Tuesday, 24 October 2017

Barton aur health

बर्तन में छुपा सेहत का ख़ज़ाना
खाना पौष्टिक और सेहतमंद हो इसके लिए हम न जाने कितने जतन करते हैं। कम तेल इस्तेमाल से लेकर सब्जियों और दालों को सफाई से धोना, आटा साफ हाथ से गुनना, घर और किचन में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना, भोजन की गुणवत्ता, ताजापन, सही मसालों का उपयोग और भी बहुत कुछ हमारी आदत में शुमार हो चुका है। लेकिन एक अहम चीज हम अकसर भूल जाते हैं और वह है हमारे बर्तन। जी हां, भोजन की पौष्टिकता में यह बात भी मायने रखती है कि आखिर उन्हें किस बर्तन में बनाया जा रहा है। आपको शायद मालूम न हो, लेकिन आप जिस धातु के बर्तन में खाना पकाते हैं उसके गुण भोजन में अपने आप ही आ जाते हैं। एल्यूमीनियम, तांबा, लोहा, स्टेनलेस स्टील और टेफलोन बर्तन में इस्तेमाल होने वाली आम सामग्री हैं। बेहतर है कि आप अपने घर के लिए कुकिंग मटेरियल चुनते समय कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखें और इसके लिए आपको उन बर्तनों के फायदे नुकसान के बारे में जानकारी होना जरूरी है।
लोहे के बर्तन
देखने और उठाने में भारी, महंगे और आसानी से न घिसने वाले ये बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते है।
एल्यूमीनियम के बर्तन
एल्यूमीनियम के बर्तन हल्के, मजबूत और गुड हीट कंडक्टर होते हैं। साथ ही इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती। भारतीय रसोई में एल्यूमीनियम के बर्तन सबसे ज्यादा होते हैं। कुकर से लेकर कड़ाहियां आमतौर पर एल्यूमीनियम की ही बनी होती हैं। एल्यूमीनियम बहुत ही मुलायम और प्रतिक्रियाशील धातु होता है। इसलिए नमक या अम्लीय तत्वों के संपर्क में आते ही उसमें घुलने लगता है। खासकर टमाटर उबालने, इमली, सिरका या किसी अम्लीय भोजन के बनाने जैसे कि सांभर आदि के मामले में यह ज्यादा होता है। इससे खाने का स्वाद भी प्रभावित होता है।
खाने में एल्यूमीनियम होना गंभीर चिंता का विषय है। यह खाने से आयरन और कैल्शियम तत्वों को सोख लेता है। यानी यदि पेट में गया तो शरीर से आयरन और कैल्शियम सोखना शुरू कर देता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। कुछ अल्जाइमर (याद्दाश्त की बीमारी) के मामलों में मस्तिष्क के उत्तकों में भी एल्यूमीनियम के अर्क पाए गए हैं। शोधकर्ताओं की मानें तो एल्यूमीनियम के बर्तन में चाय, टमाटर प्यूरी, सांभर और चटनी आदि बनाने से बचना चाहिए। इन बर्तनों में खाना जितनी देर तक रहेगा, उसके रसायन भोजन में उतने ही ज्यादा घुलेंगे।
तांबा और पीतल के बर्तन
कॉपर और पीतल के बर्तन हीट के गुड कंडक्टर होते हैं। इनका इस्तेमाल पुराने जमाने में ज्यादा होता था। ये एसिड और सॉल्ट के साथ प्रक्रिया करते हैं। नेशनल इंस्टीटयूट आफ हेल्थ के अनुसार खाने में मौजूद ऑर्गेनिक एसिड, बर्तनों के साथ प्रतिक्रिया करके ज्यादा कॉपर पैदा कर सकता है, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है। इससे फूड प्वॉयजनिंग भी हो सकती है। इसलिए इनकी टिन से कोटिंग जरूरी है। जिसे कलई भी कहते हैं।
स्टेनलेस स्टील बर्तन
स्टेनलेस स्टील के बर्तन अच्छे, सुरक्षित और किफायती विकल्प हैं। इन्हें साफ करना भी बहुत आसान है। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है। इसकी सिर्फ एक कमी है कि इससे बने बर्तन जल्द गर्म हो जाते हैं। इसलिए इन्हें खरीदते वक्त ऐसे बर्तन चुनें जिनके नीचे कॉपर की लेयर लगी हो। लेकिन इसे साफ करते समय सावधानी बरती जानी चाहिए क्योंकि इसकी सतह पर खरोंच आने से क्रोमियम और निकल निकलता है।
नॉन-स्टिक बर्तन
नॉन-स्टिक बर्तनों की सबसे खास बात यह है कि इनमें तेल की बहुत कम मात्रा या न डालो तो भी खाना पढिया पकता है। नॉन-स्टिकी होने की वजह से इनमें खाना चिपकता भी नहीं। लेकिन नॉन-स्टिक बर्तनों को बहुत ज्यादा गर्म करने या इनकी सतह पर खरोंच आने से कुछ खतरनाक रसायन निकलते हैं।

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