Thursday 26 October 2017

Acupressure Points

*एक्युप्रेशर विधि के फायदे / Acupressure Points in Hindi*

 *हाथों के पाइंटस, जोड़ों को दबाना / Hand Pressure Points*

शरीर में दर्द, तनाव महसूस करने पर हाथों उगलियों के जोड़ों, उगलियों के हथेली पाईटों जोड़ों, हथेली के मध्य-बीच में 5-6 मिनट तीनो वक्त रोज दबाकर समस्याओं से आसानी से आराम पाया जा सकता है। यह एक्युप्रेशन प्रद्धति दर्द निवारण, दिमाग तनाव मुक्त रखने में कारगर है। जो लोग नित्य एक्युप्रेशर विधि करते हैं, वे समस्य विकारों से मुक्त रहते हैं।

*हाथ रगड़ना मलना / Hand Pressure Points*

दिन में 8-10 बार दोनों हाथों की हथेली को रगड़कर चेहरे पर मलें। इससे चेहरे त्वचा पर गर्माहट महसूस होगी। ऐसा करने से रक्त संचार सुचारू रहता है और साथ में उगलियों, हथेली, चेहरे त्वचा सम्बन्धित विकार हमेशा दूर रहते हैं। जिन लोगों को सर्दी, बदलते मौसम में, उगलियों में दर्द, सूजन की शिकायत रहती है। उनके लिए हाथों को रगड़कर चेहरे, गालो, हाथों को मलना फायदेमंद है।

*सरदर्द दूर एक्युप्रेशर / Pressure Points in Hand for Headache*

जिन लोगों को सरदर्द की समस्या रहती है। उनके लिए एक्युप्रेशर विधि तुरन्त फायदेमंद है। दोनों हाथों के अंगूठों से कानों को बन्दकर उगंलिया से माथा और सिर दबायें। यह सददर्द निवारण के आरामदायक एक्युप्रेशर विधि है।

*आंखों की भौं को दबायें / Eyebrow Pressure Points*

रोज सुबह उठकर आंखों की भौं - आईब्रो, आंखों के ठीक नीचें दानों हाथों से दबायें। और हाथ मले। यह एक तरह से तनाव, शरीर दर्द, साइनस निवारण का तरीका है। आंखों की भौंऐ दबाने से मस्तिष्क  तनाव मुक्त स्वस्थ रखने में सहायक है।

*नांक के निचला हिस्सा दबाना / Nose Pressure Points*

तनाव, शरीर में दर्द जकड़न समस्या महसूसस होने पर रोज आंखें बन्दकर दोनों हाथों से हल्के से दोनों आंखे 40-50 सेकेंड के लिए दबायें। यह एक तरह से आंखों के दोष, तनाव मुक्त, मस्तिष्क विकार स्ट्रोक, साइनस विकार / Sinus Infection  दूर करने का अच्छा तरीका है। हर तरह की Nasal Congestion समस्याओं को दुरूस्त करने में खास सहायक है।

*ठोडी़ दबायें / Chin points*

ठोडी, होठों के ठीक नीचे हाथ से पकड़कर रोज 10-15 सेकेंड़ तक दबायें और गर्दन हल्का ऊपर नीचे करें। ठोडी दबाने और गला साथ में गला सिर ऊपर नीचे करने से कंठ, सांस विकार दूर रखने में सहायक है।

*कंधें, बाहें दबाये / Shoulder, Arm Points*

कंधों, बाहों को हल्का हल्का दबायें। कंधे, बाहों शरीर में रक्त संचार सुचार करने मुख्य हिस्सा है। कंधे, वाहों को दबाने से शरीर दर्द, मस्तिक तनाव दूर करने का अच्छा तरीका है। इससे शरीर को तुरन्त आराम और एक तरह का सुगम अहसास होता है।

 *दोनों हाथों से कानों के नीचे गर्दन दबाना / Ears, Neck Points*

दोनों हाथों की उगंलियां आपस में फंसाकर सिर के पीछे, ठीक कानों के नीचे गर्दन दबाने से कमर दर्द और कान विकार ये आराम मिलता है।

*पैरो नसों के खिचाव तनाव प्रेशर विधि दूर करे / Nerves, Strain*

चटाई, मैट में बैठकर पैर फैलाकर बैठे। फिर हाथों से घुटने को इस तरह से पकड़े कि जिससे अंगूठा ऊपर घुटना पर और चारों उंगलियां घुटने के पीछे पसलियों नसों को दबायें। पसलियों, घुटनों दर्द, सिंचाव से निजात पाने का अच्छा तरीका है।

*बाॅडी मसाज / Body Massage*

शरीर को दर्द मुक्त और मस्तिष्क तनाव मुक्त रखने में बाॅडी मसाज खास सहायक है। परे शरीर पर बाॅडी मसाज एक्सपर्ट जानकार से करवायें।

*नंगे पांव कंकड़ पत्थरों पर चलना / Walking Barefoot*

नंगे पांव कंकड़ पत्थरों पर चलना एक तरह से पांव के तलों के पाईटस बिन्दुओं पर प्रेशर पड़ता है। पांव के तले पाईटस का शरीर से महत्वपूर्ण जुड़ाव है। नंगे पाव चलने से रक्त संचार तीब्र हो जाता है। जिससे कई तरह के रोगों जैसे सरदर्द, नसों में ब्लोकेज, हार्ट समस्याऐ, तनाव इत्यादि से छुटकारा दिलाने में खास सहायक है।

*एक्युप्रेशर पैड, चप्पल / Acupressure Slippers*

बाजार में एक्युप्रेशर पैड, चप्पले उपलब्ध हैं। एक्युप्रेशर पैड जूतों के अन्दर पहनकर, और एक्युप्रेशर काटें वाली चप्पले पहनकर चलने से पांव की नीचे बने खास पाईटस आसानी से सक्रीय हो जाते हैं

Sendha namak

*सेंधा नमक : भारत से कैसे गायब कर दिया गया*।।।

💝आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते हैं कि नमक मुख्य कितने प्रकार होते हैं !!एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !!सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। _तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !!_ क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!
💝आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता। आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।
💝भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है
💝हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ , आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है !
💝दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया
💝आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे !
💝सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?? सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
💝समुद्री नमक💝:-ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !
💝आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
💝रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं🌹 जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है🌹 जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
🌹🙏🏻 निवेदन 🙏🏻🌹:पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
💝आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।✍🏻🇮🇳🌿🌤

Coconut ke labh

🍎 *क्या आप नकसीर, अनिद्रा और पेट जैसी कई समस्याओं से परेशान हे तो करे नारियल का सेवन* ** 🍎

🍎नारियल के लाभ---👇

🔰नकसीर के लिए:--
नकसीर की समस्या कई लोगों को हो सकती है। नाक से खून निकलने पर कच्चे नारियल का पानी का सेवन नियमित रूप से करना फायदेमंद होता है। अगर खाली पेट नारियल का सेवन किया जाए तो खून का बहाव बंद हो जाता है।
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🔰दिमाग के लिए:--
नारियल खाने से याद्दाश्त बढती है। नारियल की गरी में बादाम, अखरोट एवं मिश्री मिलाकर हर रोज खाने से स्मृति में बढती है। बच्चों को नारियल खिलाना चाहिए, इससे बच्चों का दिमागी विकास होता है।
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🔰मुंहासे के लिए:--
मुंहासों से निजात दिलाने में भी नारियल बहुत फायदेमंद होता है। नारियल के पानी में खीरे का रस मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से लगाने से चेहरे के दाग-धब्बे मिटते हैं और चेहरा सुंदर एवं चमकदार होता है। नारियल के तेल में नींबू का रस अथवा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लेप करने से भी मुंहासे समाप्त होते हैं।
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🔰वजन घटाने के लिए:--
मोटापा कम करने में नारियल बहुत फायदेमंद है। नारियल में कोलेस्ट्रॉल और वसा नहीं होता है। इसलिए नारियल का सेवन करके वजन को घटाया जा सकता है। मोटे लोगों को नारियल का सेवन करना चाहिए।
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🔰अच्छी नींद के लिए:--
अगर नींद न आने की समस्या है तो नारियल का सेवन कीजिए। नियमित रूप से रात के खाने के बाद आधा गिलास नारियल का पानी पीना चाहिए। इससे नींद न आने की समस्या खतम होती है और नींद अच्छी आती है।
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🔰सिरदर्द के लिए:--
नारियल तेल में बादाम को मिलाकर तथा बारीक पीसकर सिर पर लेप लगाना चाहिए। इससे सिरदर्द में तुरंत आराम होता है।
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🔰रूसी के लिए :--
बालों में रूसी की समस्या के लिए नारियल का तेल बहुत फायदेमंद है। नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी एवं खुश्की से छुटकारा मिलता है।
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🔰पेट के लिए :--
पेट में कीड़े होने पर सुबह नाश्ते के समय एक चम्मच पिसा हुआ नारियल का सेवन करने से पेट के कीडे बहुत जल्दी मर जाते हैं।
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
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Wednesday 25 October 2017

70 Positive points

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1:- जीवन में वो ही व्यक्ति असफल होते है, जो सोचते है पर करते नहीं ।

2 :- भगवान के भरोसे मत बैठिये क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो…

3 :- सफलता का आधार है सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास !!!

4 :- अतीत के ग़ुलाम नहीं बल्कि भविष्य के निर्माता बनो…

5 :- मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे…

6 :- कामयाब होने के लिए अकेले ही आगे बढ़ना पड़ता है, लोग तो पीछे तब आते है जब हम कामयाब होने लगते है.

7 :- छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना, जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है…

8 :- यदि हार की कोई संभावना ना हो तो जीत का कोई अर्थ नहीं है…

9 :- समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बने…

10 :- जिनको सपने देखना अच्छा लगता है उन्हें रात छोटी लगती है और जिनको सपने पूरा करना अच्छा लगता है उनको दिन छोटा लगता है…

11 :- आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते है और निशचित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल देगी !

12 :- एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जानें के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले को ज़िंदगी कहते है !!!

13 :- वो सपने सच नहीं होते जो सोते वक्त देखें जाते है, सपने वो सच होते है जिनके लिए आप सोना छोड़ देते है…

14 :- सफलता का चिराग परिश्रम से जलता है !!!

15 :- जिनके इरादे बुलंद हो वो सड़कों की नहीं आसमानो की बातें करते है…

16 :- सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं…

17 :- मैं तुरंत नहीं लेकिन निश्चित रूप से जीतूंगा…

18 :- सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगें लोग…

19 :- आशावादी हर आपत्तियों में भी अवसर देखता है और निराशावादी बहाने !!!

20 :- आप में शुरू करने की हिम्मत है तो, आप में सफल होने के लिए भी हिम्मत है…

21 :- सच्चाई वो दिया है जिसे अगर पहाड़ की चोटी पर भी रख दो तो बेशक रोशनी कम करे पर दिखाई बहुत दूर से भी देता है.

22 :- संघर्ष में आदमी अकेला होता है, सफलता में दुनिया उसके साथ होती है ! जिस जिस पर ये जग हँसा है उसी उसी ने इतिहास रचा है.

23 :- खोये हुये हम खुद है और ढूढ़ते ख़ुदा को है !!!

24 :- कामयाब लोग अपने फैसले से दुनिया बदल देते है और नाकामयाब लोग दुनिया के डर से अपने फैसले बदल लेते है…

25 :- भाग्य को और दूसरों को दोष क्यों देना जब सपने हमारे है तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहियें !!!

26 :- यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल उसे कुछ न कुछ सिखा देती है !!!

27 :- झूठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते है तरक्की के बाज़ की उड़ान में कभी आवाज़ नहीं होती…

28 :- समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकते हैं…

29 :- परिवर्तन से डरना और संघर्ष से कतराना मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है.

30 :- सुंदरता और सरलता की तलाश चाहे हम सारी दुनिया घूम के कर लें लेकिन अगर वो हमारे अंदर नहीं तो फिर सारी दुनिया में कहीं नहीं है.

31 :- ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंज़िलें मेरी अपनी दौड़…

32 :- ये सोच है हम इंसानों की कि एक अकेला क्या कर सकता है, पर देख ज़रा उस सूरज को वो अकेला ही तो चमकता है !!!

33 :- लगातार हो रही असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि कभी कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी ताला खोल देती है…

34 :- जल्द मिलने वाली चीजें ज्यादा दिन तक नहीं चलती और जो चीजें ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नहीं मिलती है.

35 :- इंसान तब समझदार नहीं होता जब वो बड़ी बड़ी बातें करने लगे, बल्कि समझदार तब होता है जब वो छोटी छोटी बातें समझने लगे…

36 :- सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी ना रखना क्योंकि वे सेवा का वास्तविक मूल्य नही दे सकते है,

37 :- मुश्किल वक्त का सबसे बड़ा सहारा है “उम्मीद” !! जो एक प्यारी सी मुस्कान दे कर कानों में धीरे से कहती है “सब अच्छा होगा” !!

38 :- दुनिया में कोई काम असंभव नहीं, बस हौसला और मेहनत की जरुरत है !!!

39 :- वक्त आपका है चाहे तो सोना बना लो और चाहे तो सोने में गुजार दो, दुनिया आपके उदाहरण से बदलेगी आपकी राय से नहीं…

40 :- बदलाव लाने के लिए स्वयं को बदले…

41 :- सफल व्यक्ति लोगों को सफल होते देखना चाहते है, जबकि असफल व्यक्ति लोगों को असफल होते देखना चाहते है…

42 :- घड़ी सुधारने वाले मिल जाते है लेकिन समय खुद सुधारना पड़ता है !!!

43 :- दुनिया में सब चीज मिल जाती है केवल अपनी ग़लती नहीं मिलती…

44 :- क्रोध और आंधी दोनों बराबर… शांत होने के बाद ही पता चलता है की कितना नुकसान हुवा…

45 :- चाँद पे निशान लगाओ, अगर आप चुके तो सितारों पे तो जररू लगेगा !!!
46 :- गरीबी और समृद्धि दोनों विचार का परिणाम है…

47 :- पसंदीदा कार्य हमेशा सफलता, शांति और आनंद ही देता है…

48 :- जब हौसला बना ही लिया ऊँची उड़ान का तो कद नापना बेकार है आसमान का…

49 :- अपनी कल्पना को जीवन का मार्गदर्शक बनाए अपने अतीत को नहीं…

50 :- समय न लागओ तय करने में आपको क्या करना है, वरना समय तय कर लेगा की आपका क्या करना है.

51 :- अगर तुम उस वक्त मुस्कुरा सकते हो जब तुम पूरी तरह टूट चुके हो तो यकीन कर लो कि दुनिया में तुम्हें कभी कोई तोड़ नहीं सकता !!!

52 :- कल्पना के बाद उस पर अमल ज़रुर करना चाहिए। सीढ़ियों को देखते रहना ही पर्याप्त नहीं है, उन पर चढ़ना भी ज़रुरी है।

53 :- हमें जीवन में भले ही हार का सामना करना पड़ जाये पर जीवन से कभी नहीं हारना चाहिए…

54 :- सीढ़ियां उन्हें मुबारक हो जिन्हें छत तक जाना है, मेरी मंज़िल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है !!!

55 :- हजारों मील के सफ़र की शुरुआत एक छोटे कदम से होती है…

56 :- मनुष्य वही श्रेष्ठ माना जाएगा जो कठिनाई में अपनी राह निकालता है ।

57 :- पुरुषार्थ से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है…

58 :- प्रतिबद्ध मन को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, पर अंत में उसे अपने परिश्रम का फल मिलेगा ।

59 :- असंभव समझे जाने वाला कार्य संभव करके दिखाये, उसे ही प्रतिभा कहते हैं ।

60 :- आने वाले कल को सुधारने के लिए बीते हुए कल से शिक्षा लीजिए…

61 :- जो हमेशा कहे मेरे पास समय नहीं है, असल में वह व्यस्त नहीं बल्कि अस्त-व्यस्त है ।

62 :- कठिनाइयाँ मनुष्य के पुरुषार्थ को जगाने आती हैं…

63 :- क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है ।

64 :- आपका भविष्य उससे बनता है जो आप आज करते हैं, उससे नहीं जो आप कल करेंगे…

65 :- बन सहारा बे सहारों के लिए बन किनारा बे किनारों के लिए, जो जिये अपने लिए तो क्या जिये जी सको तो जियो हजारों के लिए ।

66 :- चाहे हजार बार नाकामयाबी हो, कड़ी मेहनत और सकारात्मक सोच के साथ लगे रहोगे तो अवश्य सफलता तुम्हारी है…

67 :- खुद की तरक्की में इतना समय लगा दो, कि किसी और की बुराई का वक्त ही ना मिले !!!

68 :- प्रगति बदलाव के बिना असंभव है, और जो अपनी सोच नहीं बदल सकते वो कुछ नहीं बदल सकते…

69 :- खुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी, लेकिन खुश होकर काम करोगे, तो ख़ुशी और सफलता दोनों ही मिलेगी ।

70 :- पराजय तब नहीं होती जब आप गिर जाते हैं, पराजय तब होती है जब आप उठने से इनकार कर देते हैं ।
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SSC Exam Question

SSC परीक्षा में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
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* सबसे हल्की धातु है - लिथियम

* सबसे भारी धातु है - ओसमियम

* सबसे कठोर धातु है - प्लेटिनम

* सबसे कठोर पदार्थ है - हीरा

* सबसे उत्तम कोयला है - एन्थ्रासाइट

* जल का शुद्ध रूप है - वर्षा का जल

* मार्श गैस कहलाता है - मीथेन

* नोबेल गैस कहलाता है - हीलियम

* विधुत धारा मापी जाती है - आमीटर से

* पारा का प्रमुख अयस्क है - सिनेबार

1 टेलीविजन का अविष्कार किया-जे. एल. बेयर्ड (John Logie Baird)

2 रडार का अविष्कार किया-टेलर एवं यंग

3 गुरूत्वाकर्षण की खोज किसने किया-न्युटन ने

4 सिरका व अचार में कौन सा अम्ल होता है-एसिटिक अम्ल

5 निबू एवं नारंगी में कौन सा अम्ल होता है-साइट्रिक अम्ल

6 दूध खट्टा होता है-उसमें उपस्थित लैक्टिक अम्ल के कारण

7 मतदाताओं के हाथ में लगाये जाने वाली स्याही होती है-सिल्वर नाइट्रेट

8 पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है-पश्चिम से पूर्व की ओर

9 प्याज व लहसुन में गंध होता है-उसमें उपस्थित पोटैशियम के कारण

10 x-किरणों की खोज की-रोन्ट्जन ने

11 स्कूटर के अविष्कारक-ब्राड शा

12 रिवाल्वर के अविष्कारक-कोल्ट

13 समुद्र की गहराई नापते हैं-अल्टी मीटर द्वारा

14 डी.एन. ए. संरचना का माडल दिया-वाटशन व क्रिक ने

15 प्रयोगशाला में बनने वाला पहला तत्व-यूरिया

16 टेलिफोन के अविष्कारक-ग्राहम बेल

17 भारत द्वारा छोडा गया पहला उपग्रह-आर्य भट्ट

18 पेन्सिलीन की खोज की-एलेक्जेन्डर फ्लेमिंग ने

19 चेचक के टीके की खोज की-जेनर ने

20 जीव विज्ञान के जन्मदाता-अरस्तु

21 डाइनामाइट के अविष्कारक-अल्फ्रेड नोबल

22 चन्द्रमा पर उतरने वाला पहला आदमी-नील आर्म स्ट्रांग

23 अंतरिक्ष में जाने वाले पहले आदमी-यूरी गगारिन

24 सबसे बडी हड्डी-फीमर जांघ की

25 सबसे छोटी-स्टेपिज कान की

26 संसार का सबसे बडा पुष्प-रेफ्लेसीया

27 किस विटामिन में कोबाल्ट होता है-B12

28 एनिमिया किस विटामिन से ठीक हो जाता है- B12

29 रतौधी रोग किस विटामिन के कमी से होता है-विटामिनA

30 विटामिन B की कमी से कौन सा रोग होता है-बेरी बेरी

31 टायफायड से शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है-आंत

32 रेबिज के टीके की खोज किसने की-लुई पाश्चर ने

33 हैजा व टीबी के जीवाणुओं की खोज की-राबर्ट कोच(1982)

34 रक्त में पाया जाता है -लौह तत्व

35 एक्स किरणे हैं-विधुत चुम्बकीय किरणें

36 पानी में हवा का बुलबला होता है-अवतल लेंस

37 विषुवत रेखा पर किसी वस्तु का भार होगा-न्यूनतम

38 सूर्योदय से पहले सुर्य दिखने का कारण-प्रकाश का अपवर्तन

39 इन्द्रधनुष बनने का कारण-अपवर्तन

40 ताप बढने पर ध्वनि की चाल पर क्या प्रभाव पडता है-बढ़ जाती है

41 यदि हम चन्द्रमा पर से आकाश देखे तो कैसा दिखाई देगा-काला

42 यूरिया को शरीर से अलग करते हैं-गुर्दे

43 मानव त्वचा का रंग बनता है –मेनालिन के कारण

44 कच्चे फलों को पकाने में काम आता है-इथिलीन

Tuesday 24 October 2017

South Indian Beauty Tips

सौन्दर्य सेहतनामा

साउथ इंडियन ब्‍यूटी टिप्‍स

दक्षिण भारतीय महिलाएं अपने लंबे बाल, बड़ी-बड़ी आंखें व खूबसूरत त्वचा के लिए जानी जाती हैं तथा इनके सौंदर्य का रहस्य यहां की प्रकृति में छुपा है। प्रकृति से नवाज़े गए इस दक्षिण भारत में कई ऐसी खूबियां हैं जिनका इस्तेमाल यहां की महिलाएं अपने सौंदर्य को निखारने के लिए करती हैं।

1. नारियल: दक्षिण भारत में नारियल के पेड़ भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके कारण यहां के लाग अपने सारे व्यंजन नारियल के तेल में पकाते हैं। नारियल में फाइबर, विटामिन, पोषक तत्व एवं खनिज उच्च मात्रा में होते हैं। अतः नारियल को दक्षिण भारत के अधिकतक लोगों ने अपने दैनिक आहार के रुप में शामिल किया है। नारियल पानी का सेवन चेहरे की चमक को बढ़ाता है। यहां कोकनट राइज़ एवं दक्षिण भारतीय व्यंजनों के साथ नारियल की चटनी विशेष रूप से परोसी जाती है।

2. योग: योग केवल कसरत करने का ही नहीं बल्कि अपने मन को शांत करने का भी एक अच्छा तरीका है। योगा आपके मन को सुकून पहुंचाता है तथा आपकी इंद्रियों को शिथिल करता है जिसका परिणाम आपके चेहरे की चमक के माध्य से नजर आता है। योग आपको झुर्रियों, मुंहासों, अपच एवं अन्य कई समस्याओं से निजात दिलाता है। योगा, दक्षिण भारतीय महिलाओं की सेहत व खूबसूरती के पीछे छुपा एक प्रमुख कारण है।

3. आयुर्वेद: प्रकृति ने दक्षिण भारत को बखूबी नवाज़ा है। जिसके कारण यहां पाए जाने वाले अधिकतम सौंदर्य उत्पाद पूरी तरह आयुर्वेदिक होते हैं। प्राकृतिक चीजों से बने इन उत्पादों के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं तथा ये आपकी त्वचा को भीतर से पोषित करते हैं।

4. मालिश: भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत की मसाज थेरपी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई है। दक्षिण भारत की सैर करने आए सैलानी इसका लुफ़्त उठाना नहीं भूलते। यहां की जाने वाले मालिश सैलानियों की पूरी थकन को मिटा देती है। अगर आप चाहे तो घर बैठे एक छोटी सी मसाज थेरपी को आजमा सकते हैं।

रात को सोने से पहले नारियल तेल से अपने शरीर की मालिश करें। इससे आपके रक्त परिसंचरण में सुधार होगा तथा आपकी त्वचा कोमल हो जाएगी। कई मसाज थेरपियों का उपयोग शारीरिक पीडाओं को ठीक करने के लिए किया जाता है।

5.आंखें: दक्षिण भारतीय महिलाओं की आंखें बड़ी एवं मोटी होती हैं जिन्हें वे काजल लगाकर और भी आकर्षक बनाती है। कहते हैं कि ऐसी हसीन आंखों को पाने के लिए वे अपने पैरों की मालिश तिल के तेल से करती हैं।

6 .अरोमाथेरेपी फेशियल: अरोमाथेरेपी फेशियल दक्षिण भारतीय महिलाओं के दिनचर्या का एक हिस्सा है। अरोमाथेरेपी में इस्तेमाल होने वाले सुगंधित तेल त्वचा की गहराई में जाकर समाते हैं एवं इस तरह आपकी रुखी त्वचा को कोमल बनाते हैं। अरोमाथेरेपी से आपके रक्त परिसंचरण में सुधार होता है, त्वचा मुलायम हो जाती है, झुर्रियों कम नज़र आती हैं व आपकी त्वचा की उम्र बढ़ाती हैं। ये तेल त्वचा की क्लेंजिंग के साथ-साथ आपके मन को भी सुकून प्रदान करते हैं।

7. अनुशासित जीवन शैली: एक अनुशासित जीवन शैली अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सुबह जल्दी उठना, समय पर भोजन करना व अच्छी आदतों का अनुसरण करना खूबसूरत त्वचा के पीछे छुपे कुछ मुख्य कारण है। ये मनुष्य को बाहर से ही नहीं बल्कि भीतर से भी सुंदर बनाते हैं।

8. बालों की देखभाल: आमतौर पर दक्षिण भारतीय महिलाओं के बाल काले, लंबे और घने होते हैं। अगर आप भी ऐसे बाल पाना चाहते हैं तो आपको दैनिक आधार पर कुछ नियमों का पालन करना होगा। 1 रक्त परिसंचरण को बढाने के लिए नारियल तेल से नियमित रुप से सर की मालिश करें। 2 सप्ताह में केवल दो बार अपने बालों को शैम्पू करें। 3 रसायन युक्त शैम्पू के बजाय ब्राह्मी व अमलावाले हर्बल शैम्पू का उपयोग करें।

9. बालों के लिए कुछ घरेलू उपचार: अपने बेजान बालों में जान फूंकने के लिए आपको केवल रसोई में मौजूद कुछ चीजों को इस्तेमाल करने की जरुरत है। इसका परिणाम कुछ ही हफ्तों में नज़र आएगा। कुछ सरल घरेलू उपचार: 1 घने व चमकीले बाल पाने के लिए अपने बालों पर दही लगाएं। इसे 30 मिनट तक रहने दें और फिर बाद में अपने बालों को गुनगुने पानी से धो लें। 2 रुसी से छुटकारा पाने के लिए नींबू के रस से अपने सर की मालिश करें। फिर अपने बालों को शैम्पू करें।

10. अधिक पानी पीना: अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पिएं। अधिक पानी पीने से आपकी त्वचा हाइड्रेटेड रहती है जो चेहरे की चमक से झलकती है। यह खुद को स्वस्थ रखने का एक अच्छा तरीका है। पानी का सेवन अपके बालों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।

Fever

बुखार (Fever)
परिचय :------------------
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट से 36.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है। जब तापमान इससे अधिक बढ़ जाता है तो उसे बुखार कहा जाता है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि शरीर विजातीय द्रव्यों को जलाकर अपने कार्य तंत्र की सफाई करता है और उसे दुबारा से सक्रियता प्रदान करता है। लेकिन बहुत से लोग इस स्थिति से जल्दी ही डर जाते हैं और एंटीबायोटिक औषधियों से उपचार कराने लगते हैं जिसके कारण उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे दूसरी अन्य बीमारियों को पनपने का मौका मिल जाता है।
बुखार से एक बात का और संकेत मिलता है कि शरीर के अन्दर कोई न कोई गड़बड़ी हो गई है।
बुखार कई प्रकार का होता है जो इस प्रकार हैं:---------------
इन्फलुएंजा (फ्लू)
न्यूमोनिया
टाइफाईड
मलेरिया
बुखार होने के लक्षण:----------------
जब किसी व्यक्ति को बुखार होता है तो उसका शरीर सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है।
कभी-कभी तो बुखार बहुत अधिक तेज हो जाता है जिसके कारण शरीर गर्म हो जाता है।
बुखार के साथ-साथ रोगी के पूरे शरीर में दर्द भी रहता है।
बुखार के कारण रोगी व्यक्ति के मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।
बुखार के कारण रोगी को बेचैनी तथा थकान सी महसूस होने लगती है।
बुखार हो जाने के कारण रोगी व्यक्ति कमजोर भी हो जाता है।
बुखार में ठंड लगती है और सिर तथा अन्य मांसपेशियों में दर्द होता है।
बुखार के कारण व्यक्ति की नाक तथा गले में कभी-कभी सूजन आ जाती है।
बुखार के कारण रोगी की नाक तथा आंख से पानी भी आने लगता है।
बुखार कभी-कभी तो 2-3 दिन तक रहता है लेकिन यह कभी-कभी तो 4-5 दिनों तक भी रहता है।
न्यूमोनिया बुखार हो जाने पर व्यक्ति को बुखार के साथ सांस लेने में परेशानी तथा छाती में तेज दर्द होने लगता है।
टाइफाईड बुखार रहने पर व्यक्ति को सुबह के समय में तो बुखार कम रहता है लेकिन शाम के समय में बुखार तेज हो जाता है और यह बुखार व्यक्ति को कई दिनों तक रहता है।
टाइफाईड बुखार से पीड़ित रोगी को भूख भी कम लगती है, रोगी की जीभ लाल हो जाती है, रोगी की पीठ, कमर, टखने तथा सिर में दर्द रहता है और इस रोग के कारण व्यक्ति की तिल्ली (प्लीहा) तथा जिगर बढ़ जाते हैं। कभी-कभी तो रोगी की आंतों से खून भी निकलने लगता है।
मलेरिया बुखार के कारण रोगी व्यक्ति को ठंड लगकर बुखार होता है तथा सिर में दर्द तथा पैरों में दर्द होता रहता है। इसके कुछ समय बाद रोगी को पसीना आकर बुखार तेज हो जाता है।
बुखार होने के कारण:-----------------------
गलत तरीके के खान-पान (भोजन खाने का तरीका) से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक बढ़ जाते हैं जिसके कारण मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर में बैक्टीरिया, कीटाणु तथा वायरस आदि पनपने लगते हैं जिसके कारण व्यक्ति को बुखार हो जाता है।
बुखार कई प्रकार के कीटाणुओं के संक्रमण के कारण भी हो सकता है।
जिस किसी मनुष्य में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उस व्यक्ति को यदि किसी प्रकार से सूजन या चोट लग जाए तो उसे बुखार हो सकता है।
मलेरिया बुखार एनोफिलीज नामक एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से हो जाता है।
बुखार का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:--------------------
बुखार को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसके बुखार के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में कालीमिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
अगर किसी व्यक्ति को न्यूमोनिया बुखार है तो उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए।
रोगी को उपवास रखने के बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए।
बुखार रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार गर्म  या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति क्रिया भी करानी चाहिए।
यदि बुखार बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठंडी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद गर्म पाद स्नान क्रिया करानी चाहिए।
जिस समय बुखार तेज न हो उस समय रोगी से कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि रोगी व्यक्ति को बुखार के कारण ठंड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल ओढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से बुखार बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
बुखार से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी 2-2 घंटे पर पिलाने से बुखार जल्दी ठीक हो जाता है।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से शरीर में फुर्ती पैदा होती है और बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए, हलके आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए तथा पर्याप्त आराम करना चाहिए।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और उसकी जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद रोगी को कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से दुबारा बुखार नहीं होता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
बुखार से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि दूध पीने की इच्छा हो तो इसमें पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। ध्यान रहे कि इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।
 प्रबन्धक
Svm Institute of Naturopathy and para medical sc.
         महासचिव
Indian yog and Naturopathy Association
                अध्यक्ष
All india ruhal federation
9416154548,7015911400

Platels

*खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने पर करे इन पत्तो का सेवन*

पपीते के पत्‍ते खाने में कडुए लगते हैं लेकिन उनमें कमाल के गुण छुए हुए होते हैं। जिन लोगो के खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम है उनके लिए पपीते के पत्तो का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। आईये जानते है इसके फायदे....

• आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार पपीते के पत्ते प्लेटलेटों की गिनती में वृद्धि करने के लिए और डेंग,चिकनगुनिया के मरीजों के उपचार में सक्षम होते है।

• इसे इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले पपीते के पत्तो को अच्छे से धोकर पीसने के बाद इसे पानी के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

• अगर आपको डेंगू या चिकनगुनिया हो गया है तो पपीते के पत्तो के रस को दिन में दो बार पीना चाहिए और इसके रस को पीने से पहले और बाद में खून की जांच करवानी चाहिए।
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 *स्क्रब टायफस : डेंगू-चिकनगुनिया की तरह इस रोग में भी घटती हैं प्लेटलेट्स*

चिकनगुनिया व डेंगू फ्लू की तरह ही इस मौसम में स्क्रब टायफस के मामले भी काफी देखने को मिलते हैं। यह एक तरह का संक्रामक रोग है जो पिस्सू या माइट के काटने से फैलता है। इनकी संख्या बारिश के मौसम या इसके बाद झाडिय़ों व घास के बढऩे से ज्यादा हो जाती है। रोग की गंभीर अवस्था में रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती हैं। लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया से मिलते-जुलते हैं।

*ऐसे फैलता है*

पिस्सू के काटने से फैलता है यह रोग। इस दौरान पिस्सू की लार में मौजूद बैक्टीरिया (ओरेंसिया सुसुगामुशी) त्वचा के जरिए रक्त में मिलकर विभिन्न अंगों में पहुंचता है। ऐसे में लिवर, दिमाग और फेफड़े सबसे पहले प्रभावित होते हैं। गंभीर स्थिति में शरीर के कई अन्य अंग काम करना बंद कर देते हैं। यह रोग छूने, खांसने के दौरान सांस के माध्यम से नहीं फैलता। पहाड़ी इलाके, जंगल व खेतों के आसपास और बारिश के बाद इन पिस्सुओं की संख्या बढ़ जाती है।

*लक्षणों को पहचानें*

पिस्सू के काटने के दो हफ्ते में मरीज को तेज बुखार आता है। जो 102-103 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है। शरीर पर लाल दाने और काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान उभरता है। सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी रहती है। ये लक्षण सामान्यत: पिस्सू के काटने के 5-14 दिन तक बने रह सकते हैं। इलाज में देरी से रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। रोग की गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।

5-10 दिन तक बने रह सकते है पिस्सू के काटने के बाद शरीर में बुखार,सिरदर्द जैसे लक्षण।

7-14 दिनों में एंटीबायोटिक दवा से राहत मिल जाती है,समय पर इलाज लेने से।

प्लेटलेट्स घटने से शरीर के किसी भी अंग में अंदरुनी तौर पर रक्तस्त्राव की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में संक्रमण शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल सकता है। यह स्थिति मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है।

*रोग की पहचान*

पिस्सू बेहद छोटा होता है जिसकी पहचान कर बचाव करना मुश्किल है। पिस्सू के काटने के निशान को देखकर ही रोग की पहचान होती है। ब्लड टैस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर की जांच करते हैं। एलाइजा टैस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टैस्ट भी करते हैं। इसके अलावा एंटीबॉडी टाइटर, सेरोलॉजिकल टैस्ट और पीसीआर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं।

*एलोपैथी में उपचार*

इलाज के रूप में 7-14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है। मरीज को कम तला-भुना व लिक्विड डाइट दी जाती है। जिनके घर के पास रोग फैला है उन्हें हफ्ते में एक बार प्रिवेंटिव डोज देते हैं। इमरजेंसी की स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती भी करते हैं।

*आयुर्वेद के नुस्खे*

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तुलसी, गिलोय लें। कुमारी रस 5-10 एमएल सुबह-शाम लें। तेज बुखार में संजीवनी वटि या कस्तूरी भैरवरस देते हैं। सुदर्शन वटि की दो-दो गोली सुबह-शाम देते हैं। अमलतास का काढ़ा लक्षणों में कमी लाने में मददगार है।

*होम्योपैथी में भी दवाएं*

लक्षणों के अलावा मरीज की स्थिति को देखते हुए दवाएं व उनकी डोज को तय करते हैं। इस रोग के लक्षणों को कम करने के लिए बेलेडोना, रस्टॉक्स, आर्सेनिक व ब्रायोनिया दवा देते हैं। इस बीमारी के लिए जीनस एपिडेमिकस दवा खासतौर पर दी जाती है।

15 Days me kam kare Motapa

Motapa Jeera

जीरा मोटापे का ऐसा दुश्मन है की
15 दिनो में घुटने टेकने पर मजबूर कर दे,
गर्मी में तो ये स्पेशल है

आज हम आपको रोज़ाना रसोई घर में इस्तेमाल होने वाले ऐसे ही एक खाद्य पदार्थ से गुणों से अवगत कराएंगे, जो है जीरा। वजन कम करने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते, घंटों तक व्यायाम करना, खान-पान कम कर देना और पसंदीदा चीज़ ही ना खा सकना।

✴ जीरा 🌿 : इसके बाद भी कोई बड़ा बदलाव नहीं हासिल होता उन्हें, लेकिन अब जीरा वजन कम करने में आपकी मदद करेगा। खाने के स्वाद को बढ़ाने वाला जीरा, खासतौर से दाल में डालने वाला जीरा हर किसी को पसंद है। कुछ लोग चावल पकाते समय भी जीरे का प्रयोग करते हैं, क्योंकि इसके खुशबू भी काफी अच्छी लगती है जो पकवान की सुगंध को बढ़ा देती है।

➡ मसाला मात्र नहीं

लेकिन खाद्य पदार्थों के गुणों को बढ़ाने वाला मसाला मात्र नहीं है जीरा, इसके गुण तो अनेक हैं। इससे हमारे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं, जिसमें से विशेष है जीरा के प्रयोग से वजन कम करने की प्रक्रिया। एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि जीरा पाउडर के सेवन से शरीर मे वसा का अवशोषण कम होता है जिससे स्वाभाविक रूप से वजन कम करने में मदद मिलती है।

➡ बीमारियों से भी बचाता है

वजन कम करने के साथ साथ यह बहुत सारी अन्य बीमारियों से भी बचाता है, जैसे कोलेस्ट्रॉल कम करता है, हार्ट अटैक से बचाता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है, खून की कमी को ठीक करता है, पाचन तंत्र ठीक कर गैस और ऐंठन ठीक करता है। तो यदि उपरोक्त बताई परेशानी किसी को है, तो रोज़ाना जीरा का प्रयोग भोजन पकाते समय अवश्य करें।

➡ स्वास्थ्य को मिलने वाले लाभ

लेकिन जीरा के प्रयोग से स्वास्थ्य को मिलने वाले जिस खास लाभ की यहां हम बात करने जा रहे है, वह है वजन कम करना, और वह भी मात्र 15 दिनों में। जी हां.... जो काम बड़े से बड़ा प्रयोग करने में अक्षम है, वह जीरा का एक छोटा सा प्रयोग करके दिखाएगा। बस निर्देशानुसार आप इसका प्रयोग करें तो जरूर सफल होंगे।

🔹पहला प्रयोग

दो बड़े चम्मच जीरा एक गिलास पानी मे भिगो कर रात भर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्म-गर्म चाय की तरह पियें। बचा हुआ जीरा भी चबा लें। इसके रोजाना सेवन से शरीर के किसी भी कोने से अनावश्यक चर्बी शरीर से बाहर निकल जाती है।

🔹 दूसरा प्रयोग

किंतु यदि आपको यह प्रयोग अधिक पसंद ना आए, तो जीरे को खाद्य पदार्थ में अच्छी मात्रा में प्रयोग करें और रोज़ाना इस्तेमाल करें। एक अन्य उपाय के अनुसार आप 5 ग्राम दही में एक चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर यदि इसका रोज़ाना सेवन करें, तो वजन जरूर कम होगा।

🔹 तीसरा प्रयोग

3 ग्राम जीरा पाउडर को पानी में मिलाएं इसमें कुछ बूंदें शहद की डालें फिर इसे पी जाएं। वेजिटेबल यानि सब्जियों के उपयोग से सूप बनाएं, इसमें एक चम्मच जीरा डालें। या फिर ब्राउन राइस बनाएं इसमें जीर डालें यह सिर्फ इसका स्वाद ही नहीं बढ़ाएगा बल्कि आपका वजन भी कम करेगा।

🔹 चौथा प्रयोग

अदरक और नींबू दोनों जीरे की वजन कम करने की क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके लिए गाजर और थोड़ी सब्ज़ियों को उबाल लें इसमें अदरक को कद्दूकस यानि कि बिल्कुल बारीक कर लें, साथ ही ऊपर से जीरा और नींबू का रस डालें और इसे रात में खाएं।

▶ 15 दिनों के पश्चात कम होगा वजन ◀

यदि प्रतिदिन आप बताए गए इन चार उपायों में से दो भी अपना लें, तो यकीनन आपका वजन 15 दिनों के पश्चात कम होता दिखाई देगा। विशेषज्ञों के अनुसार जीरे में मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीकडेंट चयापचय को बढ़ाता है, जिससे पेट की चर्बी कम करने में मदद मिलती है। यह चर्बी ही तो मोटापे को दावत देती है, जो जीरे के प्रयोग से खत्म की जा सकती है।

➡ पाचन क्रिया में सहायक

इसके अलावा जीरा खाने को पचाने में मदद करता है जिससे गैस कम बनती है। ऐंठन और पेट फूलना ख़राब पाचन की समस्या हैं। जीरा गैस को बनने से रोकता है जिससे पेट और आंतों में अच्छे से खाना पच जाता है।

➡ हार्ट 💖 के मरीजों के लिए सही

हार्ट के मरीजों के लिए भी बेहद फायदेमंद है यह जीरा, जीरा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही फैट को शरीर में बनने से रोकता है। इसलिए यह वजन कम करने में मदद करता है साथ ही हार्ट अटैक से भी बचाता है।

➡ सौंदर्यता💆

चलिए यह तो रही सेहत की बात, लेकिन जीरा सौंदर्य भी निखारेगा यह नहीं जानते होंगे आप। दरअसल जीरे में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा पर पड़े विभिन्न दाग-धब्बों को हल्का करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा त्वचा का काला पड़ जाना या मुरझा जाना, आदि समस्याओं को हल भी जीरे

Sleeping Rule

*सोते समय ये 1 बात ध्यान रखेंगे तो होंगे कई फायदे*

हर रोज़ कोई इंसान कैसा भोजन करता है और दिनचर्या से जुड़े दूसरे काम कैसे करता है। इन सभी बातों का हेल्थ पर गहरा असर होता है, जैसे रात को हम कहां सोते हैं, किस तरह के बेड पर सोते हैं, वह आरामदायक है या नहीं या फिर हम किस दिशा का उपयोग करके सोते हैं, ये बातें हमारे पूरे शरीर पर गहराई से असर डालती हैं।

इस करवट सोएं जब आप रात को सोने के लिए बिस्तर पर जाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि सोते समय हम जिस भी पोजीशन का इस्तेमाल करते हैं वह ना केवल हमारे अंगों पर, बल्कि साथ ही दिमाग पर भी असर डालती है। सबसे फायदेमंद स्लीपिंग पोज़ीशन है बाईं ओर करवट लेकर सोना है। हम भले ही पूरी रात अलग- अलग पोजीशन में सोते हैं, लेकिन सबसे पहले बाईं ओर करवट लेकर सोना ही फायदेमंद हैं। जानिए सही करवट लेकर सोने के फायदे...


*बाईं करवट सोने के फायदे*


*पेट की समस्याओं से मिलती है राहत*

बाईं ओर करवट लेकर सोने से पेट की कई बीमारियां आने से पहले ही खत्म हो जाती हैं। इनमें से जो आम हैं वे हैं पेट के फूलने की परेशानी, पेट में गैस होने की परेशानी या फिर एसिडिटी बनने की परेशानी, आदि सभी बाईं ओर करवट लेकर सोने से हल हो जाती हैं।


*टॉक्सिन निकल जाते हैं बाहर*

डॉक्टरों के मुताबिक बाईं ओर करवट लेकर सोने से शरीर में जमा होने वाले टॉक्सिन धीरे-धीरे लसिका तंत्र द्वारा निकल जाते हैं। दरअसल बाईं ओर सोने से हमारे लीवर पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं पड़ता, इसलिए यह टॉक्सिन शरीर से बाहर निकलने में सफल हो जाते हैं।


*लीवर हो जाता है स्वस्थ*

बाईं ओर सोने से हमारे लीवर के अलावा, किडनी को भी फायदा मिलता है। बाईं ओर करवट लेकर सोने से कभी भी हमारे लीवर और किडनी पर कोई प्रेशर नहीं पड़ता, इसका परिणाम यह होता है कि जो पेट का एसिड होता है, वह ऊपर की जगह नीचे की ओर ही जाता है, जिससे एसिडिटी और सीने की जलन नहीं होती।


*दिल को फायदा*

इस पोज़ीशन में सोने का एक फायदा हमारे दिल को भी मिलता है। बाएं करवट सोने से दिल पर जोर कम पड़ता है, क्योंकि उस समय दिल तक खून की सप्लाई काफी अच्छी मात्रा में होता है।

Sugar -2

*शुगर का इलाज*

१-लहसुन छिला हुआ 25 gm २-अदरक (ताज़ा) 50 gm ३-पुदीना fresh 50 gm ४-अनारदाना खट्टा 50 gm
इन चारों चीज़ों को पीस कर चटनी बना लें। और सुबह, दोपहर और शाम को एक-एक चम्मच खा लें। पुरानी से पुरानी शुगर, यहाँ तक कि शुगर की वजह से जिस मरीज़ के जिस्म के किसी हिस्से को काटने की सलाह भी दी गयी हो तब भी ये चटनी बहुत फायदेमंद इलाज है। अगर हो सके तो इसे आगे भी फॉरवर्ड कर दें।
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Sperm

*वीर्य कैसे बनता है – वीर्य का मानव शरीर में महत्व – युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण*

एक माली ने अपना तन मन धन लगाकर कई दिनों तक परिश्रम करके एक सुंदर बगीचा तैयार किया, जिसमें भाँति-भाँति के मधुर सुगंधयुक्त पुष्प खिले। उन पुष्पों से उसने बढ़िया इत्र तैयार किया। फिर उसने क्या किया, जानते हो ? …….
उस इत्र को एक गंदी नाली (मोरी) में बहा दिया। अरे ! इतने दिनों के परिश्रम से तैयार किये गये इत्र को, जिसकी सुगंध से उसका घर महकने वाला था, उसने नाली में बहा दिया !

आप कहेंगे कि ‘वह माली बड़ा मूर्ख था, पागल था…..’ मगर अपने-आप में ही झाँककर देंखें, उस माली को कहीं और ढूँढने की जरूरत नहीं है, हममें से कई लोग ऐसे ही माली हैं। वीर्य शरीर की बहुत मूल्यवान धातु है। भोजन से वीर्य बनने की प्रक्रिया बड़ी लम्बी है।  वीर्य बचपन से लेकर आज तक, यानी 15-20 वर्षों में तैयार होकर ओजरूप में शरीर में विद्यमान रहकर तेज, बल और स्फूर्ति देता रहा। आचार्य सुश्रुत ने वीर्य के बारे में कहा है के
*रसाद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते।*
*मेदस्यास्थिः ततो मज्जा मज्जायाः शुक्र संभवः।।*

अर्थात जो भोजन पचता है, उसका पहले रस बनता है। पाँच दिन तक उसका पाचन होकर रक्त बनता है। पाँच दिन बाद रक्त से मांस, उसमें से 5-5 दिन के अंतर से मेद, मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा और मज्जा से अंत में वीर्य बनता है। स्त्री में जो यह धातु बनती है उसे ‘रज’ कहते हैं। इस प्रकार वीर्य बनने में करीब 30 दिन व 4 घण्टे लग जाते हैं।

वैज्ञानिक बताते हैं कि 32 किलो भोजन से 800 ग्राम रक्त बनता है और 800 ग्राम रक्त से लगभग 20 ग्राम वीर्य बनता है।
आकर्षक व्यक्तित्व का कारण वीर्य के संयम से शरीर में अदभुत आकर्षक शक्ति उत्पन्न होती है, जिसे प्राचीन वैद्य धन्वंतरि ने ‘ओज’ कहा है। यही ओज मनुष्य को परम लाभ-आत्मदर्शन कराने में सहायक बनता है। आप जहाँ-जहाँ भी किसी के जीवन में कुछ विशेषता, चेहरे पर तेज, वाणी में बल, कार्य में उत्साह पायेंगे, वहाँ समझो वीर्यरक्षण का ही चमत्कार है।

एक स्वस्थ मनुष्य एक दिन में 800 ग्राम भोजन के हिसाब से 40 दिन में 32 किलो भोजन करे तो उसकी कमाई लगभग 20 ग्राम
वीर्य होगी। महीने कि करीब 15 ग्राम हुई और 15 ग्राम या इससे कुछ अधिक वीर्य एक बार के मैथुन में खर्च होता है।

अभी भी जो करीब 30 दिन के परिश्रम की कमाई थी, उसे यों ही सामान्य आवेग में आकर अविवेकपूर्वक खर्च कर देना कहाँ की बुद्धिमानी है !
क्या यह उस माली जैसा ही कर्म नहीं है ? वह माली तो दो-चार बार यह भूल करने के बाद किसी के समझाने पर संभल भी गया होगा, फिर
वही की वही भूल नहीं दोहरायी होगी परंतु आज तो कई लोग वही भूल दोहराते रहते हैं। अंत में पश्चाताप ही हाथ लगता है। क्षणिक सुख के लिए व्यक्ति कामांध होकर बड़े उत्साह से इस मैथुनरूपी कृत्य में पड़ता है परंतु कृत्य पूरा होते ही वह मुर्दे जैसा हो जाता है। होगा ही, उसे
पता ही नहीं कि सुख तो नहीं मिला केवल सुखाभास हुआ परंतु उसमें उसने 30-40 दिन की अपनी कमाई खो दी। युवावस्था आने तक वीर्य
संचय होता है। वह शरीर में ओज के रूप में स्थित रहता है। वी*र्यक्षय से वह तो नष्ट होता ही है. साथ ही अति मैथुन से हड्डियों में से भी कुछ सफेद अंश निकलने लगता है, जिससे युवक अत्यधिक कमजोर होकर नपुंसक भी बन जाते हैं। फिर वे किसी के सम्मुख आँख उठाकर भी नहीं देख पाते। उनका जीवन नरकीय बन जाता है।

वीर्य रक्षण का इतना महत्त्व होने के कारण ही कब मैथुन करना, किससे करना, जीवन में कितनी बार करना आदि निर्देश हमारे ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों में दे रखे हैं। सृष्टि क्रम के लिए मै*थुनः एक प्राकृतिक व्यवस्था शरीर से वीर्य-व्यय यह कोई क्षणिक सुख के लिए प्रकृति की व्यवस्था नहीं है। संतानोत्पत्ति के लिए इसका वास्तविक उपयोग है। यह सृष्टि चलती रहे इसके लिए संतानोत्पत्ति जरूरी है। प्रकृति में हर प्रकार की वनस्पति व प्राणिवर्ग में यह काम-प्रवृत्ति स्वभावतः पायी जाती है। इसके वशीभूत होकर हर प्राणी मै*थुन करता है व उसका सुख भी उसे मिलता है किंतु इस प्राकृतिक व्यवस्था को ही बार-बार क्षणिक सुख का आधार बना लेना कहाँ की बुद्धिमानी है ! पशु भी अपनी ऋतु के अनुसार ही का*मवृत्ति में प्रवृत्त होते हैं और स्वस्थ रहते हैं तो क्या मनुष्य पशुवर्ग से भी गया बीता है ? पशुओं में तो बुद्धितत्त्व विकसित नहीं होता पर मनुष्य में तो उसका पूर्ण विकास होता है।


*आहारनिद्राभयमैथुनं च सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम्।*


अर्थात – भोजन करना, भयभीत होना, मै*थुन करना और सो जाना – ये तो पशु भी करते है। पशु-शरीर में रहकर हम यह सब करते आये हैं। अब मनुष्य-शरीर मिला है, अब भी यदि बुद्धि विवेकपूर्वक अपने जीवन को नहीं चलाया व क्षणिक सुखों के पीछे ही दौड़ते रहे तो अपने मूल लक्ष्य पर हम कैसे पहुँच पायेंगे ?

Coconut oil and food

*इन तरीकों से वजन घटाने में मददगार है नारियल तेल*

अगर आप मोटापे से परेशान है और वजन कम करने के लिए सही नुस्‍खे की तलाश में हैं तो एक नजर जरा अपने खाना बनाने वाले तेल पर भी डालें, कहीं वही आपके मोटापे का कारण तो नहीं।
मोटापे से बचना है तो, कच्चे नारियल का तेल अपनाएं।
आम तेल में बनने वाले खाने में काफी फैट होता है जो शरीर पर जमा होकर मोटापा बढ़ाता है लेकिन नारियल के तेल में बने खाने में फैट बिल्कुल नहीं होता और यह आपके बढ़ते वजन को नियंत्रित करता है।
नारियल का तेल हर घर में आसानी से उपलब्ध होता है। नारियल तेल में बना खाना काफी स्वादिष्ट भी होता है और इससे वजन बढ़ने की समस्या भी नहीं होती है।
शोधों में भी यह बात सामने आ चुकी है कि नारियल के तेल की खास प्रवृत्ति के चलते यह शरीर में जमा नहीं होता, बल्कि ऊर्जा देने के काम आता है।

*कैसे कम होता है मोटापा*

अगर आप नियमित रुप से और सही तरीके से कच्चे नारियल तेल का प्रयोग करें तो एक महीने के अंदर 4 से 6 पाउंड यानि पौने 3 किलो तक वजन कम किया जा सकता है। नारियल का तेल शरीर के अंदर जाते ही कोशिकाओं को पोषित करना शुरू कर देता है। इससे फैट तुरंत एनर्जी में बदल जाता है और शरीर में इकट्ठा नहीं हो पाता।
आप दिनभर में जो भी चीजें खाते हैं, उनमें खराब फैट भी होते हैं।
ये फैट शरीर में जमा हो जाते हैं, जिससे मोटापा बढ़ने लगता है।
कच्चे नारियल तेल में पाया जाने वाला ट्राइग्लिसराइड नाम का फैट हमारे भोजन में पाए जाने वाले दूसरे फैट से काफी बेहतर होता है।
जब हम कच्चे नारियल तेल में बना खाना खाते हैं तो यह सीधे लिवर में पहुंचकर कोशिकाओं में फैल जाता है और फैट कणों को अपनी ओर खींच लेता है।
कोशिकाओं में जाकर ये फैट कण तुरंत एनर्जी में बदल जाते हैं।


*एनर्जी बढ़ाता है नारियल तेल*

नारियल का तेल पचने में आसान होता है, क्योंकि इसमें कम फैटी एसिड पाया जाता है।
नारियल का तेलमध्यम श्रृंखला ट्राइग्लिसराइड लोरिक एसिड से बना होता है, यह एक आवश्‍यक फैटी एसिड है।
नारियल तेल में पाया जाने वाला ट्राइग्लिसराइड, शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है जो कि फैटी एसिड को ऊर्जा में बदल देता है।
हर दिन अपने आहार के लिए नारियल तेल के दो से तीन बड़े चम्‍मच को शामिल करें।


*भूख को कंट्रोल करें*

नारियल तेल से बना खाना खाने पर आपको जल्दी-जल्दी भूख लगने कि शिकायत दूर हो जाएगी।
इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है और कैलोरी अधिक होती हैं, जो भूख को कंट्रोल और भोजन के प्रति लालसा को दूर करने में सहायक होता हैं।
अपने दैनिक आहार में नारियल तेल की 2-3 सर्विेंग लेने से एक सप्‍ताह के अंदर बार-बार स्‍नैक्‍स की आदत को छोड़ा जा सकता है।

*तेजी से फैट को जलाता है नारियल तेल*

अगर आपका लक्ष्‍य दैनिक रूप से ली जाने वाले कैलोरी को कम करने का है, तो नारियल का तेल आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
नारियल के तेल का नियमित रूप से सेवन स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति समझौता किये बिना चयापचय प्रणाली को दुरुस्‍त रख कैलोरी को जलाता है।
इस प्रक्रिया के माध्‍यम से, शरीर भोजन को हजम और पोषक तत्‍वों को अवशोषित करने, भूख को विनियमित करने और पाचन में सुधार करने में मदद करता है।


*हार्मोन संतुलित करें नारियल तेल*

हार्मोन असंतुलन वाले लोगों में वजन की समस्‍या सबसे अधिक देखी जा सकती है।
नारियल तेल में बना खाना खाने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
कैंडिडा, एक तरह का यीस्ट है, जो शरीर का वजन बढ़ाता है, लेकिन नारियल तेल के सेवन से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
अगर आपको अपना वजन कम करना है, तो रोज इसमें बना खाना खाने के साथ एक चम्मच नारियल तेल को गरम पानी में मिलाकर एक्सरसाइज करने से पहले पिएं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नारियल का तेल वजन घटाने के प्रयास में रंग भरने के लिए आपके सिस्‍टम में मामूली असंतुलन को सही करने की क्षमता रखता है।

Dr Rupal Rana Arya
MBBS (Mumbai) DCH (London)
Consulting Family Physician & Surgeon
Weight Loss Specialist & Clinical Nutritionist
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Refind Oil EK real poision

सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है l
तो वह है...
               *रिफाईनड तेल*

 केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... *रिफाईनड तेल*

आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये!

रिफाईनड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।*

*रिफाईनड तेल बनता कैसे हैं।*

बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है
*वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है।

*Neutralisation*--तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

*Bleaching*--इस विधी में P. O. P{प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है!

*Hydrogenation*-- एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं।
*निकेल*एक प्रकार का Catalyst metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।

रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!

*दिलथाम के अब पढे*

*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— कैंसर *Cancer*,  *Diabetes* मधुमेह, *Heart Attack* हार्ट अटैक, *Kidney Problems* किडनी खराब,
*Allergies,  Stomach Ulcer,  Premature Aging,  Impotence,  Arthritis,  Depression,  Blood pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*

 रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है! (पांम आंयल सवमं एक धीमी मौत है)

*सरकार का आदेश*--हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि,
प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %
खाद्य तेलों में पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा!
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 %बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग(पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं,
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी!

*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)*
*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*

सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही...
दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम,ओलीव आयल, आदि आती है।
अतः सोयाबीन तेल ,  पेवर पांम आंयल ही होता है। पांम आंयल को रिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह,
प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है,
पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है,
उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है!
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही!

फॉर्च्यून.. अर्थात.. आप के और आप के परिवार के फ्यूचर का अंत करने वाला.

सफोला... अर्थात.. सांप के बच्चे को सफोला कहते हैं!
*5 वर्ष खाने के बाद शरीर जहरीला
10 वर्ष के बाद.. सफोला (सांप का बच्चा अब सांप बन गया है.
*15 साल बाद.. मृत्यु... यानी कि सफोला अब अजगर बन गया है और वह अब आप को निगल जायगा.!*

*पहले के व्यक्ति 90.. 100 वर्ष की उम्र में मरते थे तो उनको मोक्ष की प्राप्ति होती थी, क्योंकि.उनकी सभी इच्छाए पूर्ण हो जाती थी।*

*और आज... अचानक हार्ट अटैक आया और कुछ ही देर में मर गया....?*
*उसने तो कल के लिए बहुत से सपने देखें है, और अचानक मृत्यु..?*
अधुरी इच्छाओं से मरने के कारण.. प्रेत योनी मे भटकता है।

*राम नही किसी को मारता.... न ही यह राम का काम!*
*अपने आप ही मर जाते हैं.... कर कर खोटे काम!!*
गलत खान पान के कारण, अकाल मृत्यु हो जाती है!

*सकल पदार्थ है जग माही..!*
*कर्म हीन नर पावत नाही..!!*
अच्छी वस्तुओं का भोग,.. कर्म हीन, व आलसी व्यक्ति संसार की श्रेष्ठ वस्तुओं का सेवन नहीं कर सकता!

*तन मन धन और आत्मा की तृप्ति के लिए सिर्फ ओलीव आयल ,राइस ब्रान , कच्ची घाणी का तेल, तिल सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम आदि का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!* पोस्टीक वर्धक और शरीर को निरोग रखने वाला सिर्फ कच्ची घाणी का निकाला हुआ तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए!
आज कल सभी कम्पनी.. अपने प्रोडक्ट पर कच्ची घाणी का तेल ही लिखती हैं!
वह बिल्कुल झूठ है.. सरासर धोखा है!
कच्ची घाणी का मतलब है कि,, लकड़ी की बनी हुई, औखली और लकडी का ही मुसल होना चाहिए! लोहे का घर्षण नहीं होना चाहिए. इसे कहते हैं.. कच्ची घाणी.
जिसको बैल के द्वारा चलाया जाता हो!
आजकल बैल की जगह मोटर लगा दी गई है!
लेकिन मोटर भी बैल की गती जितनी ही चले!
लोहे की बड़ी बड़ी सपेलर (मशिने) उनका बेलन लाखों की गती से चलता है जिससे तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वे लिखते हैं.. कच्ची घाणी...
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Aids

"बंदरों से मनुष्यों के लिए एड्स चिम्पांज कैसे आए?"

एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि चिंपांजी बंदर एड्स के उभरने के रूप में उभर रहे हैं। सामान्य चिम्पांजी केंद्रीय अफ्रीका के एक हिस्से में रहते हैं जहां एड्स की शुरुआत होती है।
डॉ। पॉल शार्प, नॉटिंघम विश्वविद्यालय के पीलाओन्टिस्ट्स और शोधकर्ताओं में से एक ने कहा कि हमें क्या मिला? मानव विषाणु से संबंधित सबसे आम एचआईवी -1 वायरस एक विशिष्ट चिंपांज़ी की उप प्रजाति से आता है। आनुवंशिक पदार्थ के कई मामलों की तुलना में मानव वायरस की तुलना के मुकाबले, एसआईवी (या सेमीियन इम्यूनोडिफीसिअन जो चिम्पांज़ी को प्रभावित करता है) का परिणाम है।
तेज स्पष्टीकरण के मुताबिक, एएफकेए की प्रमुख प्रजातियों में पाए जाने वाले एचआईवी वायरस की संख्या जितनी ज्यादा है निश्चित रूप से वायरस से संबंधित है, जो मनुष्यों में एड्स का कारण बनता है, और यह एक संयोग नहीं है कि सेंट्रल पश्चिम अफ्रीका के गैबॉन क्षेत्र में कैमरून में एसआईवी चिम्पांजी की उप प्रजातियां पाए गए हैं।
तीव्र के अनुसार, एचआईवी और एड्स के उदाहरणों को दस्तावेजी में प्रकाश में आने से पहले यह ठीक है, लेकिन यह मनुष्य में कैसे हासिल किया गया है और यह अभी भी निष्कर्ष और अटकलों में क्यों है।
चूंकि प्रजातियां विशेष चिंपांजियों की उप-प्रजातियों से संक्रमित हो गईं, अब भी उप-प्रजातियां हैं, जिनमें से अन्य वायरस भी हैं। शार्प कहते हैं कि और क्या निष्कर्ष निकालना यह है कि सामान्य चिंपांज़ियों की संभावना शायद एसआईवी से संक्रमित हो गई थी, जो सैकड़ों साल पहले हुआ होता। हजारों बार कई तरह से भारी वायरस को प्रसारित किया गया है, यह कितने अवसरों से हजारों सालों से किया गया है यहां चिम्पांजी का है
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 मनुष्यों के रक्त में अत्यधिक घाव होने के लिए कई मौक़ा अवसर हैं। शार्प ने समझाया और पर्याप्त वायरस के लिए मानव से चिंपांजियों में प्रवेश किया।
यह भी निष्कर्ष की बात है अफ्रीका के शहरी क्षेत्रों, शहरी इलाकों से भाग रहे हैं, साथ ही साथ गृहयुद्ध की बाधाएं, आज दो संभावनाएं हैं
इन अनुमानों के बावजूद, फिर भी, यह खोज एक महान वैज्ञानिक विरासत हो सकती है। जैसे शार्प कहते हैं, "असल में हमें एड्स से निपटने के लिए ध्यान देना चाहिए।" इसका कारण यह है कि, सीआईवी संक्रमित चिंपांजियों के लक्षणों के आधार पर किसी भी एड्स से ग्रस्त नहीं होता है। जाहिर है एक प्रश्न के पारगमन की प्रगति में एक अंतर है। और वह वास्तव में हमें एक नई दिशा में निर्देशित करता है

Acupressure points on Female Body

सभी महिलाओं को करवा चौथ की शुभकामनाएँ💐

16 श्रृंगार दुल्हन का रुप के साथ सेहत भी निखारता है।

इसलिए शादी में किया जाता है दुल्हन का 16 श्रृंगार।

नाक की नथ बच्चा पैदा होने के दौरान होने वाले दर्द को कम करती है।

भारतीय परंपरा में महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व माना गया है। महिलाएं भी अपने सौंदर्य में चार चांद लगाने के लिए विशेष दिनों सोलह श्रृंगार करती हैं। लेकिन क्या आपको मालुम है कि सोलह श्रृंगार केवल रुप ही निखारता अपितु सेहत भी संवारता है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिकों ने कई शोधों में की है।

दरअसल श्रृंगार के जरिये शरीर के उन केन्द्रों पर दबाव पड़ता है जो एक्यूप्रेशर प्वाइंट का काम करते हैं और हमें स्वस्थ रखते हैं। इसलिए श्रृंगार को वैज्ञानिक दृष्ट से जोड़ कर देखा जाए तो ये रूप के साथ स्वास्थ्य भी देता है।


माथे की बिंदी

महिलाओं के लिए खासकर शादी-शुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना काफी जरूरी माना जाता है। बिंदी या कुमकुम माथे के जिस भाग पर लगाई जाती है वो जगह इंसान का आज्ञाचक्र होता है जिसका संबंध मन से होती है। इससे कॉन्सट्रेशन पावर बढ़ती है और दिमाग शांत रहता है।


सिंदूर- मानसिक शक्ति बढ़ाए

सिंदूर सुहाग की निशानी मानी जाती है। माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में बढ़ोतरी होती है। महिलाएं सिर के जिस भाग में सिंदूर लगाती हैं वहां मस्तिष्क की महत्वपूर्ण ग्रंथी होती है जिसे ब्रहमरंध्र कहा जाता है। यह बहुत ही संवेदनशील ग्रंथी है। इस जगह पर सिंदूर लगाने से महिलाओं को मानिसक शक्ति प्राप्त होती है। दरअसल सिंदूर में पारा धातु होता है जो ब्रहमरंध्र के लिए औषधि का काम करता है।


मंगल सूत्र और हार

मंगल सूत्र के काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा ये उत्तेजना पैदा करने वाले हार्मोंन्स को सक्रिय बनाते हैं। दरअसल गले में संभोग के लिए उत्तेजना पैदा करने वाले प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं जिन पर मोतियों का जब प्रभाव पड़ता है तो उत्तेजना पैदा करने वाले हार्मोंन्स सक्रिय हो जाते हैं।

बाजूबंद

सोने या चांदी के बाजूबंद से बाजुओं में स्थित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर दबाव बनता है जिससे महिलाओं का सौन्दर्य एवं यौवन लम्बे समय तक बना रहता है।


कान की बाली- किडनी स्वस्थ रखे

सुंदर दिखने के अलावा कान की बाली एक और काम करती है दरअसल कान के बाहरी भाग में एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है। इस कारण कान में सही भार के कुंडल या बाली पहनने से एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ता है जिससे किडनी और ब्लेडर स्वस्थ बने रहते हैं।

पायल- हड्डियां मजबूत बनाए

पैरों को सुंदर बनाने के अलावा पायल की आवाज घर की नकरात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है। पायल पहनने से (खासकर चांदी की पायल) स्त्रियों को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। दरअसल पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जिससे पैरों की हड्डियों को चांदी के तत्वों से मजबूती मिलती है। आयुर्वेद में भी कई दवाओं में इन धातुओं की भस्म का इस्तेमाल किया जाता है। स्वास्थ्य के लिए धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से प्राप्त होते हैं।

नाक की नथ - एक्यूप्रेशर प्वाइंट

नाक की नथ जिस जगह पर पहनी जाती है वो भी एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जो बच्चै पैदा करने के दर्द को कम करता है।


मेहंदी- चर्म रोग दूर करे

किसी भी शुभ काम करने के दौरान महिलाएं मेहंदी जरूर लगाती है। ये हाथों को सुंदर बनाने के साथ ही शरीर को ठंडा रखने का काम करता है। साथ ही ये चर्म रोग और मिर्गी की समस्या भी दूर करता है।


चूड़ियां - स्वस्थ रखे

सुहाग की निशानी चूड़ियां महिलाओं के लिए काफी लाभप्रद मानी जाती है। महिलाएं शारीरिक दृष्टि से पुरुषों की तुलना में अधिक कोमल होती हैं। ऐसे में चूड़ियाँ पहनने से महिलाओं को शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। दरअसल सोने और चाँदी की चूड़ियाँ जब शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।

फूलों का गजरा
बालों को खुशबूदार और हेल्दी बनाये।

कमरबंद - हर्निया से दूर रखे

कमरबंद धारण करने से महलिाओं के हर्निया से सम्बन्धित ग्रंथि केन्द्र पर दबाव बना रहता है जिससे महिलाओं को हर्निया की समस्या नहीं होती है।

काजल

काजल केवल आंखों की सुंदरता ही नहीं बढ़ाता अपितु नकरात्मक शक्तियों से भी दूर रखता है। साथ ही काजल से आंखों में ठंडक बनी रहती है और आंखों से संबंधित कई रोगों से भी बचाता है।

बिछिया

बिछिया पैर की जिस उंगुली में पहनी जाती है उस उंगुली की साइटिक नर्व की एक नस को बिछिया दबाती है जिस वजह से आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज होता है और यूटेरस, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक होता है। गर्भाशय तक सही मात्रा में रक्‍त पहुंचता रहता है। यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है।

मांग-टीका

सोने या चांदी के मांगटीका को स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त माना जाता है। इससे किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं होती है और मन भी शान्त रहता है।

अंगूठी

उंगलियों में आलस को दूर करने के लिए प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं। इस कारण से माना जाता है कि अंगूठी पहनने से महलिाएं आलसी नहीं रहती हैं।

लाल कपड़े

लाल कपड़ों को सुहाग की निशानी और शादी का विशेष परिधान माना गया है। इन वस्त्रों में ओढ़नी, चोली और घाघरा शामिल होते हैं। ये सभी परिधान सूती या रेशम से बने होते हैं। जिससे स्त्री की काया स्वस्थ्य और सुन्दर बनी रहती है।

Acupressure Tips-1

*एक्युप्रेशर विधि के फायदे / Acupressure Points in Hindi*

 *हाथों के पाइंटस, जोड़ों को दबाना / Hand Pressure Points*

शरीर में दर्द, तनाव महसूस करने पर हाथों उगलियों के जोड़ों, उगलियों के हथेली पाईटों जोड़ों, हथेली के मध्य-बीच में 5-6 मिनट तीनो वक्त रोज दबाकर समस्याओं से आसानी से आराम पाया जा सकता है। यह एक्युप्रेशन प्रद्धति दर्द निवारण, दिमाग तनाव मुक्त रखने में कारगर है। जो लोग नित्य एक्युप्रेशर विधि करते हैं, वे समस्य विकारों से मुक्त रहते हैं।

*हाथ रगड़ना मलना / Hand Pressure Points*

दिन में 8-10 बार दोनों हाथों की हथेली को रगड़कर चेहरे पर मलें। इससे चेहरे त्वचा पर गर्माहट महसूस होगी। ऐसा करने से रक्त संचार सुचारू रहता है और साथ में उगलियों, हथेली, चेहरे त्वचा सम्बन्धित विकार हमेशा दूर रहते हैं। जिन लोगों को सर्दी, बदलते मौसम में, उगलियों में दर्द, सूजन की शिकायत रहती है। उनके लिए हाथों को रगड़कर चेहरे, गालो, हाथों को मलना फायदेमंद है।

*सरदर्द दूर एक्युप्रेशर / Pressure Points in Hand for Headache*

जिन लोगों को सरदर्द की समस्या रहती है। उनके लिए एक्युप्रेशर विधि तुरन्त फायदेमंद है। दोनों हाथों के अंगूठों से कानों को बन्दकर उगंलिया से माथा और सिर दबायें। यह सददर्द निवारण के आरामदायक एक्युप्रेशर विधि है।

*आंखों की भौं को दबायें / Eyebrow Pressure Points*

रोज सुबह उठकर आंखों की भौं - आईब्रो, आंखों के ठीक नीचें दानों हाथों से दबायें। और हाथ मले। यह एक तरह से तनाव, शरीर दर्द, साइनस निवारण का तरीका है। आंखों की भौंऐ दबाने से मस्तिष्क  तनाव मुक्त स्वस्थ रखने में सहायक है।

*नांक के निचला हिस्सा दबाना / Nose Pressure Points*

तनाव, शरीर में दर्द जकड़न समस्या महसूसस होने पर रोज आंखें बन्दकर दोनों हाथों से हल्के से दोनों आंखे 40-50 सेकेंड के लिए दबायें। यह एक तरह से आंखों के दोष, तनाव मुक्त, मस्तिष्क विकार स्ट्रोक, साइनस विकार / Sinus Infection  दूर करने का अच्छा तरीका है। हर तरह की Nasal Congestion समस्याओं को दुरूस्त करने में खास सहायक है।

*ठोडी़ दबायें / Chin points*

ठोडी, होठों के ठीक नीचे हाथ से पकड़कर रोज 10-15 सेकेंड़ तक दबायें और गर्दन हल्का ऊपर नीचे करें। ठोडी दबाने और गला साथ में गला सिर ऊपर नीचे करने से कंठ, सांस विकार दूर रखने में सहायक है।

*कंधें, बाहें दबाये / Shoulder, Arm Points*

कंधों, बाहों को हल्का हल्का दबायें। कंधे, बाहों शरीर में रक्त संचार सुचार करने मुख्य हिस्सा है। कंधे, वाहों को दबाने से शरीर दर्द, मस्तिक तनाव दूर करने का अच्छा तरीका है। इससे शरीर को तुरन्त आराम और एक तरह का सुगम अहसास होता है।

 *दोनों हाथों से कानों के नीचे गर्दन दबाना / Ears, Neck Points*

दोनों हाथों की उगंलियां आपस में फंसाकर सिर के पीछे, ठीक कानों के नीचे गर्दन दबाने से कमर दर्द और कान विकार ये आराम मिलता है।

*पैरो नसों के खिचाव तनाव प्रेशर विधि दूर करे / Nerves, Strain*

चटाई, मैट में बैठकर पैर फैलाकर बैठे। फिर हाथों से घुटने को इस तरह से पकड़े कि जिससे अंगूठा ऊपर घुटना पर और चारों उंगलियां घुटने के पीछे पसलियों नसों को दबायें। पसलियों, घुटनों दर्द, सिंचाव से निजात पाने का अच्छा तरीका है।

*बाॅडी मसाज / Body Massage*

शरीर को दर्द मुक्त और मस्तिष्क तनाव मुक्त रखने में बाॅडी मसाज खास सहायक है। परे शरीर पर बाॅडी मसाज एक्सपर्ट जानकार से करवायें।

*नंगे पांव कंकड़ पत्थरों पर चलना / Walking Barefoot*

नंगे पांव कंकड़ पत्थरों पर चलना एक तरह से पांव के तलों के पाईटस बिन्दुओं पर प्रेशर पड़ता है। पांव के तले पाईटस का शरीर से महत्वपूर्ण जुड़ाव है। नंगे पाव चलने से रक्त संचार तीब्र हो जाता है। जिससे कई तरह के रोगों जैसे सरदर्द, नसों में ब्लोकेज, हार्ट समस्याऐ, तनाव इत्यादि से छुटकारा दिलाने में खास सहायक है।

*एक्युप्रेशर पैड, चप्पल / Acupressure Slippers*

बाजार में एक्युप्रेशर पैड, चप्पले उपलब्ध हैं। एक्युप्रेशर पैड जूतों के अन्दर पहनकर, और एक्युप्रेशर काटें वाली चप्पले पहनकर चलने से पांव की नीचे बने खास पाईटस आसानी से सक्रीय हो जाते हैं।

Manav SARIR health care 6

*Back pain*

कमर दर्द के ज्यादातर मरीजों को आराम करने और फिजियोथेरेपी से राहत मिल जाती है।
स्लिप डिस्क या कमर दर्द की समस्या होने पर दो से तीन हफ्ते तक पूरा आराम करना चाहिए।
दर्द कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दर्द-निवारक दवाएं, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाएं लें।
जीवनशैली बदलें।
वजन नियंत्रित रखें। वजन बढ़ने और खासतौर पर पेट के आसपास चर्बी बढ़ने से रीढ़ की हड्डी पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
नियमित रूप से पैदल चलें। यह सर्वोत्तम व्यायाम है।
शारीरिक श्रम से जी न चुराएं। शारीरिक श्रम से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
अधिक समय तक स्टूल या कुर्सी पर झुककर न बैठें। कुर्सी पर बैठते समय पैर सीधे रखें न कि एक पर एक चढ़ाकर।
अचानक झटके के साथ न उठें-बैठें। एक सी मुद्रा में न तो अधिक देर तक बैठे रहें और न ही खड़े रहें।
किसी भी सामान को उठाने या रखने में जल्दबाजी न करें। भारी सामान को उठाकर रखने की बजाय धकेल कर रखना चाहिए। जमीन से कोई सामान उठाना हो तो झुकें नहीं, बल्कि किसी छोटे स्टूल पर बैठें या घुटनों के बल नीचे बैठें और सामान उठाएं।
कमर झुका कर काम न करें। अपनी पीठ को हमेशा सीधा रखें।
ऊँची एड़ी के जूते-चप्पल के बजाय साधारण जूते-चप्पल पहनें।
सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय सावधानी बरतें।
यदि कहीं पर अधिक समय तक खड़ा रहना हो तो अपनी स्थिति को बदलते रहें।
दायें-बायें या पीछे देखने के लिए गर्दन को ज्यादा घुमाने के बजाय शरीर को घुमाएं।
देर तक ड्राइविंग करनी हो तो गर्दन और पीठ के लिए तकिया रखें। ड्राइविंग सीट को कुछ आगे की ओर रखें, ताकि पीठ सीधी रहे।
अधिक ऊँचा या मोटा तकिया न लगाएँ। साधारण तकिए का इस्तेमाल बेहतर होता है।
अत्यधिक मुलायम और सख्त गद्दे पर न सोएं। स्प्रिंगदार गद्दों या ढीले निवाड़ वाले पलंग पर सोने से भी बचें।
पेट के बल या उलटे होकर न सोएं।
परंपरागत तरीकों से आराम न पहुंचे तो सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन सर्जरी होगी या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह विशेषज्ञ का होता है।

जानिए कमर दर्द दूर करने के घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Back Pain):

1. घुटने मोड़ें (Band knee)- नीचे रखी कोई वस्तु उठाते वक्त पहले अपने घुटने मोड़ें फिर उस वस्तु को उठाएं। ऐसा करने से कमर पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा और कम तकलीफ होगी।

2. लहसुन (Garlic)- भोजन में लहसुन का पर्याप्त उपयोग करें। लहसुन कमर दर्द का अच्छा उपचार माना गया है। लहसुन के प्रयोग से पुराने से पुराना कमर दर्द भी ठीक होने लगता है।

3. गूगुल (Benzoin)- गूगुल कमर दर्द में बेहद राहत देता है। कमर दर्द में उपचार के लिए गूगुल की आधा चम्मच गरम पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। ऐसा करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

4. मसाला चाय (Tea)- चाय बनाने में 5 कालीमिर्च के दाने, 5 लौंग पीसकर और थोड़़ा सा सूखे अदरक का पाउडर डालें। दिन मे दो बार इस तरह की मसाला चाय पीएं। मसाला चाय पीते रहने से कमर दर्द में लाभ होता है।

5. सख्त बिस्तर (Tough Bedding)- सख्त बिस्तर पर सोने से भी कमर दर्द में बेहद आराम मिलता है। ऐसा करने से कमर समतल रहती है और पूरी कमर पर समान दबाव पड़ता है। औंधे मुंह पेट के बल सोना भी हानिकारक है।

6. दालचीनी (Cinnamon)- 2 ग्राम दालचीनी का पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार लेते रहने से कमरदर्द में राहत मिलती है।

7. शरीर को गर्म रखें (Warm Body)- कमर दर्द पुराना हो तो शरीर को गर्म रखें और गरम वस्तुएं खाएं। ऐसा करने से कमर दर्द में बेहद राहत मिलती है। सर्दियों में दर्द ज्यादा हो तो ध्यान रखें कि दर्द वाला हिस्सा हवा के संपर्क में न आए।

8. बर्फ की सिकाई (Ice Foment)- दर्द वाली जगह पर बर्फ का प्रयोग करना भी लाभकारी उपाय है। इससे भीतरी सूजन भी समाप्त होगी। कुछ रोज बर्फ़ का उपयोग करने के बाद गरम सिकाई प्रारंभ कर देने से अनुकूल परिणाम आते हैं।

9. पौष्टिक भोजन (Proper Nutrition)- भोजन मे टमाटर, गोभी, चुकंदर, खीरा, ककड़ी, पालक, गाजर, फ़लों का प्रचुर मात्रा में उपयोग करें।

10. भाप की सिकाई (Steam Foment)- नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। पेट के बल लेटकर दर्द के स्थान पर तौलिये द्वारा भाप लेने से कमर दर्द में राहत मिलती है।

11. मालिश (Massage)- रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियाँ डालकर (जब तक लहसुन की कलियाँ काली न हो जायें) गर्म कर लें फिर ठंडा कर प्रभावित जगह पर मालिश करें।

12. नमक (Salt)- कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। थोड़े मोटे सूती कपड़े में यह गरम नमक डालकर पोटली बांध लें। कमर पर इसके द्वारा सेक करे

Constipation

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*कब्ज है तो घबराएँ नही, इन घरेलू उपायों को अपनाएं*
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1 पके टमाटर का रस एक कप पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती है और आंतों को ताकत भी मिलती है।

रात में सोते समय 1 से 2 चम्मच अलसी के बीज ताजा पानी से निगल लें। आंतों की खुश्की दूर होकर मल साफ होगा।

2 अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर पानी पीने से पेट साफ हो जाता है।
गाजर के रस का रोजाना सेवन करने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) ठीक हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अर्श (बवासीर) रोग से सुरक्षित रहते हैं।

3 गिलोय का बारीक चूर्ण को गुड़ के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच सोते समय सेवन करने से कब्ज का रोग दूर हो जाता है।

4 अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।

5 थूहर के दूध में कालीमिर्च, लौंग या पीपल भिगोकर सुखा लें। कब्ज से परेशान व्यक्ति को कालीमिर्च या लौंग खिला देने से पेट बिल्कुल साफ हो जाता है।

6 सोते समय 1 चम्मच साबुत मेथी दाने को पानी के साथ पीने से कब्ज दूर होगी।

7 चम्मच सौंफ 1 गिलास पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाये तो छानकर पीने से कब्ज दूर हो जायेगा।

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Body Stone

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✅ ज्यादा मात्रा में ले ✅  

१)  नारियल पानी  
                                       
 पोटाशियम और मेग्निशियम से समृद्ध होने से पथरी के रोकथाम में मदद करता है।

२) सब्जियां

 * गाजर / करेला  
खनिज तत्त्व (मिनरल ) के समृद्ध होने से पथरी के रोकथाम में मदद करता है।
     

३) फल और ज्यूस

*  केला    
इसमे विटामिन B6  प्रचुर मात्रा में होने के कारण ओक्सालिक एसिड का खंडनकर पथरी के रोकथाम में मदद करता है।

* निम्बू
इसमें भरपूर मात्रा में साईट्रेट होने से कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी के रोकथाम में मदद करता है।

* पाईनेपल ज्यूस                            
इसमें फायब्रिंस से प्रचुर मात्रा में एनजाईम्स होने के कारन किडनी की पथरी के रोकथाम में मदद करता है।

४) फ़ाईबर्स ( रेशे   )

* जौ
इसमें पथरी रोधक तत्व भरपूर मात्रा में होते है।

* बादाम
पोटेशियम और मेग्निशियम से समृद्ध होने से पथरी के रोकथाम में मदद करता है।

मर्यादित मात्रा में ले
     
१) सब्जियां

* टमाटर / पालक / चवली
इनमें ओक्सालेट का प्रमाण ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।

* गोभी / बैंगन  / मशरूम
इनमें यूरिक एसिड / प्युराइन का प्रमाण  ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।

२) फल और ज्यूस

* चीकू
इनमें ओक्सालेट का प्रमाण ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।

* कोलू
इनमें यूरिक एसिड / प्युराइन का प्रमाण ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।

३) मांसाहार

* मटन / चिकन  / मछली / अंडा
इनमें एनजाईम्स से ज्यादा मात्रा में फायब्रिंस होने के कारण किडनी की पथरी हो सकती है।

४) काजू

इनमें ओक्सालेट का प्रमाण ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।

५) चोकलेट / कोको / चाय / कॉफी
इनमें ओक्सालेट का प्रमाण ज्यादा होने के कारण पथरी हो सकती है।
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Sahi me na milaye namak

⛄ *दही में नमक डाल कर न खाऐं* ⛄

कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खाईये. दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि चीनी के साथ, गुड के साथ, बूरे के साथ आदि.

इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहां से आपको एक लेंस खरीदना है. अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है.

*हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं.* दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है. अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आएंगे. अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायेदेमंद साबित होंगे. *वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे* और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि किसी काम नहीं आएगी. अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे. क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है.

आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे | दही को गुड़ के साथ खाईये. गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं. थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए. बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है. मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी. भगवान कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे. पुराने समय के लोग अक्सर दही में गुड़ डाल कर दिया करते थे.

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Manav SARIR health tips-2

स्वास्थ्य सूत्र  
  👉 *आंवला*
किसी भी रूप में थोड़ा सा
आंवला हर रोज़ खाते रहे,
जीवन भर उच्च रक्तचाप
और हार्ट फेल नहीं होगा।

👉 *मेथी*
मेथीदाना पीसकर रख ले।
एक चम्मच एक गिलास
पानी में उबाल कर नित्य पिए।
मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले।
इस से आंव नहीं बनेगी,
शुगर कंट्रोल रहेगी और
जोड़ो के दर्द नहीं होंगे
और पेट ठीक रहेगा।

👉 *नेत्र स्नान*
मुंह में पानी का कुल्ला भर कर
नेत्र धोये।
ऐसा दिन में तीन बार करे।
जब भी पानी के पास जाए
मुंह में पानी का कुल्ला भर ले
और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये।
मुंह का पानी एक मिनट बाद
निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले।
मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए
बार बार कुल्ला नया भरते रहे।

भोजन करने के बाद गीले हाथ
तौलिये से नहीं पोंछे।
आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर
चेहरा व कानो तक मले।
इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं।
नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।

👉 *शौच*
ऐसी आदत डाले के नित्य
शौच जाते समय दाँतो को
आपस में भींच कर रखे।
इस से दांत मज़बूत रहेंगे,
तथा लकवा नहीं होगा।

👉 *छाछ*
तेज और ओज बढ़ने के लिए
छाछ का निरंतर सेवन
बहुत हितकर हैं।
सुबह और दोपहर के भोजन में
नित्य छाछ का सेवन करे।
भोजन में पानी के स्थान पर
छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

👉 *सरसों तेल*
सर्दियों में हल्का गर्म सरसों तेल
और गर्मियों में ठंडा सरसों तेल
तीन बूँद दोनों कान में
कभी कभी डालते रहे।
इस से कान स्वस्थ रहेंगे।

👉 *निद्रा*
दिन में जब भी विश्राम करे तो
दाहिनी करवट ले कर सोएं। और
रात में बायीं करवट ले कर सोये।
दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर
अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी, और
बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर
अर्थात सूर्य स्वर चलेगा।

👉 *ताम्बे का पानी*
रात को ताम्बे के बर्तन में
रखा पानी सुबह उठते बिना
कुल्ला किये ही पिए,
निरंतर ऐसा करने से आप
कई रोगो से बचे रहेंगे।
ताम्बे के बर्तन में रखा जल
गंगा जल से भी अधिक
शक्तिशाली माना गया हैं।

👉 *सौंठ*
सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम
और कफ से बचने के लिए
पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ
और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में
इतना उबाले के आधा पानी रह जाए।
रात को सोने से पहले यह पिए।
बदलते मौसम, सर्दी व वर्षा के
आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं।
सौंठ नहीं हो तो अदरक का
इस्तेमाल कीजिये।

👉 *टाइफाइड*
चुटकी भर दालचीनी की फंकी
चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ
दिन में दो बार लेने से
टाइफाईड नहीं होता।

👉 *ध्यान*
 हर रोज़ कम से कम 15 से 20
मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे।

👉 *नाक*
रात को सोते समय नित्य
सरसों का तेल नाक में लगाये।
हर तीसरे दिन दो कली लहसुन
रात को भोजन के साथ ले।
प्रात: दस तुलसी के पत्ते और
पांच काली मिर्च नित्य चबाये।
सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा।
नाक स्वस्थ रहेगी।

👉 *मालिश*
स्नान करने से आधा घंटा पहले
सर के ऊपरी हिस्से में
सरसों के तेल से मालिश करे।
इस से सर हल्का रहेगा,
मस्तिष्क ताज़ा रहेगा।
रात को सोने से पहले
पैर के तलवो, नाभि,
कान के पीछे और
गर्दन पर सरसों के तेल की
मालिश कर के सोएं।
निद्रा अच्छी आएगी,
मानसिक तनाव दूर होगा।
त्वचा मुलायम रहेगी।
सप्ताह में एक दिन पूरे शरीर में
मालिश ज़रूर करे।

👉 *योग और प्राणायाम*
 नित्य कम से कम आधा घंटा
योग और प्राणायाम का
अभ्यास ज़रूर करे।

👉 *हरड़*
हर रोज़ एक छोटी हरड़
भोजन के बाद दाँतो तले रखे
और इसका रस धीरे धीरे
पेट में जाने दे।
जब काफी देर बाद ये हरड़
बिलकुल नरम पड़ जाए
तो चबा चबा कर निगल ले।
इस से आपके बाल कभी
सफ़ेद नहीं होंगे,
दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे
और पेट के रोग नहीं होंगे।

👉 *सुबह की सैर*
सुबह सूर्य निकलने से पहले
पार्क या हरियाली वाली जगह पर
सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए
बहुत लाभदायक हैं।
इस समय हवा में प्राणवायु का
बहुत  संचार रहता हैं।
जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर
रोग मुक्त रहता हैं और हमारी
रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।

👉 घी खाये मांस बढ़े,
  अलसी खाये खोपड़ी,
     दूध पिये शक्ति बढ़े,
 भुला दे सबकी हेकड़ी।

👉तेल तड़का छोड़ कर
       नित घूमन को जाय,
       मधुमेह का नाश हो
     जो जन अलसी खाय ।।

Mana SARIR health tips-1

*Manav SARIR Health-Tips*

*🍀हमेशा काम आने वाले 51 अचूक नुस्खे🍀*

हमारे जीवन में रोगों का प्रभाव पड़ता ही रहता है -हम छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज स्वयं कर सकते है आज हम आप के लिए लाये हैं साधारण छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाए कुछ प्रयोग नीचे दिए गए है जो आपके घर में ही उपलब्ध है अजमाए और लाभ ले –

*1.दमे के लिये तुलसी और वासा:-*

दमे के रोगियों को तुलसी की १० पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का २५० मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग २१ दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है-

*2.मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक:-*

सेंधा नमक की लगभग 5 ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है-

*3.बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण:-*

मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रखकर जाएँ। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है-

*4.मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री:-*

भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है-

*5.खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़:-*

गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा-

*6.पेट में कीड़ों के लिये अजवायन और नमक:-*

आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होते हैं। बडों के लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेना चाहिये-

*7.अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी:-*

भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें-

*8.बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल:-*

10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल – दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं-

*9.जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस:-*

बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें-

*10.पेट में वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन:-*

पेट में वायु बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें-

*11.फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल:-*

नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है-

*12.सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी:-*

तुलसी की 21 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भाँति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं-

*13.अधिक क्रोध के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंद:-*

बहुत क्रोध आता हो तो सुबह आँवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन खाएँ और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें। क्रोध आना शांत हो जाएगा-

*14.घुटनों में दर्द के लिये अखरोट:-*

सवेरे खाली पेट तीन या चार अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो जाता है-

*15.काले धब्बों के लिये नीबू और नारियल का तेल:-*

चेहरे व कोहनी पर काले धब्बे दूर करने के लिये आधा चम्मच नारियल के तेल में आधे नीबू का रस निचोड़ें और त्वचा पर रगड़ें, फिर गुनगुने पानी से धो लें-

*16.कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण सुपारी से:-*

भोजन के बाद कच्ची सुपारी 20 से 40 मिनट तक चबाएँ फिर मुँह साफ़ कर लें। सुपारी का रस लार के साथ मिलकर रक्त को पतला करने जैसा काम करता है। जिससे कोलेस्ट्राल में गिरावट आती है और रक्तचाप भी कम हो जाता है-

*17.मसूढ़ों की सूजन के लिये अजवायन:-*

मसूढ़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन में आराम आ जाता है-

*18.हृदय रोग में आँवले का मुरब्बा:-*

आँवले का मुरब्बा दिन में तीन बार सेवन करने से यह दिल की कमजोरी, धड़कन का असामान्य होना तथा दिल के रोग में अत्यंत लाभ होता है, साथ ही पित्त, ज्वर, उल्टी, जलन आदि में भी आराम मिलता है-

*19.शारीरिक दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनी:-*

दो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर स्वस्थ हो जाता है। दो ग्राम दालचीनी के स्थान पर एक ग्राम जायफल का चूर्ण भी लिया जा सकता है-

*20.हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये दूध और काली मिर्च:-*

हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये 10 ग्राम दूध में 250 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख लें। 2-2 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार मक्खन के साथ मिलाकर खाएँ-

*21.श्वास रोगों के लिये दूध और पीपल:-*

एक पाव दूध में 5 पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से साँस की नली के रोग जैसे खाँसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं-

*22.अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़:-*

रात में नींद न आती हो तो मलाई में गुड़ मिलाकर खाएँ और पानी पी लें। थोड़ी देर में नींद आ जाएगी-

*23.कमजोरी को दूर करने का सरल उपाय:-*

एक-एक चम्मच अदरक व आंवले के रस को दो कप पानी में उबाल कर छान लें। इसे दिन में तीन बार पियें। स्वाद के लिये काला नमक या शहद मिलाएँ-

*24.घमौरियों के लिये मुल्तानी मिट्टी:-*

घमौरियों पर मुल्तानी मिट्टी में पानी मिलाकर लगाने से रात भर में आराम आ जाता है-

*25.पेट के रोग दूर करने के लिये मट्ठा:-*

मट्ठे में काला नमक और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। यह बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये-

*26.खुजली की घरेलू दवा:-*

फटकरी के पानी से खुजली की जगह धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल मिलाकर लगाएँ लाभ होगा-

*27.मुहाँसों के लिये संतरे के छिलके:-*

संतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से ५ मिनट तक रोज संतरों के छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है-

*28.बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भाप:-*

एक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और उसकी भाप में साँस लें। कुछ ही मिनटों में आराम मालूम होगा-

*29.चर्मरोग के लिये टेसू और नीबू:-*

टेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता है-

*30.माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूध:-*

एक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार रहें, माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा।

*31.गले में खराश के लिये जीरा:-*

एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक डालें ५ मिनट तक उबलने दें। इसे ठंडा होने दें। हल्का गुनगुना दिन में दो बार पियें। गले की खराश और सर्दी दोनों में लाभ होगा-

*32.सर्दी जुकाम के लिये दालचीनी और शहद:-*

एक ग्राम पिसी दालचीनी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है-

*33.टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध:-*

एक प्याला (200 मिलीली.) दूध में आधा छोटा चम्मच (2 ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के बात मुँह साफ करना चाहिये लेकिन कुछ खाना पीना नहीं चाहिये-

*34.ल्यूकोरिया से मुक्ति:-*

ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी, चिडचिडापन, के साथ चेहरे की चमक उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के साथ खा जाएँ 11-12 दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग को 21 दिनों तक जारी रखना चाहिए-

*35.मधुमेह के लिये आँवला और करेला:-*

एक प्याला करेले के रस में एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिलाकर रोज पीने से दो महीने में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है-

*36.मधुमेह के लिये कालीचाय:-*

मधुमेह में सुबह खाली पेट एक प्याला काली चाय स्वास्थ्यवर्धक होती है। चाय में चीनी दूध या नीबू नहीं मिलाना चाहिये। यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को लाभ पहुँचाती है जिससे मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है-

*37.उच्च रक्तचाप के लिये मेथी:-*

सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है-

*38.माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब:-*

सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा-

*39.अपच के लिये चटनी:-*

खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूक न लगना इनमें से किसी चीज से परेशान हैं तो सिरके में प्याज और अदरक पीस कर चटनी बनाएँ इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा-

*40.मुहाँसों से मुक्ति:-*

जायफल, काली मिर्च और लाल चन्दन तीनो का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। रोज सोने से पहले 2-3 चुटकी भर के पावडर हथेली पर लेकर उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी से चेहरा धो लें। 15 दिन तक यह काम करें। इसी के साथ प्रतिदिन 250 ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। 15-20 दिन में मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी-

*41.जलन की चिकित्सा चावल से:-*

कच्चे चावल के 8-10 दाने सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। 21 दिन तक नियमित ऐसा करने से पेट और सीन की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी-

*42.दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोग:-*

तिल को पानी में 4 घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी से मुँह को भरें और 10 मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है-

*43.विष से मुक्ति:-*

10-10 ग्राम हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा 5 ग्राम देसी घी अच्छी तरह मिला लें। इसे खाने से कुत्ते, साँप, बिच्छु, मेढक, गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष उतर जाता है-

*44.खाँसी में प्याज:-*

अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम मिलता है-

*45.स्वस्थ त्वचा का घरेलू नुस्खा :-*

नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और 5 मिनट बाद नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों, फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है-

*46.पेट साफ रखे अमरूद:-*

कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम 200 ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाएँ, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। 10 दिन लगातार खाने से पुराने कब्ज में लाभ होगा। बाद में जब आवश्यकता महसूस हो तब खाएँ-

*47.बीज पपीते के स्वास्थ्य हमारा:-*

पके पपीते के बीजों को खूब चबा-चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेन पर अनेक प्रकार के रोगाणुओं से रक्षा होती है-

*48.मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये:-*

मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार में भी मिल जाती है। पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल जाएँ। यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की शक्ति भी बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा अधिक पानी के साथ लेना चाहिये-

*49.सरसों का तेल केवल पाँच दिन:-*

रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद सरसों का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी-सर्दी और साँस की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा-

*50.भोजन से पहले अदरक:-*

भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर [थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी-

*51.अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग:-*

सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यह सर्दी, खाँसी, जुकाम, बदनदर्द, कमर-दर्द, पेटदर्द, कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। 10 साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच 2 ग्राम और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी 5 ग्राम लेना चाहिए |

Chuna Amrit h

*Health care*
चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर
बीमारी
ठीक कर देते है....!

" चूना अमृत है " ..

🤔👌👌🤔👌👌🤔👌👌

* चूना एक टुकडा छोटे से मिट्टी के
बर्तन मे डालकर
पानी से भर दे , चूना गलकर नीचे और
पानी ऊपर
होगा !

वही एक चम्मच पानी किसी
भी खाने की
वस्तु के साथ लेना है ! 50 के उम्र के बाद
कोई
कैल्शियम की दवा शरीर मे जल्दी नही
घुलती चूना
तुरन्त घुल व पच जाता है ...

* जैसे किसी को पीलिया हो जाये
माने जॉन्डिस
उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ;गेहूँ के
दाने के बराबर
चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से
बहुत जल्दी
पीलिया ठीक कर देता है ।


* बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत
अच्छा है जो
लम्बाई बढाता है ..

* गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में
मिला के
खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में
मिला के
खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला
के पियो -
इससे लम्बाई बढने के साथ स्मरण शक्ति
भी बहुत
अच्छा होता है ।

* जिन बच्चों की बुद्धि कम काम
करती है मतिमंद
बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना
..जो बच्चे
बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते
है, देर में
सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन
सभी बच्चे को
चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।

* बहनों को अपने मासिक धर्म के समय
अगर कुछ भी
तकलीफ होती हो तो उसका सबसे
अच्छी दवा है
चूना । हमारे घर में जो माताएं है
जिनकी उम्र पचास
वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म
बंध हुआ उनकी
सबसे अच्छी दवा है चूना..

* गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन
खाना दाल में,
लस्सी में, नही तो पानी में घोल के
पीना । जब
कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज
खाना
चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे
ज्यादा
केल्शियम की जरुरत होती है और चूना
केल्शियम का
सबसे बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को
चूना
खिलाना चाहिए ..अनार के रस में -
अनार का रस
एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये
मिलाके
रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार
दीजिये..तो
चार फायदे होंगे -
पहला फायदा :-
माँ को बच्चे के जनम के समय कोई
तकलीफ नही
होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा,
दूसरा :-
बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट
और तंदुरुस्त
होगा ,
तीसरा फ़ायदा :-
बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही
पड़ता
जिसकी माँ ने चूना खाया ,
चौथा सबसे बड़ा लाभ :-
बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत
Intelligent और
Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा
होता है ।

* चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर
का दर्द
ठीक करता है ,कंधे का दर्द ठीक करता
है,

* एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis
वो चूने से
ठीक होता है ।

* कई बार हमारे रीढ़की हड्डी में जो
मनके होते है
उसमे दुरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है
- ये चूना ही
ठीक करता है
उसको; रीड़ की हड्डी की सब
बीमारिया चूने से
ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट
जाये तो टूटी
हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे
ज्यादा चूने में
है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।

* मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो
चूना खाओ
बिलकुल ठीक हो जाता है ,

* मुंह में अगर छाले हो गए है तो चूने का
पानी पियो
तुरन्त ठीक हो जाता है ।

* शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना
जरुर लेना
चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है
उसकी सबसे
अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो
गन्ने के रस में ,
या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है
अनार के रस
में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत
बढता है , बहुत
जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का
रस गेहूँ के दाने
के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।

* घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर
कहे के घुटना
बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते
रहिये और
हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा खाइए घुटने
बहुत अच्छे
काम करेंगे । —.