बुखार (Fever)
परिचय :------------------
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट से 36.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है। जब तापमान इससे अधिक बढ़ जाता है तो उसे बुखार कहा जाता है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि शरीर विजातीय द्रव्यों को जलाकर अपने कार्य तंत्र की सफाई करता है और उसे दुबारा से सक्रियता प्रदान करता है। लेकिन बहुत से लोग इस स्थिति से जल्दी ही डर जाते हैं और एंटीबायोटिक औषधियों से उपचार कराने लगते हैं जिसके कारण उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे दूसरी अन्य बीमारियों को पनपने का मौका मिल जाता है।
बुखार से एक बात का और संकेत मिलता है कि शरीर के अन्दर कोई न कोई गड़बड़ी हो गई है।
बुखार कई प्रकार का होता है जो इस प्रकार हैं:---------------
इन्फलुएंजा (फ्लू)
न्यूमोनिया
टाइफाईड
मलेरिया
बुखार होने के लक्षण:----------------
जब किसी व्यक्ति को बुखार होता है तो उसका शरीर सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है।
कभी-कभी तो बुखार बहुत अधिक तेज हो जाता है जिसके कारण शरीर गर्म हो जाता है।
बुखार के साथ-साथ रोगी के पूरे शरीर में दर्द भी रहता है।
बुखार के कारण रोगी व्यक्ति के मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।
बुखार के कारण रोगी को बेचैनी तथा थकान सी महसूस होने लगती है।
बुखार हो जाने के कारण रोगी व्यक्ति कमजोर भी हो जाता है।
बुखार में ठंड लगती है और सिर तथा अन्य मांसपेशियों में दर्द होता है।
बुखार के कारण व्यक्ति की नाक तथा गले में कभी-कभी सूजन आ जाती है।
बुखार के कारण रोगी की नाक तथा आंख से पानी भी आने लगता है।
बुखार कभी-कभी तो 2-3 दिन तक रहता है लेकिन यह कभी-कभी तो 4-5 दिनों तक भी रहता है।
न्यूमोनिया बुखार हो जाने पर व्यक्ति को बुखार के साथ सांस लेने में परेशानी तथा छाती में तेज दर्द होने लगता है।
टाइफाईड बुखार रहने पर व्यक्ति को सुबह के समय में तो बुखार कम रहता है लेकिन शाम के समय में बुखार तेज हो जाता है और यह बुखार व्यक्ति को कई दिनों तक रहता है।
टाइफाईड बुखार से पीड़ित रोगी को भूख भी कम लगती है, रोगी की जीभ लाल हो जाती है, रोगी की पीठ, कमर, टखने तथा सिर में दर्द रहता है और इस रोग के कारण व्यक्ति की तिल्ली (प्लीहा) तथा जिगर बढ़ जाते हैं। कभी-कभी तो रोगी की आंतों से खून भी निकलने लगता है।
मलेरिया बुखार के कारण रोगी व्यक्ति को ठंड लगकर बुखार होता है तथा सिर में दर्द तथा पैरों में दर्द होता रहता है। इसके कुछ समय बाद रोगी को पसीना आकर बुखार तेज हो जाता है।
बुखार होने के कारण:-----------------------
गलत तरीके के खान-पान (भोजन खाने का तरीका) से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक बढ़ जाते हैं जिसके कारण मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर में बैक्टीरिया, कीटाणु तथा वायरस आदि पनपने लगते हैं जिसके कारण व्यक्ति को बुखार हो जाता है।
बुखार कई प्रकार के कीटाणुओं के संक्रमण के कारण भी हो सकता है।
जिस किसी मनुष्य में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उस व्यक्ति को यदि किसी प्रकार से सूजन या चोट लग जाए तो उसे बुखार हो सकता है।
मलेरिया बुखार एनोफिलीज नामक एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से हो जाता है।
बुखार का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:--------------------
बुखार को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसके बुखार के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में कालीमिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
अगर किसी व्यक्ति को न्यूमोनिया बुखार है तो उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए।
रोगी को उपवास रखने के बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए।
बुखार रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति क्रिया भी करानी चाहिए।
यदि बुखार बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठंडी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद गर्म पाद स्नान क्रिया करानी चाहिए।
जिस समय बुखार तेज न हो उस समय रोगी से कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि रोगी व्यक्ति को बुखार के कारण ठंड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल ओढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से बुखार बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
बुखार से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी 2-2 घंटे पर पिलाने से बुखार जल्दी ठीक हो जाता है।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से शरीर में फुर्ती पैदा होती है और बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए, हलके आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए तथा पर्याप्त आराम करना चाहिए।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और उसकी जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद रोगी को कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से दुबारा बुखार नहीं होता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
बुखार से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि दूध पीने की इच्छा हो तो इसमें पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। ध्यान रहे कि इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।
प्रबन्धक
Svm Institute of Naturopathy and para medical sc.
महासचिव
Indian yog and Naturopathy Association
अध्यक्ष
All india ruhal federation
9416154548,7015911400
परिचय :------------------
मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट से 36.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है। जब तापमान इससे अधिक बढ़ जाता है तो उसे बुखार कहा जाता है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि शरीर विजातीय द्रव्यों को जलाकर अपने कार्य तंत्र की सफाई करता है और उसे दुबारा से सक्रियता प्रदान करता है। लेकिन बहुत से लोग इस स्थिति से जल्दी ही डर जाते हैं और एंटीबायोटिक औषधियों से उपचार कराने लगते हैं जिसके कारण उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे दूसरी अन्य बीमारियों को पनपने का मौका मिल जाता है।
बुखार से एक बात का और संकेत मिलता है कि शरीर के अन्दर कोई न कोई गड़बड़ी हो गई है।
बुखार कई प्रकार का होता है जो इस प्रकार हैं:---------------
इन्फलुएंजा (फ्लू)
न्यूमोनिया
टाइफाईड
मलेरिया
बुखार होने के लक्षण:----------------
जब किसी व्यक्ति को बुखार होता है तो उसका शरीर सामान्य से अधिक गर्म हो जाता है।
कभी-कभी तो बुखार बहुत अधिक तेज हो जाता है जिसके कारण शरीर गर्म हो जाता है।
बुखार के साथ-साथ रोगी के पूरे शरीर में दर्द भी रहता है।
बुखार के कारण रोगी व्यक्ति के मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है।
बुखार के कारण रोगी को बेचैनी तथा थकान सी महसूस होने लगती है।
बुखार हो जाने के कारण रोगी व्यक्ति कमजोर भी हो जाता है।
बुखार में ठंड लगती है और सिर तथा अन्य मांसपेशियों में दर्द होता है।
बुखार के कारण व्यक्ति की नाक तथा गले में कभी-कभी सूजन आ जाती है।
बुखार के कारण रोगी की नाक तथा आंख से पानी भी आने लगता है।
बुखार कभी-कभी तो 2-3 दिन तक रहता है लेकिन यह कभी-कभी तो 4-5 दिनों तक भी रहता है।
न्यूमोनिया बुखार हो जाने पर व्यक्ति को बुखार के साथ सांस लेने में परेशानी तथा छाती में तेज दर्द होने लगता है।
टाइफाईड बुखार रहने पर व्यक्ति को सुबह के समय में तो बुखार कम रहता है लेकिन शाम के समय में बुखार तेज हो जाता है और यह बुखार व्यक्ति को कई दिनों तक रहता है।
टाइफाईड बुखार से पीड़ित रोगी को भूख भी कम लगती है, रोगी की जीभ लाल हो जाती है, रोगी की पीठ, कमर, टखने तथा सिर में दर्द रहता है और इस रोग के कारण व्यक्ति की तिल्ली (प्लीहा) तथा जिगर बढ़ जाते हैं। कभी-कभी तो रोगी की आंतों से खून भी निकलने लगता है।
मलेरिया बुखार के कारण रोगी व्यक्ति को ठंड लगकर बुखार होता है तथा सिर में दर्द तथा पैरों में दर्द होता रहता है। इसके कुछ समय बाद रोगी को पसीना आकर बुखार तेज हो जाता है।
बुखार होने के कारण:-----------------------
गलत तरीके के खान-पान (भोजन खाने का तरीका) से शरीर में विजातीय द्रव्य बहुत अधिक बढ़ जाते हैं जिसके कारण मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर में बैक्टीरिया, कीटाणु तथा वायरस आदि पनपने लगते हैं जिसके कारण व्यक्ति को बुखार हो जाता है।
बुखार कई प्रकार के कीटाणुओं के संक्रमण के कारण भी हो सकता है।
जिस किसी मनुष्य में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उस व्यक्ति को यदि किसी प्रकार से सूजन या चोट लग जाए तो उसे बुखार हो सकता है।
मलेरिया बुखार एनोफिलीज नामक एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से हो जाता है।
बुखार का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:--------------------
बुखार को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसके बुखार के लक्षण दूर न हो जाए। फिर इसके बाद दालचीनी के काढ़े में कालीमिर्च और शहद मिलाकर खुराक के रूप में लेना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
अगर किसी व्यक्ति को न्यूमोनिया बुखार है तो उसे लहसुन का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए।
रोगी को उपवास रखने के बाद धीरे-धीरे फल खाने शुरू करने चाहिए तथा इसके बाद सामान्य भोजन सलाद, फल तथा अंकुरित दाल को भोजन के रूप में लेना चाहिए।
बुखार रोग से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार गर्म या ठंडा कटिस्नान तथा जलनेति क्रिया भी करानी चाहिए।
यदि बुखार बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठंडी गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद गर्म पाद स्नान क्रिया करानी चाहिए।
जिस समय बुखार तेज न हो उस समय रोगी से कुंजल क्रिया करानी चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
यदि रोगी व्यक्ति को बुखार के कारण ठंड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर उसे कम्बल ओढ़ा देना चाहिए। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी के शरीर पर घर्षण क्रिया करने से बुखार बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद रोगी को अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
बुखार से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी 2-2 घंटे पर पिलाने से बुखार जल्दी ठीक हो जाता है।
शीतकारी प्राणायाम, शीतली, शवासन तथा योगध्यान करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
रोगी व्यक्ति को ठंडा स्पंज स्नान या ठंडा फ्रिक्शन स्नान कराने से शरीर में फुर्ती पैदा होती है और बुखार भी उतरने लगता है।
रोगी की रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की मालिश करने से बुखार कम हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को खुले हवादार कमरे में रहना चाहिए, हलके आरामदायक वस्त्र पहनने चाहिए तथा पर्याप्त आराम करना चाहिए।
जब रोगी व्यक्ति का बुखार उतर जाता है और उसकी जीभ की सफेदी कम हो जाती है तो उसे फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद रोगी को कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से दुबारा बुखार नहीं होता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को संतरे का रस दिन में 2 बार पीना चाहिए इससे बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इस रोग से पीड़ित रोगी को तुलसी के पत्तों का सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को उबालकर उसमें कालीमिर्च पाउडर और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
बुखार से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि दूध पीने की इच्छा हो तो इसमें पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए। ध्यान रहे कि इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।
प्रबन्धक
Svm Institute of Naturopathy and para medical sc.
महासचिव
Indian yog and Naturopathy Association
अध्यक्ष
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9416154548,7015911400
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