
बच्चों को जन्म देने के परिणामस्वरूप या उम्र बढ़ने का प्राकृतिक हिस्सा हो
सकती हैं। हालांकि, मूत्रविज्ञान एवं प्रसूतिशास्त्र के क्षेत्रों में
नई-नई तकनीकियां मूत्राशय की समस्याओं से पीडि़त महिलाओं को ज्यादा से
ज्यादा मदद की पेशकश कर रही हैं।
25-40 वर्ष की उम्र की महिलाओं में सामान्य मूत्राशय की समस्याएं
1.
मूत्र रिसाव- अधिकांश महिलाओं को अनियंत्रण का अनुभव होता है। जब वे
व्यायाम करती हैं, जोर से हंसती हैं, खांसती हैं या छींकती भी हैं, तो उनका
मूत्र रिसाव हो जाता है। गर्भवती महिलाओं को मूत्र रिसाव की शिकायत होती
है और साथ ही ऐसी महिलाएं जो रजोनिवृत्ति की स्थिति में पहुंच गयी हैं,
उनको भी इस प्रकार की मूत्राशय नियंत्रण सम्बन्धी शिकायतें होती हैं। कड़ी
खेल-कूद गतिविधियों के कारण, सभी उम्र की महिला खिलाडि़यों को कभी-कभी
मूत्राशय रिसाव की समस्या होती है।
2. अचानक तेजी से पेशाब की अनुभूति
होने पर यह अनियंत्रण होता है। यह मूत्राशय नियंत्रण की समस्या है और
मधुमेह, स्ट्रोक, संक्रमण या किसी अन्य चिकित्सीय स्थिति से तंत्रिका
(नर्व) की क्षति के कारण भी ऐसा हो सकता है।
3. मिश्रित अनियंत्रण तनाव
एवं पेशाब आने की तीव्र अनूभूति के परिणाम स्वरूप होता है। रिसाव होने से
पहले अचानक अनियंत्रित पेशाब आने की अनुभूति होती है।
4. यदि चलने-फिरने की समस्याओं के कारण पेशाब रिसने की समस्या है, तो यह शरीर की कार्यात्मकता सम्बन्धी शिकायत है।
5.
एक अतिसक्रिय मूत्राशय में दिन में आठ या उससे अधिक बार पेशाब आने की
अनभूति होती है। गर्भवती महिलाएं अस्थाईतौर से अतिसक्रिय मूत्राशय से
पीडि़त हो सकती हैं जिसका कारण हाॅर्मोनल परिवर्तन और मूत्र मार्ग पर
विकसित होते गर्भाशय के खिंचाव का दबाव है।
6. मूत्राशय में पीड़ा,
पेशाब करने की जरूरत और पेशाब कर पाने में असमर्थता, युरीन स्ट्रीम का
कमजोर होना और मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न कर पाने की असमर्थता महिलाओं
की अन्य मूत्राशय समस्याएं हैं।
यह
समझ लें कि ऊपर वर्णित मूत्राशय सम्बन्धी असयंमताएं कोई बीमारी नहीं हैं।
यह एक चिकित्सीय समस्या है जिसमें डाॅक्टर की मदद की जरूरत है।
आमतौर पर जब महिलाएं 45 की उम्र पर
पहुंचती हैं, तो अतिसक्रिय मूत्राशय, मूत्राशय की दीवार में अचानक
मांसपेशियों के स्वैच्छिक संकुचन होने के कारण होता है। अतिसक्रिय मूत्राशय
मूत्र के अचानक एवं न रूकने वाली तत्कालिता के कारण होता है। अतिसक्रिय
मूत्राशय अन्यों के बीच सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, व्यावसायिक एवं यौन
समस्याओं का कारण बनता है। बारबार मूत्र आना और मूत्र की तत्कालिता को इस
स्थिति के लक्षणों के रूप में निर्धारित किया जा सकता है।
अतिसक्रिय मूत्राशय के कारण
मूत्राशय
असंयमता आवश्यक नहीं है कि वृद्धावस्था में हो, यह किसी भी उम्र में हो
सकती है। यह समझ लेना चाहिए कि मूत्राशय असंयमता कोई बीमारी नहीं है। यह एक
चिकित्सीय समस्या है और डाॅक्टर की मदद कारगर होती है।
यह एक ऐसा लक्षण
है जोकि अन्य स्थितियों जैसे शुगर, स्ट्रोक, एकाधिक सिरोसिस और नर्व
(तंत्रिका) बीमारियों की वजह से हो सकता है। उम्र, बीमारी और चोट के साथ
स्थिति बदतर हो सकती है। अतिसक्रिय मूत्राशय नर्व (तंत्रिका) या मस्तिष्क
से सम्बन्धित बीमारी जैसे पारकिनसंस बीमारी की शिकायत से विकसित हो सकती
है। योनि या मूत्र मार्ग के संक्रमण या कब्ज से मूत्राशय असंयमता के अस्थाई
लक्षण पैदा हो सकते हैं। कुछ दवाएं भी अतिसक्रिय मूत्राशय समस्याओं का
कारण बनती हैं।
अतिसक्रिय मूत्राशय के लक्षण
मूत्र आने की तत्कालिता एवं शौच जाने में असमर्थता सबसे प्रमुख लक्षण
हैं। शौच जाने से पहले ही महिला को मूत्र रिसाव हो जाता है। मूत्र की
बारंबारता, एक दिन में सात बार से अधिक और रात में दो बार से अधिक मूत्र
आना अन्य लक्षण हैं। निशामेह (नोकटूरिया) और रात में एक से अधिक बार शौच
जाना अतिसक्रिय मूत्राशय के अन्य लक्षण हैं। तनाव से लक्षण बदतर हो सकते
हैं और चाय, काॅफी, कोला और एल्कोहल का सेवन करने से कैफिन के कारण अधिक
बदतर हो सकते हैं।
महिलाओं में मूत्राशय की समस्याओं का इलाज
आंकड़े
बतलाते हैं कि मूत्राशय असंयमता का इलाज कराने वाली 10 में से 8 महिलाओं
के रोग में सुधार आता है या रोग ठीक भी हो जाता है। अतिसक्रिय मूत्राशय के
इलाज विकल्प रोगी की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
कुछ निर्देशित इलाज नीचे दिए जा रहे हैं:
1. पेल्विक मांसपेशी पुनर्वास पेल्विक मांसपेशी टोन में सुधार लाने के लिए और युरीन के लीकेज को रोकने के लिए अपनाया जाता है।
2. नियमित व्यायाम से पेल्विक मसल्स में सुधार आ सकता है और मूत्र असंयमता को विशेषकर, युवतियों में, रोका जा सकता है।
3. जागरूकता लाने के लिए एवं पेल्विक मसल्स के नियंत्रण के लिए पेल्विक एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है।
4. योनि भार प्रशिक्षण एक ऐसी तकनीक है जिसमें योनि की मांसपेशियों को कसकर योनि के छोटे-छोटे भार लिए जाते हैं।
5.
पेल्विक फ्लोर इलेक्ट्रिकल स्टीमुलेशन (उत्तेजना) मांसपेशियों के संकुचन
में मदद करता है और अन्य व्यायाम के साथ संयोजन के रूप में किया जाना
चाहिए।
6. व्यवहार थेरेपी को अपनाया जा सकता है जो ब्लैडर पर नियंत्रण
प्राप्त करने में सहायक हो सकती है। ये खाली अंतराल के बीच इच्छा का
प्रतिरोध करने तथा स्वतः उसे बढ़ाने में सहायता करते हैं।
7. कुछ दबाएं
अति क्रियाशील ब्लैडर के लिए संयम में सुधार लाने के लिए प्रयोग की जा सकती
है। इस्ट्रोजन या तो मौखिक या योनि मार्ग से अन्य उपचारों के साथ मिलकर उन
महिलाओं के लिए लाभदायक हो सकती है जिनका मासिक धर्म बंद हो चुका हो। फिर
भी, इनका प्रयोग किसी चिकित्सक के परामर्श पर ही किया जाना चाहिए।
8. कुछ सामान्य आहार और जीवन शैली संबंधी कदम भी अति क्रियाशील ब्लैडर के विनियमन में सहायक हो सकते हैं।
9.
चाय, काॅफी, कोला में मौजूद कैफीन मूत्रवर्धक प्रभाव डालते हैं और
तत्कालीनता संबंधी लक्षणों को बदत्तर बनाने के लिए ब्लैडर को उत्तेजित करते
हैं।
10. मदिरापान को बंद करने की सलाह दी जाती है क्योंकि कैफीन वाली पेय पदार्थों जैसा ही सिद्धांत यहां भी लागू होता है।
11.
जबकि कुछ लोग सोचते हैं कि तरल पदार्थों को कम मात्रा में ग्रहण करना
समझदारी होगी, पर इसकी सलाह नहीं दी जाती क्योंकि इससे मूत्र अधिक गाढ़ा
होकर ब्लैडर की मांसपेशियों में जलन उत्पन्न कर सकता है। सलाह दी जाती है
कि प्रतिदिन सामान्य मात्रा में पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए। आमतौर पर
6 से 8 गिलास पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए तथा गर्मी के मौसम में शायद
इससे ज्यादा।
12. ब्लैडर प्रशिक्षण जिसे ‘ब्लैडर ड्रिल‘ कहा जाता है,
इसका लक्ष्य ब्लैडर को खींचकर ज्यादा मात्रा में मूत्र को रोकना होता है।
समय के साथ-साथ, ब्लैडर की मांसपेशियों की क्रियाशीलता कम हो जाती है और
अधिक ब्लैडर नियंत्रण प्राप्त हो जाता है।
13. अगर अति क्रियाशील ब्लैडर
सिंड्रोम का उपचार उपरोक्त उपचारों द्वारा सफलतापूर्वक नहीं हो पाता तो
शल्य चिकित्सा करने की आवश्यकता पड़ती है। जिन शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं
का प्रयोग किया जा सकता है उनमें शामिल हैं -
14. सैकरल नर्व स्टीम्युलेशन जहां ब्लैडर में कुछ लगा दिया जाता है जो उसे समानता और सामान्यतः सिकुड़ने में सहायता करता है।
15.
आगमेंटेशन साईटोप्लासटी एक प्रक्रिया जिसके आंतों से तंतु का एक टुकड़ा
लेकर ब्लैडर की दीवार में लगाया जाता है जिससे ब्लैडर का आकार बड़ा हो जाता
है। इस शल्य चिकित्सा के बादा मूत्र सामान्य तौर पर त्यागा जा सकता है।
16.
यूरिनरी डाईवर्जन एक ऐसी शल्य चिकित्सा है जो यूटरस से ब्लैडर तक सीधा
मार्ग बनाती है, यह शरीर से बाहर इस प्रकार होता है ताकि मूत्र ब्लैडर में न
जाए। यह विभिन्न प्रकार से किया जाता है तथा इसे तभी अपनाया जाता है जबकि
अन्य विकल्प अति क्रियाशील ब्लैडर सिंड्रोम का उपचार करने में असफल रहते
हैं।
स्तन कैंसर की पहचान कैसे करें?
स्तन कैंसर की पहचान आरिम्भक अवस्था में कैसे की जाए!स्तन
कैंसर दुनियाभर की महिलाओं को परेशान करने वाले शीर्ष दस कैंसरों में से
एक है। जैसे-जैसे किसी महिला की उम्र बढ़ती जाती है, इस बीमारी के बढ़ने का
खतरा भी बढ़ता जाता है। हालांकि, अन्य कैंसरों की अपेक्षा, स्तन कैंसर के
आरम्भिक लक्षणों की पहचान करना आसान है।
यह जरूरी है कि आपके
पास इस रोग के बारे में पूरी जानकारी हो। अपना बचाव करने के लिए, आप सर्तक
रहें कि कहीं आपको स्तन कैंसर के इन आरम्भिक लक्षणों का अनुभव तो नहीं हो
रहा हैः
1) स्तन में कोमलता - अधिकांश महिलाओं को अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान
अपने स्तन में कोमलता का अनुभव होता है, लेकिन शेष दिनों में ऐसा होना
स्वाभाविक नहीं है। यदि आपको ऐसा अनुभव होता है, तो शायद आपको स्तन-जांच
(मेम्मोग्राम) करवा लेनी चाहिए।
2) स्तन में असामान्य गांठ- स्तन कैंसर के सबसे सामांय आरम्भिक लक्षणों में
से एक स्तन में आसामान्य गांठ का होना है। महिलाओं को खुद अपना स्तन जांच
करने की जानकारी प्रदान की जाती है, जिससे कि वे स्तन के भीतर या बगल में
किसी तरह की सतह के उभरने (गुमड़ा बनने) को अनुभव कर सकें। यह गांठ
हलकी/मामूली हो सकती है लेकिन घातक भी हो सकती है। इसलिए आपको लापरवाही
नहीं करनी चाहिए और तुरंत डाॅक्टर को दिखाना चाहिए।
3) चूचुक (निप्पल) से निर्वहन (स्राव निकलना) - स्तन कैंसर के प्रथम कुछ
चरणों के दौरान, आप अपने चूचुक (निप्पल) से कुछ विचित्र स्राव निकलने का
अनुभव कर सकती हैं। यह स्राव रक्त जैसा, पीला या हरा हो सकता है। इस स्राव
का रंग भले ही कैसा हो, आप तुरंत डाॅक्टर से मिलकर अपनी स्थिति की जानकारी
दें। स्तन कैंसर बहुत तेजी से बढ़ता है, इसीलिए जितना जल्दी इस पर गौर किया
जाए, उतना बेहतर है।
4) स्तन में सूजन- महिलाओं को अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान, स्तन में
कोमलता की ही तरह, स्वाभाविकतौर से सूजन का भी अनुभव हो सकता है। यही कारण
है कि डाॅक्टर मासिकतौर पर अपने स्तनों की स्वयं जांच करने पर जोर देते
हैं। इस प्रकार आप देख सकती हैं कि आपके स्तन के आकार में कितना परिवर्तन
है, और यदि आपको स्तन कैंसर का कोई आरम्भिक लक्षण दिखलाई पड़े, तो तुरंत
अपनी जांच (चेक-अप) करवाएं।
5) बनावट में परिवर्तन - मासिकतौर पर अपने स्तनों की स्वयं जांच करने पर आप
यह भी निर्धारण कर सकती हैं कि कहीं आपके स्तनों की बनावट में कोई
परिवर्तन तो नहीं आ गया है। आप यह भी देखंे कि कहीं स्तनों पर लाली या
गड्ढा तो नहीं है। यह भी देखंे कि कहीं चूचुक (निप्पल) पर कहीं कोई खिंचाव
(कर्षण) या पीयोड ओरेंज तो नहीं है । पीयोड ओरेंज ऐसे स्तन का उल्लेख करता
है जोकि स्तन संतरे की तरह दिखता है।
यदि कुछ गड़बड़ है,
तो आपका शरीर लक्षणों के रूप में आपको सूचित करेगा। तो इस तरह के स्तन
कैंसर के आरम्भिक लक्षणों को हलके में न लें। याद रखें, आपका स्वास्थ्य
खतरे में है। इलाज से परहेज बेहतर होता है।
योनि स्राव
द्रव, कोशिकाएं और
जीवाणुओं के मिश्रण से बना, योनि स्राव योनि से होकर बहता है। इससे कई
उद्देश्यों की पूर्ति होती है। यह साफ, चिकना, गीला, नियमित रखता है और
कीटाणुओं एवं परेशानियों से बचाता है। योनि स्राव या स्राव रोज होता है। जब
योनि हिलती ढुलती है, तो सभी पुराने, मृत योनि दीवार कोशिकाएं बाहर आ जाती
हैं। यह स्राव आमतौर पर साफ या दूधिया होता है और इसमें कोई असामांय गंध
नहीं होती है। योनि स्राव यौवन आने के एक या दो साल पहले शुरू हो जाता है
और रजोनिवृत्ति (मेनोपाॅज) के बाद आना बंद हो जाता है। कभी-कभी हल्का और
कभी-कभी बहुत ज्यादा योनि स्राव, अंडरवियर में चिपक जाता है, जिससे
लड़कियों को असहजता महसूस होती है और पेंटी लाइनर्स के उपयोग की जरूरत होती
है। प्रजननकारी उम्र की सभी महिलाओं को योनि स्राव होता है। एक सूखा, योनि
माहौल आसामान्य है। जबकि हल्का योनि स्राव प्राकृतिक एवं बहुत सामान्य
होता है। योनि स्राव की मात्रा अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग होती है।
समय-समय से, योनि स्राव में उतार-चढ़ाव आता है। किशोरियों को अपने पहले
मासिक धर्म चक्र से करीबन 6 माह से लेकर 1 वर्ष के पहले तक योनि स्राव का
अनुभव होता है। यह मासिक धर्म चक्र के बाद से रजोनिवृत्ति (मेनोपोज) तक
निरंतर होता रहता है। जब स्राव का रंग पीला या हरा हो, या फिर यह पनीर की
तरह हो या इसमें गंध आए, तो आपको डाक्टर से जांच करवानी चाहिए।
सामान्य योनि स्राव
अगर हम मात्रा की बात करें, तो, सामांय योनि स्राव की मात्रा एक बड़ी चम्मच
से ज्यादा नहीं होती है। रंग में, यह साफ से लेकर दूधिया होता है और जब हम
बनावट की बात करें तो यह पतला और चिपचिपा होता है और इसमें दुर्गंध नहीं
होती है। इससे कोई जलन या खुजली नहीं होती तथा यह अंडरगार्मेंट्स को थोड़ा
सा गीला कर देता है। इन सभी में बदलाव आ सकता है। मासिक धर्म, गर्भावस्था,
स्तनपान के दौरान, अगर यौन उत्तेजना हो, अगर भावनात्मक तौर पर तनाव हो,
पोषाक स्तर में बदलाव, दवा का सेवन करते समय, हाॅर्मोनयुक्त गर्भरोधकों की
प्रयोग विधि के कारण, योनि से होने वाले स्राव की मात्रा, वर्ण, संरचना आदि
में बदलाव आ सकता है। ये बदलाव पूर्णतः सामान्य हैं।
1. अंडोत्सर्ग (अंडों के छूटने) की अवधि के दौरान, अगले मासिक धर्म की अवधि
से लगभग 14 दिन पहले यह स्राव लगभग 30 गुणा अधिक, पतला और लचलचा होता है।
2. मासिक धर्म के अंत में, स्राव संभवताः चिपचिपा होता है।
3. स्तनपान के दौरान या फिर यदि महिला यौन उत्तेजित हो, तो योनि स्राव ज्यादा होता है
4. यदि महिला गर्भवती है या अच्छी निजी स्वच्छता का अभाव है, तो गंध अलग होगी।
5. मासिक धर्म चक्र के बाद एक या दो दिन स्राव गाढ़ा, भूरा या रंगहीन हो सकता है।
6. अल्प प्रजननक्षम अवधि के दौरान, यह स्राव श्वेत या हल्के पीले रंग का तथा गाढ़ा होता है।
असामान्य योनि स्राव
असामान्य योनि स्राव
का अर्थ है योनि में सामान्य जीवाणुओं के संतुलन में परिवर्तन का होना।
इसके परिणामस्वरूप स्राव में मात्रा में वृद्धि होती है, असामान्य गंध आती
है, योनि में द्रव की स्थिरता में परिवर्तन होता है, दर्द होता है, खुजली
या जलन होती है और रंग में परिवर्तन होता है। यह संक्रमण का संकेत हो सकता
है या फिर स्वास्थ में किसी गड़बड़ी का। असामांय स्राव से पेड़ु में दर्द
और/या बुखार आ जाता है जिसके लिए तुरंत चिकित्सीय ध्यान देने की आवश्यकता
होती है। साधारण शब्दों में, यदि किसी महिला को खुद को सामांय एवं सहज
महसूस करने के लिए दिन में कई बार पेंटी शील्ड्स के साथ अंडरवीयर को बदलने
की आवश्यकता महसूस हो, तो यह समझा जा सकता है कि उसको असामान्य स्राव की
शिकायत है। ऐसे समय में आपको डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए। असामान्य स्राव
के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। ये इनमें से किसी के कारण भी हो सकता हैः
बैक्टीरियल वेजिनोसिसः
यह जीवाणुओं की
पैदावार के असंतुलन के परिणामस्वरूप होता है। ये जीवाणु आमतौर पर योनि में
मौजूदा होते हैं जिन्हें कुछ अन्य जीवाणुओं की अधिक संख्या द्वारा हटाया
जाता हैं। विध्न पैदा करने के सटीक कारण अज्ञात हैं।
1. लक्षणों में
शामिल हैं भूरे रंग का असामांय स्राव, असामांय गंध, योनि में दर्द, खुजली
या जलन, विशेषकर पेशाब करने के दौरान, योनि या गर्भाशय में हल्की सी सूजन।
2. बैक्टीरियल वेजिनोसिस से कोई भी महिला संक्रमित हो सकती है,
3. गर्भावती महिलाओं में बहुत सामांय है, इसके परिणाम स्वरूप प्रीमेच्योर या निम्न भार वाले शिशुओं को जन्म देने की संभावना होती है।
4. अध्ययन से पता चला है कि वहुविध यौन साथी रखने वाली महिलाओं को अधिक खतरा रहता है।
5. पुरूष यौन साथी कम प्रभावित होते हैं, लेकिन बैक्टीरिया वेजिनोसिस महिला साथियों के मध्य फैल सकता है।
6. डाउचिंग भी संक्रमण में योगदान देता है।
7. प्रयोगशाला परीक्षण के बाद वेजिना को जांचने के बाद, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता बैक्टीरियल वेजिनोसिस की पहचान कर लेता/लेती है।
8. गर्भवती और गैर-गर्भवती महिलाओं के लिए एक ही तरह की एंटीबायोटिक्स दवाओं से इलाज किया जाता है।
9. इलाज के बाद भी बैक्टीरियल वेजिनोसिस हो सकता है।
वेजिनल यीस्ट इंफेक्शनः
केंडिडा के रूप में
जाने वाला एक कवक (फंगस) योनि को संक्रमित करता है। आमतौर पर एक स्वस्थ्य
योनि में यीस्ट की थोड़ी सी मात्रा पायी जाती है लेकिन यदि इसका अधिक विकास
हो जाए, तो यह वेजिनल यीस्ट संक्रमण का कारण बन सकता है।
इस प्रकार यह सूक्ष्मजीवों के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी के परिणाम के कारण है।
1. लक्षणों में
श्वेत, पनीर जैसा स्राव सहित गर्भाशय के आसपास सूजन सहित या रहित गहन खुजली
की अनुभूति, संभोग/या पैशाव करने के दौरान दर्द उठना।
2. यह आवश्यक नहीं है कि स्राव में गंध हो।
3. योनि में यीस्ट
की वृद्धि में डाउचिंग, एंटीबायोटिक का उपयोग, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र
(इम्यून सिस्टम), जन्म नियंत्रक गोलियों का सेवन, हार्मोनल परिवर्तन,
हार्मोनल थेरेपी का उपयोग योगदान देते हैं।
4. शुगर से ग्रस्त
होना, गर्भवती महिला, मेनोपोज की अवस्था में पहुंचने वाली महिलाएं, अधिक
वजन जैसी स्थितियां यीस्ट के विकास में आसानी से योगदान देते हैं।
5. वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत हो सकते हैं।
6. पेल्विक जांच, सूक्ष्मदर्शी से योनि स्राव को जांचकर लक्षणों की पहचान की जाती है।
7. प्रभावशली इलाज से लक्षण आमतौर पर खत्म हो जाते हैं।
8. इलाज के बाद अगर
संक्रमण तुरंत हो जाये या यीस्ट इंफेक्शन जिस पर कोई इलाज काम न कर सके, तो
यह माना जाता है कि कि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है।
आइये विस्तार से समझें मेनोपेाज और पेरीमेनोपोज क्या है?
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